सोमवार, 30 जून 2014

प्यारी माँ : Pyari Maa : Sanjay Mehta Ludhiana










प्यारी माँ


तू कैसी है ?क्या मुझको याद करती है
तूने पूछा था कैसा हूँ मै ..मै अच्छा हूँ

तेरी ही सोच के जैसा हूँ
यहा सब सो गए हैं मै अकेला बैठा हूँ
सोचता हूँ क्या करती होगी तू
काम करते करते बालों का जूडा बनाती होगी या फिर
बिखरे समान को समेटती होगी
पर माँ अब समान फैलाता होगा कौन
मै तो यंहा बैठा हूँ मौन

सुनो माँ तुमने सिखाया था सच बोलो सदा
आज जो सच बोला तो क्लास के बाहर खड़ा था
तुमने जैसा कहा है वैसा ही करता हूँ
ख़ुद से पहले ध्यान दूसरों का रखता हूँ
पर देखो न माँ सब से पीछे रह गया हूँ
सब कुछ आता है मुझको फ़िर भी
टीचर की निगाह से गिर गया हूँ

किसी पे हाथ न उठाना तुम ने कहा था
पर जानती हो माँ आज उन्होंने बहुत मारा है मुझे
जवाब मै भी दे सकता था पर मारना तो बुरी बात है न माँ
यंहा सभी मुझे बुजदिल समझते हैं
मै कमजोर नही हूँ मै तो तेरा बहादुर बेटा हूँ न माँ

अब तुम ही कहो क्या मै कुछ ग़लत कर रहा हूँ
तेरा कहा ही तो कर रहा हूँ, तू तो ग़लत हो सकती नही
फिर सब कुछ क्यों ग़लत हो रहा है बताओ न माँ
क्या इनको ये बातें मालूम नही

माँ एक बार यहां आओ न
जो कुछ मुझे बताया इन्हे भी समझाओ न

एक बात बताओ क्या आज भी तू कहेगी कि तुझे मुझपे गर्व है
माँ बोलो न..क्या मै तेरी सोच के जैसा हूँ और तेरा राजा बेटा हूं









कोई टिप्पणी नहीं: