सोमवार, 19 मई 2014

माता जी का विराट स्वरूप कैसा है ? Mata G Ka Viraat Swroop Kaisa Hai ? : Sanjay Mehta Ludhiana







माता जी का विराट स्वरूप कैसा है ?



आँखे मूंदकर मनन कीजिये कि हजारों कमल - पुष्प एकदम खिल उठे ! सोचिये कि एक हजार सूर्य एक ही आकाश - मंडल में एक साथ उदय हो गए !! ऐसा ही उसका रूप , ऐसा ही उसका तेज। सूर्य और चन्द्र उसके दोनों नेत्र है। नक्षत्र आभूषण है , हरी - भरी धरा का सिंहासन और नीला आकाश उस पर छत्र छाया है , सिन्दूरी लाल सुए रंग के फूलें में उसका रूप झलकता है। अस्ताचल को जाते हुए रक्तवर्ण सूर्य में भी वही दीप्तिमान है। हिमपात के कारण सफेद चादर से ढके हुए पर्वतो में विराजमान है। श्वेत हंस वाहन पर श्वेत -वस्त्र धारण किये सरस्वती के रूप में शोभायमान है। स्त्रियों की लज्जा में , योद्धाओं के आक्रोश में और विकराल काल-ज्वाला की लपटों रूपी जिह्वा में दमक रही है। अम्बा के रूप में माँ का स्नेह उड़ेल देती है। त्रिपुर सुंदरी के रूप में अद्विदित्य सम्मोहन है और महाकाली के रूप में नरमुण्डों की माला पहने भयानक नृत्य करती है। यध्यपि वह निर्गुण है तथापि समय - समय पर दुष्टो के नाश के लिए अवतार धारण करती है। संजय मेहता का जीवन बस जय माता दी जय माता दी कहते हुए बीते यह मैया जी से आशीर्वाद चाहिए। अब कहिये जय माता दी








शनिवार, 17 मई 2014

शिव अमृतवाणी / Shiv Amritwaani By Sanjay Mehta Ludhiana








शिव अमृत की पावन धारा
धो देती हर कष्ट हमारा
शिव का काज सदा सुखदायी
शिव के बिन है कौन सहायी




शिव की निसदिन की जो भक्ति
देंगे शिव हर भय से मुक्ति
माथे धरो शिव नाम की धुली
टूट जायेगी यम कि सूली




शिव का साधक दुःख ना माने
शिव को हरपल सम्मुख जाने
सौंप दी जिसने शिव को डोर
लूटे ना उसको पांचो चोर



शिव सागर में जो जन डूबे
संकट से वो हंस के जूझे
शिव है जिनके संगी साथी
उन्हें ना विपदा कभी सताती



शिव भक्तन का पकडे हाथ
शिव संतन के सदा ही साथ
शिव ने है बृह्माण्ड रचाया
तीनो लोक है शिव कि माया






जिन पे शिव की करुणा होती
वो कंकड़ बन जाते मोती
शिव संग तान प्रेम की जोड़ो
शिव के चरण कभी ना छोडो


शिव में मनवा मन को रंग ले
शिव मस्तक की रेखा बदले
शिव हर जन की नस-नस जाने
बुरा भला वो सब पहचाने
जय माता दी जी


अजर अमर है शिव अविनाशी
शिव पूजन से कटे चौरासी
यहाँ वहाँ शिव सर्व व्यापक
शिव की दया के बनिये याचक
जय माता दी जी


शिव को दीजो सच्ची निष्ठां
होने न देना शिव को रुष्टा
शिव है श्रद्धा के ही भूखे
भोग लगे चाहे रूखे-सूखे
जय माता दी जी



भावना शिव को बस में करती ,
प्रीत से ही तो प्रीत है बढ़ती।
शिव कहते है मन से जागो
प्रेम करो अभिमान त्यागो।
जय माता दी जी




दुनिया का मोह त्याग के शिव में रहिये लीन ।
सुख-दुःख हानि-लाभ तो शिव के ही है अधीन।
जय माता दी जी




भस्म रमैया पार्वती वल्ल्भ
शिव फलदायक शिव है दुर्लभ
महा कौतुकी है शिव शंकर
त्रिशूल धारी शिव अभयंकर
जय माता दी जी




शिव की रचना धरती अम्बर ,
देवो के स्वामी शिव है दिगंबर
काल दहन शिव रूण्डन पोषित
होने न देते धर्म को दूषित
जय माता दी जी


दुर्गापति शिव गिरिजानाथ
देते है सुखों की प्रभात
सृष्टिकर्ता त्रिपुरधारी
शिव की महिमा कही ना जाती
जय माता दी जी


दिव्या तेज के रवि है शंकर
पूजे हम सब तभी है शंकर
शिव सम और कोई और दानी
शिव की भक्ति है कल्याणी
जय माता दी जी




सबके मनोरथ सिद्ध कर देते
सबकी चिंता शिव हर लेते
बम भोला अवधूत सवरूपा
शिव दर्शन है अति अनुपा
जय माता दी जी



अनुकम्पा का शिव है झरना
हरने वाले सबकी तृष्णा
भूतो के अधिपति है शंकर
निर्मल मन शुभ मति है शंकर
जय माता दी जी



काम के शत्रु विष के नाशक
शिव महायोगी भय विनाशक
रूद्र रूप शिव महा तेजस्वी
शिव के जैसा कौन तपस्वी
जय माता दी जी



शिव है जग के सृजन हारे
बंधु सखा शिव इष्ट हमारे
गौ ब्राह्मण के वे हितकारी
कोई न शिव सा पर उपकारी
जय माता दी जी



शिव करुणा के स्रोत है शिव से करियो प्रीत
शिव ही परम पुनीत है शिव साचे मन मीत ।
जय माता दी जी




शिव सर्पो के भूषणधारी
पाप के भक्षण शिव त्रिपुरारी
जटाजूट शिव चंद्रशेखर
विश्व के रक्षक कला कलेश्वर
जय माता दी जी



शिव की वंदना करने वाला
धन वैभव पा जाये निराला
कष्ट निवारक शिव की पूजा
शिव सा दयालु और ना दूजा
जय माता दी जी


पंचमुखी जब रूप दिखावे
दानव दल में भय छा जावे
डम-डम डमरू जब भी बोले
चोर निशाचर का मन डोले
👏 जय माता दी जी 👏
💦 आप सब को होली मुबारक हो जी 👐



घोट घाट जब भंग चढ़ावे
क्या है लीला समझ ना आवे
शिव है योगी शिव सन्यासी
शिव ही है कैलास के वासी
जय माता दी जी
🍃 🌺 🌻


शिव का दास सदा निर्भीक
शिव के धाम बड़े रमणीक
शिव भृकुटि से भैरव जन्मे
शिव की मूरत राखो मन में
🙏जय माता दी जी 🙏
🌺🌻🌹🌷🌸



शिव का अर्चन मंगलकारी
मुक्ति साधन भव भयहारी
भक्त वत्सल दीन द्याला
ज्ञान सुधा है शिव कृपाला
🌾जय माता दी जी 🌾
🐚🐠🐟🐬 Jai Mata Di G -- Sanjay Mehta -- #sanjaymehtaa �🐋🐇🐉




शिव नाम की नौका है न्यारी
जिसने सबकी चिंता टारी
जीवन सिंधु सहज जो तरना
शिव का हरपल नाम सुमिरना
👳👮👷💂👼 🙏 जय माता दी जी 🙏👳👮👷💂👼
Jai Mata Di G -- Sanjay Mehta -- #sanjaymehtaa




तारकासुर को मारने वाले
शिव है भक्तो के रखवाले
शिव की लीला के गुण गाना
शिव को भूल के ना बिसराना
ૐ ψ ॐ🍎🍏🍊🍋🍒 🔔 जय माता दी जी 🔔🍎🍏🍊🍋🍒 ૐ ψ ૐ
Jai Mata Di G -- Sanjay Mehta -- #sanjaymehtaa




अन्धकासुर से देव बचाये
शिव ने अद्भुत खेल दिखाये
शिव चरणो से लिपटे रहिये
मुख से शिव शिव जय शिव कहिये
🍐🍌🍈🍑🍉🍇🍅जय माता दी जी 🍐🍌🍈🍑🍉🍇🍅
Jai Mata Di G -- Sanjay Mehta -- #sanjaymehtaa




भस्मासुर को वर दे डाला
शिव है कैसा भोला भाला
शिव तीर्थो का दर्शन कीजो
मन चाहे वर शिव से लीजो
🍃🍁🌺🌻🌹🌷💐जय माता दी जी 🍃🍁🌺🌻🌹🌷💐




शिव शंकर के जाप से मिट जाते सब रोग
शिव का अनुग्रह होते ही पीड़ा ना देते शोक



ब्र्हमा विष्णु शिव अनुगामी
शिव है दीन - हीन के स्वामी
निर्बल के बलरूप है शम्भु
प्यासे को जलरूप है शम्भु
🌾😜💜💛💙🌻🌹🙏जय माता दी जी 🙏🌾😜💜💛💙🌻🌹
Jai Mata Di G -- Sanjay Mehta -- #sanjaymehtaa




रावण शिव का भक्त निराला
शिव ने दी दश शीश कि माला
गर्व से जब कैलाश उठाया
शिव ने अंगूठे से था दबाया
जय माता दी जी




दुःख निवारण नाम है शिव का
रत्न है वो बिन दाम शिव का
शिव है सबके भाग्यविधाता
शिव का सुमिरन है फलदाता
जय माता दी जी
🐚🌺💜🌹🌷🌻😜👺🙏

महादेव शिव औघड़दानी
बायें अंग में सजे भवानी
शिव शक्ति का मेल निराला
शिव का हर एक खेल निराला
जय माता दी जी



शम्भर नामी भक्त को तारा
चन्द्रसेन का शोक निवारा
पिंगला ने जब शिव को ध्याया
देह छूटी और मोक्ष पाया
जय माता दी जी


गोकर्ण की चन चूका अनारी
भव सागर से पार उतारी
अनसुइया ने किया आराधन
टूटे चिन्ता के सब बंधन
जय माता दी जी



बेल पत्तो से पूजा करे चण्डाली
शिव की अनुकम्पा हुई निराली
मार्कण्डेय की भक्ति है शिव
दुर्वासा की शक्ति है शिव
जय माता दी जी



राम प्रभु ने शिव आराधा
सेतु की हर टल गई बाधा
धनुषबाण था पाया शिव से
बल का सागर तब आया शिव से
जय माता दी जी
जय शिव शक्ति





श्री कृष्ण ने जब था ध्याया
दश पुत्रों का वर था पाया
हम सेवक तो स्वामी शिव है
अनहद अन्तर्यामी शिव है
जय माता दी जी



दीन दयालु शिव मेरे, शिव के रहियो दास
घट - घट की शिव जानते , शिव पर रख विश्वास
जय माता दी जी



परशुराम ने शिव गुण गाया
कीन्हा तप और फरसा पाया
निर्गुण भी शिव निराकार
शिव है सृष्टि के आधार
जय माता दी जी
https://lh5.googleusercontent.com/-DePlL03zDYk/Uz4yeVsjS-I/AAAAAAAAAP4/LYZTPSuDTiQ/w506-h285/shiv-45-by-sanjay-mehta-ludhiana.gif


शिव ही होते मूर्तिमान
शिव ही करते जग कल्याण
शिव में व्यापक दुनिया सारी
शिव की सिद्धि है भयहारी
जय माता दी जी



शिव ही बाहर शिव ही अन्दर
शिव ही रचना सात समुन्द्र
शिव है हर इक के मन के भीतर
शिव है हर एक कण - कण के भीतर
जय माता दी जी



तन में बैठा शिव ही बोले
दिल की धड़कन में शिव डोले
'हम' कठपुतली शिव ही नचाता
नयनों को पर नजर ना आता
जय माता दी जी




माटी के रंगदार खिलौने
साँवल सुन्दर और सलोने
शिव हो जोड़े शिव हो तोड़े
शिव तो किसी को खुला ना छोड़े
जय माता दी जी



आत्मा शिव परमात्मा शिव है
दयाभाव धर्मात्मा शिव है
शिव ही दीपक शिव ही बाती
शिव जो नहीं तो सब कुछ माटी
जय माता दी जी



सब देवो में ज्येष्ठ शिव है
सकल गुणो में श्रेष्ठ शिव है
जब ये ताण्डव करने लगता
बृह्माण्ड सारा डरने लगता
जय माता दी जी



तीसरा चक्षु जब जब खोले
त्राहि त्राहि यह जग बोले
शिव को तुम प्रसन्न ही रखना
आस्था लग्न बनाये रखना
जय माता दी जी


विष्णु ने की शिव की पूजा
कमल चढाऊँ मन में सुझा
एक कमल जो कम था पाया
अपना सुंदर नयन चढ़ाया
जय माता दी जी



साक्षात तब शिव थे आये
कमल नयन विष्णु कहलाये
इन्द्रधनुष के रंगो में शिव
संतो के सत्संगों में शिव
जय माता दी जी


महाकाल के भक्त को मार ना सकता काल
द्वार खड़े यमराज को शिव है देते टाल
जय माता दी जी



यज्ञ सूदन महा रौद्र शिव है
आनन्द मूरत नटवर शिव है
शिव ही है श्मशान के वासी
शिव काटें मृत्युलोक की फांसी
जय माता दी जी


व्याघ्र चरम कमर में सोहे
शिव भक्तों के मन को मोहे
नन्दी गण पर करे सवारी
आदिनाथ शिव गंगाधारी
जय माता दी जी



काल में भी तो काल है शंकर
विषधारी जगपाल है शंकर
महासती के पति है शंकर
दीन सखा शुभ मति है शंकर
जय माता दी जी .





लाखो शशि के सम मुख वाले
भंग धतूरे के मतवाले
काल भैरव भूतो के स्वामी
शिव से कांपे सब फलगामी
जय माता दी जी



शिव है कपाली शिव भस्मांगी
शिव की दया हर जीव ने मांगी
मंगलकर्ता मंगलहारी
देव शिरोमणि महासुखकारी
जय माता दी जी



जल तथा विल्व करे जो अर्पण
श्रद्धा भाव से करे समर्पण
शिव सदा उनकी करते रक्षा
सत्यकर्म की देते शिक्षा
जय माता दी जी



वासुकि नाग कण्ठ की शोभा
आशुतोष है शिव महादेवा
विश्वमूर्ति करुणानिधान
महा मृत्युंजय शिव भगवान
जय माता दी जी




शिव धारे रुद्राक्ष की माला
नीलेश्वर शिव डमरू वाला
पाप का शोधक मुक्ति साधन
शिव करते निर्दयी का मर्दन
जय माता दी जी



शिव सुमरिन के नीर से धूल जाते है पाप
पवन चले शिव नाम की उड़ते दुख संताप
जय माता दी जी



पंचाक्षर का मंत्र शिव है
साक्षात सर्वेश्वर शिव है
शिव को नमन करे जग सारा
शिव का है ये सकल पसारा
जय माता दी जी




क्षीर सागर को मथने वाले
ऋद्धि सीधी सुख देने वाले
अहंकार के शिव है विनाशक
धर्म-दीप ज्योति प्रकाशक
जय माता दी जी


शिव बिछुवन के कुण्डलधारी
शिव की माया सृष्टि सारी
महानन्दा ने किया शिव चिन्तन
रुद्राक्ष माला किन्ही धारण
जय माता दी जी



भवसिन्धु से शिव ने तारा
शिव अनुकम्पा अपरम्पारा
त्रि-जगत के यश है शिवजी
दिव्य तेज गौरीश है शिवजी
जय माता दी जी



महाभार को सहने वाले
वैर रहित दया करने वाले
गुण स्वरूप है शिव अनूपा
अम्बानाथ है शिव तपरूपा
जय माता दी जी



शिव चण्डीश परम सुख ज्योति
शिव करुणा के उज्ज्वल मोती
पुण्यात्मा शिव योगेश्वर
महादयालु शिव शरणेश्वर
जय माता दी जी



शिव चरणन पे मस्तक धरिये
श्रद्धा भाव से अर्चन करिये
मन को शिवाला रूप बना लो
रोम रोम में शिव को रमा लो
जय माता दी जी



दशों दिशाओं मे शिव दृष्टि
सब पर शिव की कृपा दृष्टि
शिव को सदा ही सम्मुख जानो
कण-कण बीच बसे ही मानो
जय माता दी जी



शिव को सौंपो जीवन नैया
शिव है संकट टाल खिवैया
अंजलि बाँध करे जो वंदन
भय जंजाल के टूटे बन्धन
जय माता दी जी



जिनकी रक्षा शिव करे , मारे न उसको कोय
आग की नदिया से बचे , बाल ना बांका होय
जय माता दी जी




शिव दाता भोला भण्डारी
शिव कैलाशी कला बिहारी
सगुण ब्रह्म कल्याण कर्ता
विघ्न विनाशक बाधा हर्ता
जय माता दी जी



शिव स्वरूपिणी सृष्टि सारी
शिव से पृथ्वी है उजियारी
गगन दीप भी माया शिव की
कामधेनु है छाया शिव की
जय माता दी जी




गंगा में शिव , शिव मे गंगा
शिव के तारे तुरत कुसंगा
शिव के कर में सजे त्रिशूला
शिव के बिना ये जग निर्मूला
जय माता दी जी .




स्वर्णमयी शिव जटा निराळी
शिव शम्भू की छटा निराली
जो जन शिव की महिमा गाये
शिव से फल मनवांछित पाये
जय माता दी जी


शिव पग पँकज सवर्ग समाना
शिव पाये जो तजे अभिमाना
शिव का भक्त ना दुःख मे डोलें
शिव का जादू सिर चढ बोले
जय माता दी जी



परमानन्द अनन्त स्वरूपा
शिव की शरण पड़े सब कूपा
शिव की जपियो हर पल माळा
शिव की नजर मे तीनो क़ाला
जय माता दी जी



अन्तर घट मे इसे बसा लो
दिव्य जोत से जोत मिला लो
नम: शिवाय जपे जो स्वासा
पूरीं हो हर मन की आसा
जय माता दी जी



परमपिता परमात्मा पूरण सच्चिदानन्द
शिव के दर्शन से मिले सुखदायक आनन्द
जय माता दी जी



शिव से बेमुख कभी ना होना
शिव सुमिरन के मोती पिरोना
जिसने भजन है शिव के सीखे
उसको शिव हर जगह ही दिखे
जय माता दी जी



प्रीत में शिव है शिव में प्रीती
शिव सम्मुख न चले अनीति
शिव नाम की मधुर सुगन्धी
जिसने मस्त कियो रे नन्दी
जय माता दी जी


शिव निर्मल 'निर्दोष' 'संजय' निराले
शिव ही अपना विरद संभाले
परम पुरुष शिव ज्ञान पुनीता
भक्तो ने शिव प्रेम से जीता

ॐ नम: शिवाये ॐ नम: शिवाये ॐ नम: शिवाये ॐ नम: शिवाये ॐ नम: शिवाये ॐ नम: शिवाये ॐ नम: शिवाये ॐ नम: शिवाये ॐ नम: शिवाये ॐ नम: शिवाये ॐ नम: शिवाये