शनिवार, 26 जनवरी 2013

Durga Maa Stuti : Sanjay Mehta Ludhiana










हे भवानी, ओरो की तो बात ही क्या, अखिल सृष्टि के रचयिता प्रजापति ब्रह्मा जी चारो मुखो से भी तुम्हारी स्तुति नहीं कर सकते, त्रिपुरहर शंकर पांच मुख रहते हुए भी इस विषय में मूक होकर रह जाते है, छ: मुखवाले कार्तिकेय भी मन मारकर बैठ जाते है। उन सबकी कौन कहे हजार मुखवाले शेष जी भी मन मसोसकर रह जाते है, परन्तु तुम्हारी स्तुति नहीं कर पाते कोई करे भी तो कैसे? तुम्हारे गुणों का थाह पावे तब ना ... फिर मेरे जैसे जीवों की तो सामर्थ्य ही क्या जो माँ इस काम में हाथ डालने का साहस करे।
जय माता दी जी
जय देवी माँ
जय माँ शक्ति


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Sanjay Mehta








शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

सून नगरकोट दीये रानीये Sanjay Mehta ludhiana










सून नगरकोट दीये रानीये ..तेरे गल्ल फूल्लाँ दे हार
तेरे बच्चढे वाँजाँ मारदे..आ सून बच्चेयाँ दी पूकार
मेरी नैया डगमग डोलदी-डोलदी..कर शैराँवाली पार
जो दर तेरे ते आ गया होये कारज्ज उसदे रास
मैं मंगता तेरे द्वार दा ..
माँ ऐह मेरी अरदास....
अपने बच्चेयाँ दी दातीये-दातीये हूण तोढ न देवीः आस
हो तेरी जय जय माँ..तेरी जय जय माँ..तेरी जय जय माँ

तू वाली दो जहान दी..तेरा कुल दुनिया ते राज
तेरा पानी भरदे देवते तेरा हर कोई मोहताज
तेरी नजर सव्वली राणीये देदेः फक्कढाँ नू ताज
हो तेरी जय जय माँ..तेरी जय जय माँ..तेरी जय जय माँ


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Jo drr tere te Aa gayaa hoye karjj usade raas
Main mangataa tere dvaar daa ..
Maan Aih merii Aradaas....
Apane bachcheyaan dii daatiiye..daatiiye hoon tod Na deyee aas
ho teri jay jay maa..teri jay jay maa..teri jay jay maa

Tum waali do jaahan ki..tera kul duniya te raaj..
Tera paani bharde devte...tera har koi mohtaaj
Teri nazar swlii raaniye..raaniye..de de fakaan nu taj
ho teri jai jai maa..teri jai jai maa..teri jai jaii maa
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गुरुवार, 24 जनवरी 2013

ध्यान : Dhyan : Sanjay Mehta Ludhiana








ध्यान


उनकी कांति ऐसी है मानो जपाकुसुम हो। प्रात:कालीन सूर्य के समान अरुण कांति से वह शोभा पा रही है। द्वितीय के चन्द्रमा उनके मुकुट में विद्यमान है। वे वर, पाश, अंकुश और अभयमुद्रा धारण किये है। उनके सभी अंग अत्यंत मनोहर है। कोमल लता की भाँती शोभा पानेवाली वे भगवती शिवा है। भक्तो के लिए वे भगवती जगदम्बा कल्पवृक्ष है। अनेक प्रकार के भूषण उनकी शोभा बढ़ा रहे है। तीन नेत्रोवाली वे देवी अपनी वेणी में चमेली की माला धारण के कारन अत्यंत शोभा पा रही है। उनकी चारो दिशाओ में वेद मूर्तिमान होकर उनका यशोगान कर रहे है। उन्होंने अपने दांतों की आभा से वहां की भूमि को इस प्रकार उज्ज्वल बना दिया है मानो पद्मराग बिछा हो। उनका प्रसन्न मुख करोड़ो कामदेवों के समान सुंदर है। वे लाल रंग के वस्त्र पहने है। और उनका श्री विग्रह रक्तचंदन से चर्चित है। वे हिमालय पर प्रकट होनेवाली 'उमा' नाम से विखात कल्याण-स्वरूपिणी भगवती जगदम्बा है। बिना ही कारण करुणामयी वे देवी सम्पूर्ण कारणों की भी कारण है। उनके दर्शन करते ही संजय का अंत:कर्ण प्रेम से गदगद हो जाता है। आँखों में प्रेमाश्रु और शरीर में रोमांच हो जाता है। भगवती जगदीश्वरी के श्री चरणों में संजय का दंडवत प्रणाम।

जय माता दी जी
जय जय माँ

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रविवार, 20 जनवरी 2013

खैरआं दाती ते वंडदी है हर वेले : Sanjay Mehta Ludhiana












खैरआं दाती ते वंडदी है हर वेले
तैनू मँगणा न आवै ते मैं की कराँ
दुःख सबना ते माँ ते सुणदी ऐ
तैनू द्सणा ना आवै ते मैं की कराँ

मेहरा वाली ते मेहरां करी जा रही
ओह्न्धी मेहर किसे तोंह वख नहियो
ओ किथे है की है कैसी है
एह देखण लई तेरे कोल आँख नहियो
ओ तंह कण-कण -च भगतां रेह्न्दी है
तैनू तकणा ना आवै ते मैं की कराँ

ओथे कम्म नहीं धोंस ते धमकी दा
तैथों निम् के ना दर्र ते बेय होया
सिर्फ श्रधा दी भुक्खी माँ कोलों
तैथों सच्चा ही सुख ना लै होया
फल नीवें द्रख्तां नु लगदे ने
तैनू झुकाना ना आवै ते मैं की कराँ

ओथे देर ते है अंधेर नहीं
तैथों सब्र-सिध्क ना रख होया
तेरा कच्चा भरोसा भटक गया
नाम रास ना टिक के चख़ होया
औधी मार दे विच वी ममता है
एह समझ ना आवै ते मैं की कराँ

रब्ब रुस्स जावे ते केंदे .... मन्न जांदा
रुस्सी माँ नु मानोणा मुश्किल ऐ
अस्सी नाम ताँ लेंदे ध्यानु दा
शीश कट के चढ़ाना मुश्किल ऐ
संजय माँ मोया नु दे ज़िन्दगी
तैनू मरना ना आवै ते मैं की कराँ

खैरआं दाती ते वंडदी है हर वेले
तैनू मँगणा न आवै ते मैं की कराँ


--
Sanjay Mehta







शनिवार, 19 जनवरी 2013

अच्छा काम ही यज्ञ है Sanjay Mehta Ludhiana












आप कोई भी अच्छा काम करते है तो वह यज्ञ है। अग्नि में आहुति देने से ही यज्ञ होता है, ऐसा नहीं है। परमात्मा प्रसन्न हो सके, ऐसा कोई भी कार्य करिए तो वह यज्ञ ही है। प्रभु प्रसन्न हुए कि नहीं ऐसा जानने की युक्ति है। जो काम करते है, उसके पूर्ण होने पर आपको आनंद की अनुभूति होती है। आपका मन प्रसन्न रहता है, शांत रहता है तो मानिए की परमात्मा प्रसन्न है और जो काम करने पर मन चंचल हो, अशांत हो, खिन्न हो, भीतर से उद्वेग हो तो मानिए की प्रभु नाराज है।
जय माता दी जी
जय माँ दुर्गे
जय माँ राज रानी

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गुरुवार, 17 जनवरी 2013

भगवान् मायापति है : Jai Mata Di G : Sanjay Mehta Ludhiana









भगवान् मायापति है, इस हेतु भगवान् के नाम के साथ उनकी माया का भी नाम होना आवश्यक है। शक्ति शक्तिमान से भिन्न नहीं है और ना वह कभी शातिमान को छोड़कर रह ही सकती है। दोनों का नाम एक साथ मिलकर उच्चारण करने की प्रथा प्राय: सभी सम्प्रदायों में देखि जाती है। नारायण जी ने नारद जी से कहा है। कि प्रकृति जगत की माता है तथा पुरष जगत के पिता है। तीनो लोको की माता का दर्जा पिता से सौगुना अधिक है, इससे 'हे राधाकृष्ण , हे गौरीशंकर हे सीताराम' ऐसे प्रयोग वेदों में मिलते है। 'हे कृष्णराधे , हे ईश्गौरी , हे रामसीता ' यह कोई नहीं कहता है। जो पहले पुरष के नाम का उच्चारण करता है, वह मनुष्य वेदवाक्य का उल्लंघन करनेवाला पापी होता है। जो आदि में राधा का नाम लेकर पश्चात परात्पर कृष्ण का नाम लेता है, वही पंडित , योगी अनायास ही गोलोक को प्राप्त करता है .
भगवान् का नाम चलते-फिरते, दिन-रात , उठते-बैठते, जैसे हो वैसे ही जपना चाहिए इसमें कोई बाधा नहीं है। नाप-जप में किसी नियम-संयम की आवश्यकता नहीं है, और देश-काल का भी विचार नहीं है। मनुष्य केवल राम -नाम के कीर्तन से मुक्त हो जाता है। यज्ञ में, दान में, स्नान में, तहत जप में भी काल का विचार है। किन्तु विष्णु के कीर्तन में काल का विधान बिलकुल नहीं है। घूमता हुआ, बैठा हुआ, सोता हुआ, पीता हुआ, खाता हुआ, और जपता हुआ कृष्ण नाम के संकीर्तन मात्र से मनुष्य पाप से मुक्त हो जाता है। बैठे हुए, सोते हुए, खाते हुए, खेलते हुए तथा चलते-फिरते सदा राम का ही चिंतन करते रहना चाहिए।

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मंगलवार, 15 जनवरी 2013

मेरी अंखिया च शेरावाली माँ बस गई नैन खोला किवे : Meri Akhiya ch Sherawali Maa Bas Gai : Sanjay Mehta Ludhiana







मेरी अंखिया च शेरावाली माँ बस गई नैन खोला किवे
मेरे दिल विच ओह्न्दी तस्वीर बस गई भेद खोला किवे



लोकी पुछदे तू मुंहो क्यों नहीं बोल्दी
तक्क दुनिया नु अक्खा क्यों नहीं खोलदी
एह सुन के मै अख जरा होर कस लई .. नैन खोला किवे
मेरी अंखिया च शेरावाली माँ बस गई नैन खोला किवे

मै ता डरदी सुरमा वी ना पांदी
एहो गल मेनू दिन रात खांदी
किते मैया जी नु सुरमे दी सलाई लग गई .. नैन खोला किवे
मेरी अंखिया च शेरावाली माँ बस गई नैन खोला किवे

मेरे अपने बेगाने ताने मारदे
ताने मार लैन मेरा की बिगाड़दे
जान मेरी ता जानी माँ दे नाल लग गई .. नैन खोला किवे
मेरी अंखिया च शेरावाली माँ बस गई नैन खोला किवे

मै हां भगत गुलाम उद्दे दर दी
मै हां नोकरानी मैया जी दे दर दी
मेरे नैना विच मैया जी दी जोत जग गई .. नैन खोला किवे
मेरी अंखिया च शेरावाली माँ बस गई नैन खोला किवे






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सोमवार, 14 जनवरी 2013

मकर संक्रांति का महत्व : Makar Sankrati : Sanjay Mehta Ludhiana











मकर संक्रांति एक प्रमुख फसल भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है. मकर संक्रांति जनवरी के मध्य में पौष के महीने में मनाया जाता हैं. इस त्यौहार को फसल के मौसम की शुरुआत और पूर्वोत्तर मानसून की समाप्ति कहा जाता हैं. मकर संक्रांति हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता हैं.मकर संक्रांति का त्यौहार किसानों का त्यौहार भारतीय संस्कृति में एक शुभ चरण की शुरुआत के रूप में माना जाता है.चंद्र कैलेंडर के अनुसार, जब कैंसर की रेखा से मकर रेखा या दक्षिणायना से उत्तरायण सूरज कदम पर हो तो इस त्यौहार का आगमन होता है.यह माना जाता है कि किसी भी शुभ और पवित्र अनुष्ठान किसी भी हिंदू परिवार में, इस दिन पर करना शुभ माना जाता हैं. मकर संक्रांति का त्यौहार ठंड के मौसम की समाप्ति और एक नई फसल या बसंत के मौसम की शुरुआत हैं.

देश भर में, मकर संक्रांति बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है.यह देश के विभिन्न भागों में अलग नाम और अनुष्ठानों के साथ मनाया जाता है. उत्तरी और पश्चिमी भारत के राज्यों में यह त्योहार विशेष उत्साह और जोश के साथ संक्रांति के दिन के रूप में मनाया जाता है. इस दिन पर लाखों लोग गंगा सागर में डुबकी लगाते हैं और सूर्या भगवान की पूजा करते है. दक्षिण भारत में यह त्यौहार पोंगाल के नाम से जाना जाता हैं. इस दिन पर लोग पतंगे उड़ाते हैं. सारा आकाश सुंदर सुंदर पतंगों से भरा होता हैं.महाभारत जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी इस दिन के महत्व को सम्मलित किया गया हैं. उत्तर प्रदेश में इस त्यौहार को खिचरी के नाम से जाना जाता हैं. एक महीने पहले ही माघ मेला शुरू हो जाता हैं इस त्यौहार पर.. बंगाल में एक बहुत बड़ा मेला लगता हैं गंगा के किनारे. यह त्यौहार सूर्या भगवान का त्यौहार माना जाता हैं और पूरे भारत में बहुत धूम धाम से मनाया जाता हैं.

मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति भारत के प्रमुख त्योहार में से एक हैं. यह त्यौहार विभिन्न राज्यों में अलग - अलग नामों के साथ मनाया जाता है. तमिलनाडु में पोंगल कहा जाता है. असम में माघ बिहू और भोगल बिहू के रूप में मनाया जाता है. पंजाब और हरियाणा के कुछ राज्यों में यह लोहड़ी त्योहार के रूप में मनाया जाता है. उत्तर प्रदेश में यह खिचड़ी या दान के त्योहार के रूप में मनाया जाता है. बिहार में यह तिल संक्रांति या खिचड़ी त्योहार के रूप में जाना जाता है. मकर सकरांति का महत्व हिंदुओं के लिए समर्पित हैं.और एक हिंदू कैलेंडर में सबसे महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है. इस दिन भगवान सूर्य (सूर्य देवता) की पूजा की जाती है. हर जीवित और ब्रह्म और सूर्य के साथ निर्जीव होने विलीन हो जाती है.

मकर संक्रांति सर्दियों के अंत और उत्तरी गोलार्द्ध भर में वसंत की शुरुआत का संकेत है. 'मकर' का अर्थ मगरमच्छ. संक्रांति का अर्थ पार करने का हैं.छह महीने के लंबे उत्तरायण मकर संक्रांत दिन पर शुरू होता है.. उत्तरायण भी देवता का दिन है और इसलिए शुभ गतिविधियों इस अवधि के दौरान जगह लेती है.

इस दिन मिथकों की महाभारत में भीष्म पितामह की मौत हुई थी. यह माना जाता है कि लोग उत्तरायण के दौरान मरने पर ब्रह्म के समान विलीन हो जाते हैं. इस दिन भगवान विष्णु ने असूरों को नीचे दफ़नकर उन पर मंडरा पहाड़ डाल दिया था.राजा भागीराता लाया गंगा पतला में मकर संक्रांति के दिन नीचे. यह अपने पूर्वजों जो बाबा कपिला द्वारा शापित थे और राख में बदल मुक्ति पाने के लिए था. इस दिन लाखों लोग मकर सकरांति के दौरान कुंभ मेला या माघ मेला में गंगा सागर में स्नान करते हैं.
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शुक्रवार, 11 जनवरी 2013

प्रार्थना









प्रार्थना


दयामयी जननी! आनंदमयी, स्नेहमयी, अमृतमयी माँ!! तुम्हारी जय हो! माँ! जिस प्रकार बिना पंख के पक्षी अपनी माँ की बाट जोहते रहते है, जैसे भूख से पीड़ित बछड़े अपनी माँ की बाट देखते रहते है, वैसे ही माँ! मै तुम्हारी बाट देखता रहता हु। माँ तुम जल्दी से आकर मुझे दर्शन दो। तुम मेरे मन में, शरीर में व्याप्त हो। मै तुम्हे समझ सकू, तुम्हारा दर्शन कर सकूँ, ऐसी बुद्धिशक्ति मुझे प्रदान करो माँ
जय माँ दुर्गे
जय माँ कालिके
जय माँ वैष्णवी
जय माँ राज रानी

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गुरुवार, 10 जनवरी 2013

माता का विराट रूप : Mata G ka Viraat Roop : Sanjay Mehta Ludhiana








माता का विराट रूप


आँखे मूँद कर मनन कीजिये कि हजारों कमल-पुष्प एकदम खिल उठे। सोचिये कि एक हजार सूर्य, एक ही आकाश-मंडल में एक साथ उदय हो गए ऐसा ही उसका रूप, ऐसा ही उसका तेज सूर्य और चन्द्र उसके दोनों नेत्र है नक्षत्र आभूषण है, हरी भरी धरा का सिंहासन और नीला आकाश उस पर छत्रछाया है। सिन्दूरी लाल सुए फूलों में उसका रूप झलकता है। अस्ताचल को जाते हुए रक्तवर्ण सूर्य में भी वही दीप्तिमान है। हिमपात के कारण सफेद चादर से ढके हुए पर्वतों में विराजमान है, श्वेत हंस-वाहन पर श्वेत-वस्त्र धारण किये सरस्वती के रूप में शोभायमान है, स्त्रियों की लज्जा में, योद्धाओ के आक्रोश में और विकराल काल-ज्वाला की लपटों रूपी जिव्हा में दमक रही है, जैसे किसी शिशु को स्तनपान करते हुए अपनी ममतामयी माँ का स्नेह मिल रहा हो। त्रिपुर-सुन्दरी के रूप में अद्वितीय सम्मोहन है और महाकाली के रूप में नरमुंडो की माला पहने भयानक नृत्य करती है। यद्यपि वह निर्गुण है तथापि समय -समय पर दुष्टों के नाश के लिए अवतार धारण करती है।
जय माता दी जी
जय माँ वैष्णो देवी
जय माँ दुर्गे
जय माँ राज रानी

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बुधवार, 9 जनवरी 2013

मंगलवार, 8 जनवरी 2013

द्वादश ज्योतिर्लिंग : Dwadish Jyotrling : Sanjay Mehta Ludhiana












सोमनाथ सौराष्ट्रमें , वैद्यनाथ, केदार।
मल्लिकार्जुन शैल-श्री, महाकाल ओंकार।।
महाकाल ओंकार त्र्यम्बक प्रभु घुश्मेश्वर।
रामेश्वर नागेश डाकिनी-सँग भीमेश्वर।।
विश्वनाथ दातार दरस काशीमें पाये।
ये द्वादश महादेव, जो ज्योतिर्लिंग कहाये
दोहा
इनके दर्शन मात्र से नासत पाप पहार
निसि - दिन सुमिरन जो करे हो जाये उद्धार

अपने अपने उद्धार के लिए बोले
जय माता दी , हर हर महादेव
जय माँ राज रानी

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सोमवार, 7 जनवरी 2013

हे प्रभु जी : Sanjay Mehta Ludhiana









हे प्रभु जी ! क्या आपके खिले पंकज के समान चरण युगल को स्वप्न में भी देखने का सौभाग्य मुझे प्राप्त होगा? जब अपने आचरणों की और मै देखता हु, तब तो मै निराशा से घिर जाता हु, किन्तु आपकी अपार दया का स्मरण कर मन में फिर से आशा का संचार होने लगता है। उस समय मै अपने मन को आश्वासन देता हु और कहता हु, तू नीच है तो क्या हुआ तेरा स्वामी तो परम कृपालु है। वह तुझपर अवश्य कृपा करेंगे, निश्चित रह संजय
जय माता दी जी
हर हर महादेव
जय श्री कृष्णा
जय श्री ब्रह्मा
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बुधवार, 2 जनवरी 2013

शक्ति तत्व : Shakti Tatv : Sanjay Mehta Ludhiana









श्री दुर्गा जी दुर्गतिनाशिनी है। दुर्गति को विनिष्ट करने के वीरता की आवश्यकता है। वीर सिंह-समान शत्रुओ को भी अपने वश में रखता है। इस बात की शिक्षा देने के लिए उनका वाहन सिंह है

प्रलयकाल में ब्रह्मांड शमशान हो जाता है जीवों के रुण्ड -मुण्ड इधर - इधर बिखरे रहते है। इसलिए परमेश्वर अथवा परमेश्वरी को लोग चिता -निवासी और रुण्ड -मुण्डधारी कहते है। क्युकि उस समय उनके अतरिक्त दुसरे की सत्ता नहीं रहती।

माता के भय से पापी राक्षसों के रक्त-मॉस सुख जाते है अतएव कवियों ने कल्पना की है कि वे रक्तमांस का उपयोग करती है। मार्कंडेयपुराण में लिखा है कि वे युद्ध के समय मद्य पीती थी। मद्य और मधु से अभिप्राय अभिमान अथवा उन्मत्तता करनेवाला आचरण का है। इश्वर दीनबंधु और अभिमान-द्वेषी है। उनमे अभिमान की मात्रा भी नहीं है।

सर्वव्यापक होने के कारण वे सब दीशाओ में व्याप्त है, जो उनके वस्त्र के समान है। इसी से उनका नाम दिगंबरा है।

परमात्मा निराकार रहकर भी सब काम कर सकते है। पर वे दिव्या मूर्ति धारण करते है कि जिसमे लोग अपने बाल-बच्चो के साथ मूर्तिपूजा कर शीघ्र हमें प्राप्त करे।

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मंगलवार, 1 जनवरी 2013

108 Names Of Maa Durga Ji With Meanings: Sanjay Mehta Ludhiana








108 Names Of Maa Durga Ji With Meanings:


001.Durga @ The Inaccessible
002.Devi @ The Diety
003.Tribhuvaneshwari @ Goddess of The Three Worlds
004.Yashodagarba Sambhoota @ Emerging From Yashoda's Womb
005.Narayanavarapriya @ Fond of Narayana's Boons
006.Nandagopakulajata @ Daughter Of The Nandagopa Race
007.Mangalya @ Auspicious
008.Kulavardhini @ Developer Of The Race
009.Kamsavidravanakari @ Threatened Kamsa
010.Asurakshayamkari @ Reducer Of The Number Of Demons
011.Shilathata Vinikshibda @ At Birth,Slammed By Kamsa
012.Akashagamini @ Flew In The Sky
013.Vasudevabhagini @ Sister Of Vasudeva
014.Divamalya Vibhooshita @ Adorned With Beautiful Garlands
015.Divyambaradhara @ Beautifully Robed
016.Khadgaketaka Dharini @ Holder Of Sword And Shield
017.Shiva @ Auspicious
018.Papadharini @ Bearer Of Others' Sins
019.Varada @ Granter Of Boons
020.Krishna @ Sister Of Krishna
021.Kumari @ Young Girl
022.Brahmacharini @ Seeker Of Brahman
023.Balarkasadrushakara @ Like The Rising Sun
024.Purnachandra Nibhanana @ Beautiful Like The Full Moon
025.Chaturbhuja @ Four-Armed
026.Chaturvakttra @ Four-Faced
027.Peenashroni Payodhara @ Large Bosomed
028.Mayoora Pichhavalaya @ Wearer Of Peacock-Feathered Bangles
029.Keyurangadadharini @ Bejewelled With Armlets And Bracelets
030.Krishnachhavisama @ Like Krishna's Radiance
031.Krishna @ Dark-Complexioned
032.Sankarshanasamanana @ Equal To Sankarshana
033.Indradhwaja Samabahudharini @ With Shoulders Like Indra's Flag
034.Patradharini @ Vessel-Holder
035.Pankajadharini @ Lotus-Holder
036.Kanttadhara @ Holder of Shiva's Neck
037.Pashadharini @ Holder Of Rope
038.Dhanurdharini @ Holder Of Bow
039.Mahachakradharini @ Holder Of Chakra
040.Vividayudhadhara @ Bearer Of Various Weapons
041.Kundalapurnakarna Vibhooshita @ Wearer Of Earrings Covering The Ears
042.Chandravispardimukha @ Beautiful Like The Moon
043.Mukutavirajita @ Shining With Crown Adorned
044.Shikhipichhadwaja Virajita @ Having Peacock-Feathered Flag
045.Kaumaravratadhara @ Observer Of Fasts Like Young Girls Do
046.Tridivabhavayirtri @ Goddess Of The Three Worlds
047.Tridashapujita @ The Goddess Of The Celestials
048.Trailokyarakshini @ Protector Of The Three Worlds
049.Mahishasuranashini @ Destroyer Of Mahisha
050.Prasanna @ Cheerful
051.Surashreshtta @ Supreme Among The Celestials
052.Shiva @ Shiva's Half
053.Jaya @ Victorious
054.Vijaya @ Conqueror
055.Sangramajayaprada @ Granter Of Victory In The War
056.Varada @ Bestower
057.Vindhyavasini @ Resident Of The Vindhyas
058.Kali @ Dark-Complexioned
059.Kali @ Goddess Of Death
060.Mahakali @ Wife Of Mahakala
061.Seedupriya @ Fond Of Drinks
062.Mamsapriya @ Fond Of Flesh
063.Pashupriya @ Fond Of All Beings
064.Bhootanushruta @ Well-Wisher Of Bhootaganas
065.Varada @ Bestower
066.Kamacharini @ Acting On One's Own Accord
067.Papaharini @ Destroyer Of Sins
068.Kirti @ Famed
069.Shree @ Auspicious
070.Dhruti @ Valiant
071.Siddhi @ Successful
072.Hri @ Holy Chant Of Hymns
073.Vidhya @ Wisdom
074.Santati @ Granter Of Issues
075.Mati @ Wise
076.Sandhya @ Twilight
077.Ratri @ Night
078.Prabha @ Dawn
079.Nitya @ Eternal
080.Jyotsana @ Radiant Like Flames
081.Kantha @ Radiant
082.Khama @ Embodiment Of Forgiveness
083.Daya @ Compassionate
084.Bandhananashini @ Detacher Of Attachments
085.Mohanashini @ Destroyer Of Desires
086.Putrapamrityunashini @ Sustainer Of Son's Untimely Death
087.Dhanakshayanashini @ Controller Of Wealth Decrease
088.Vyadhinashini @ Vanquisher Of Ailments
089.Mruthyunashini @ Destroyer Of Death
090.Bhayanashini @ Remover Of Fear
091.Padmapatrakshi @ Eyes Like The Lotus Leaf
092.Durga @ Remover Of Distress
093.Sharanya @ Granter Of Refuge
094.Bhaktavatsala @ Lover Of Devotees
095.Saukhyada @ Bestower Of Well-Being
096.Arogyada @ Granter Of Good Health
097.Rajyada @ Bestower Of Kingdom
098.Ayurda @ Granter Of Longevity
099.Vapurda @ Granter Of Beautiful Appearance
100.Sutada @ Granter Of Issues
101.Pravasarakshika @ Protector Of Travellers
102.Nagararakshika @ Protector Of Land
103.Sangramarakshika @ Protector Of Wars
104.Shatrusankata Rakshika @ Protector From Distress Caused By Foes
105.Ataviduhkhandhara Rakshika @ Protector From Ignorance And Distress
106.Sagaragirirakshika @ Protector Of Seas And Hills
107.Sarvakaryasiddhi Pradayika @ Granter Of Success In All Attempts
108.Durga @ Deity Durga
*Shri Durga Maa Sharnam : Hari Rajan Durgia*
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Sanjay Mehta








कामाख्या देवी : Kamakhya Devi : Sanjay Mehta Ludhiana








कामाख्या देवी - यह मंदिर आसाम में है ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर गोहाटी से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कहा जाता है की यहाँ भगवती की कोख गिरी थी नीलाचल पर्वत पर स्थित यह मंदिर भगवती कामख्या देवी के नाम से जाना जाता है। यहाँ पर तांत्रिक लोग अपनी साधना सफल बनाते है।
कामाख्या मंदिर की महिमा


कामाख्या शक्तिपीठ जिस स्थान पर स्थित है, उस स्थान को कामरुप भी कहा जाता है. 51 पीठों में कामाख्या पीठ को महापीठ के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है. इस मंदिर में एक गुफा है. इस गुफा तक जाने का मार्ग बेहद पथरीला है. जिसे नरकासुर पथ कहते है. मंदिर के मध्य भाग में देवी की विशालकाय मूर्ति स्थित है. यहीं पर एक कुंड स्थित है. जिसे सौभाग्य कुण्ड कहा जाता है.

कामाख्या देवी शक्ति पीठ के विषय में यह मान्यता है कि यहां देवी को लाल चुनरी या वस्त्र चढाने मात्र से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.
तांत्रिक और छुपी हुई शक्तियों की प्राप्ति का महाकुंभ

कामाख्या शक्तिपीठ देवी स्थान होने के साथ साथ तंत्र-मंत्र कि सिद्दियों को प्राप्त करने का महाकुंभ भी है. देवी के रजस्वला होने के दिनों में उच्च कोटियों के तांत्रिकों-मांत्रिकों, अघोरियों का बड़ा जमघट लगा रहता है. तीन दिनों के उपरांत मां भगवती की रजस्वला समाप्ति पर उनकी विशेष पूजा एवं साधना की जाती है. इस महाकुंभ में साधु-सन्यासियों का आगमन आम्बुवाची अवधि से एक सप्ताह पूर्व ही शुरु हो जाता है. इस कुम्भ में हठ योगी, अघोरी बाबा और विशेष रुप से नागा बाबा पहुंचते है.


जय माँ कामख्या देवी
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