गुरुवार, 29 मार्च 2012

माँ , Meri Maa Raj Rani Mehta. Sanjay Mehta Ludhiana







माँ

यह सोच आज आँखों में दो आंसू आये
कोई बताये ऐसी अच्छी माँ हम कहा से लाये

कांटो को जिसने हमसे हरदम दूर हटाया
हाथ पकड़ कर जिसने हमें चलना सिखाया
सुनकर बाते अच्छी , जिसने हमें रोज सुलाया
कोई बताये ऐसी अच्छी माँ हम कहा से लाये

जाग जाग रातो में, जिसने हमें पाठ पढ़ाया
दुनिया के सामने, एक अच्चा इंसान बनाया
हमारी ख़ुशी के लिए, चुने जिसने दुःख के साए
कोई बताये ऐसी अच्छी माँ हम कहा से लाये

हो जाते कभी हम जो बीमारी से परेशान
छोड़ काम सारे हम पर ही देती पूरा ध्यान
सेवा में हमारी जिसने दिन रात एक बनाया
कोई बताये ऐसी अच्छी माँ हम कहा से लाये

देख ख़ुशी हमारी, जो सबसे ज्यादा खुश होती
दुःख से हमारे सबसे पहले सबसे ज्यादा रोती
ऐसे कोमल भाव हमने किसी में ना पाए
कोई बताये ऐसी अच्छी माँ हम कहा से लाये

जिस पर माँ की ममता का निर्मल साया
उससे धनवान कभी हमने जग में नहीं पाया
जिसके लिए हरि भी झोली ले द्वार पर आये
कोई बताये ऐसी अच्छी माँ हम कहा से लाये

जब कभी भगवान का ध्यान हमने लगाया
स्वर्ग - सुख माँ हमने , तेरे चरणों में पाया
आज नहीं बीच हमारी, ये सोच मन घबराये
कोई बताये ऐसी अच्छी माँ हम कहा से लाये

माँ की दया की नहीं कर सकते कोई गिनती
इसलिए प्रभु आपके चरणों में करता हु विनती
माँ की ममता के आँचल से ना करो किसी भी पराये
कोई बताये ऐसी अच्छी माँ हम कहा से लाये


जय माँ वैष्णो रानी
जय माँ राज रानी
जय माता दी जी
जय जय माँ














दुआ Dua By Sanjay Mehta Ludhiana







दुआ



रंज व् गम से और बीमारी से राहत हो नसीब
सब को अपने अपने अरमानो की जन्नत हो नसीब
गौदिया खाली है जिन माओ की उन पर रहम हो
सरे मेहरुमो को या रब मॉल व दौलत हो नसीब
वक्त पर बरसात हो खेतो में हरियाली रहे
सब को रोजी हो मयस्सर सब को इज्जत हो नसीब
हर तरफ नेकी नजर आये सभी की जीत हो
सब को मंजिल पर पौह्चने की सआदत हो नसीब
खोट दिल का दूर हो सब को मिले सब्र व् सुकूं
सब को आजादी मिले और सब को सरवत हो नसीब
राजा - प्रजा दोनों इन्साफ के ताबे रहे
इक सुरुरे जाद्वां की सबको नेएमत हो नसीब
जय माता दी जी
जय जय माँ
संजय मेहता








शनिवार, 24 मार्च 2012

रंग गया, राम भजन में चोला Rang Gya Ram Bhajan Mai Chola. By Sanjay Mehta Ludhiana

रंग गया, राम भजन में चोला
रंग गया, हरी के भजन में चोला
अब ना चाह रही कुछ मन में
खाली हो गया झोला
दौलत के पीछे भी भागे, जैसे दिन बीत जाता
हर दम कुछ पाने की गरज में, दौड़ा दिन और राता
हाथ ना लग पाया मेरे कुछ, जब जब ह्रदय टटोला
रंग गया, राम भजन में चोला
खाली हाथ आया था जग में , खाली हाथ है जाना
पता नहीं कितनी साँसों का, बाकी आना जाना
सारा जीवन व्यर्थ गवाया , मै हु कितना भोला
रंग गया, राम भजन में चोला
चार दिवस की जीवन है बस, प्रभु से लगन लगालो
जो करना था सब कर लिया, अब तो हरी गुण गा लो
बाद पड़े ना फिर पछताना , राम राम नहीं भुला
रंग गया, राम भजन में चोला

बुधवार, 21 मार्च 2012

चल मेरे नाल तेनु, घर ले के जाना है , Chal Mere Naal Tenu Ghar le ke jana hai


दिल दिया गलां दिल विच रहियां
माँ नु ना कहिया
अज कहना , कल कहना
एह ता उम्रा लंग गईआ
हुन ता शायद आ जावे
ओहनू पता है जाना है
चल मेरे नाल तेनु, घर ले के जाना है

संजय एह दुःख सारे तेरे अग्गे कह गए
तेरे चरना दे विच अम्मिये नी बह गए
खुद वी मै रोना है, तेनु वी रुलाना है
चल मेरे नाल, तेनु घर ले के जाना है


माँ वो घर जो तुमने हमें रहने को दिया है
तेरे उस घर मे तेरे स्वागत की कितनी तयारी है

घर मेरे अम्मिये ने, एक तेरे सिंहासन है
माँ उस सिंहासन ते , तेरा ही आसन है
तेरे उस आसन ते, तेरी मूर्ति न्यारी है
तेरी मूर्ति मैया जी, सानु जान तो प्यारी है

माँ इह परिवार मेरा, तेरी महिमा गान्दा है
तेरी रह दे विच दाती, पया नैना विछंदा है
खुद चल वेख लवो , कीनिया कु उडिका ने
तेरे औन दिया माइये, पै गईआ तारिका ने

नी मै कह के आया सा. घर ओहदों आवांगा
जद नाल मै अपने अम्मी नु लियावंगा, दाती नु लिआवांगा , मैया नु लिआवांगा...

माये नी मै ले के जाना , माये नी मै ले के जाना
ज्योत जगा के , गीत सुना के , बैठा दर ते आके
माये नी मै ले के जाना , माये नी मै ले के जाना

सुन नगरकोट दिए रानिय , तेरे गल फुला दे हार
तेरे बच्च्ड़े वाजां मारदे, आ सुन बच्चिय दी पुकार
मेरी नैया डगमग डोल्दी, कर शेरावाली पार
तेरी जय जय माँ , तेरी जय जय माँ, तेरी जय जय माँ

जो दर तेरे ते आ गया, होए कारज उस दे रास
मै मंगता तेरे द्वार दा , माँ इह मेरी अरदास
अपने बच्चिय दी दातिये , तू तोड़ ना देवी आस
तेरी जय जय माँ , तेरी जय जय माँ, तेरी जय जय माँ

तू वाली दो जहान दी , तेरा कुल दुनिया ते राज
तेरा पानी परदे देवते, तेरा हर कोई मोहताज
नेरी नजर स्वली रानिय, देदे फकड़ा नु ताज
तेरी जय जय माँ , तेरी जय जय माँ, तेरी जय जय माँ

तू आवे ते आजावन मेरे आँगन विच बहारा
कोयल वांगु कुक कुक के, दाती तेनु पुकारा

मंगलवार, 20 मार्च 2012

मन्ना सांवरे नु किस तरह पाई दा: Mna Sanvre Nu Kis Trh manai Da Sanjay Mehta Ludhiana

मन्ना सांवरे नु किस तरह पाई दा
मन्ना सांवरे नु किस तरह पाई दा
पहले अपना आप गवाई दा -२
मन्ना सांवरे नु इस तरह पाई दा

फूल कहंदा मेनू माली ने तोडिय
सुई धागे विच पा के परो लिया
मै फिर वी मुहो नहिओ बोलिया
हार बन के ते शाम अग्गे जाईदा
मेनू सांवरे ने हान नाल लगा लया
मना सांवरे नु इस तरह पाई दा

मन्ना सांवरे नु किस तरह पाई दा
मन्ना सांवरे नु किस तरह पाई दा

दूध कहंदा मेनू ग्वाले ने दहो लया
विच चाटी दे पा के बिलों लिया
मै फिर वी मुहो नहिओ बोलिया -2
मक्खन बन के ते श्याम अग्गे जाईदा
मेनू सांवरे ने प्यार नाल खा लिया -2
मना सांवरे नु इस तरह पाई दा -2

मन्ना सांवरे नु किस तरह पाई दा
मन्ना सांवरे नु किस तरह पाई दा
बांस कहंदा मेनू जंगल विचो पुटिया
छेद कर के ते खाली कर सुटिया
मै फिर वी मुहो नहिओ बोलिया
बंसी बन के ते शाम अग्गे जाईदा
मेनू सांवरे ने प्यार नाल बजा लया
मेनू सावरे ने होठा नाल लगा लया
मन्ना सांवरे नु इस तरह पाई दा

हार गया हनुमान, अब मै हार गया: haar gya hanumaan, ab mai haar gya by sanjay mehta ludhiana


हार गया हनुमान, अब मै हार गया
मेरी नैया है मझधार, अब मै हार गया

संकट हारी शिव अवतारी, पिता पवन अंजनी महतारी
अंजनी माँ के लाल, अब मै हार गया

संकट ने मुझे घेर लिया है, पापो ने मुझे लीन लिया है
कर मेरा अद्धार, अब मै हार गया

ठोकर खाई है मैंने जग की, आती धीर नहीं मेरे मन की
धीरज दो हनुमान, अब मै हार गया

व्याकुल है मेरा मन भारी, धीर बंधाओ संकटहारी
सुन लो मेरी पुकार, अब मै हार गया

आशा सबकी पूरण कर दो , अभय दान दे निर्भय कर दो
ओ पवन पुत्र हनुमान , अब मै हार गया

संकट सबके काटो बाबा, दया करो दीनो के दाता
संजय मेहता ( https://www.facebook.com/sanjaymehtaa )करे पुकार, अब मै हार गया

याद करो हनुमान, वो दिन याद करो : Yaad Karo Hanumaan Vo din Yaad Karo By Sanjay Mehta Ludhiana


याद करो हनुमान, वो दिन याद करो
तुम हो वीर महान, वो दिन याद करो

बालपन में रवि को खायो, तीन लोक अंधियारों छायो
छिप गया देव समाज, वो दिन याद करो

सागर तट पर जब कपि हारे, तब तुमने ये बचन उचारे
जाऊँगा सागर पार, वो दिन याद करो

सीता माँ का पता लगाकर, रावण का गढ़ लंका जलाकर
आये राम के पास, वो दिन याद करो...
अर्जुन के रथ पर चलने वाले, भीम का मान घटाने वाले
तुमने मारी हांक, वो दिन याद करो ...

लक्ष्मण को जब लगी शक्ति, सीतापति को चिंता व्यापी
लाये संजीवन बूटी , वो दिन याद करो...

राम लखन हा हरण हुआ जब, देवी रूप में प्रकट हुए तब
अहिरावन दीन्हा मार, वो दिन याद करो ...

तेरे बल का पार नहीं है, तेरे जैसा कोई वीर नहीं है
कहाँ तक करू गुणगान, वो दिन याद करो

सियाराम के कारज सारे, संकट काटो सकल हमारे..
संजय मेहता करे पुकार, वो दिन याद करो..
याद करो वीर हनुमान वो दिन याद करो..

नवरात्र पाठ विधि: Navratr Paath Vidhi. By Sanjay mehta Ludhiana








26 Sep

नवरात्र पाठ विधि





 

                        

 

दुर्गा सप्तशती मार्कंडेय पुराण से निकली ७०० मंत्रो वाली अद्भुत पुस्तिका है, दुर्गा सप्तशती का पाठ अद्भुत फलदायी है- कवच, अर्गला, कीलक तथा तेरह अध्याय का  पाठ करने वाला समस्त कष्टों से मुक्त हो कर निर्भय हो जाता है दुर्गा सप्तशती में देवी के तीनों चरित्र सत् रज एवं तम, सृष्टी स्थिति और विनाश एवं महाकाली, महालक्ष्मी एवं महासरस्वती का दार्शनिक एवं लौकिक विवरण उपलब्ध है !

 

साधक को अपने श्रद्धा, ज्ञान और क्षमता के अनुरूप श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए, जो साधक दुर्गा सप्तशती के १३ अध्यायों का परायण कर सकें उन्हें कवच, अर्गला, कीलक के पाठ के उपरान्त सभी १३ अध्यायों का पाठ करना चाहिए (ये एक श्रम साध्य प्रक्रिया है) जो नवरात्र के दिनों में रोजाना पूरी दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर सकता वो साधक इन पूर्ण ९ दिनों में निम्नलिखित विधि से माँ दुर्गा की पूर्ण कृपा तथा दुर्गा सप्तशती पाठ का पूर्ण फल प्राप्त कर सकता है ! 

 

प्रथम दिवस -                                 कवच से प्रथम पाठ तक

द्वितीय दिवस -                               द्वितीय + तृतीय पाठ

तृतीय दिवस -                                चतुर्थ पाठ

चतुर्थ दिवस -                                 पंचम से सप्तम पाठ तक

पंचम दिवस -                                 अष्टम व नवम पाठ

षष्टम दिवस -                                  दशम पाठ

सप्तम दिवस -                                 एकादश व  द्वादश पाठ

अष्टम दिवस -                                 त्रयोदश पाठ

नवम दिवस -                                  पूजन + हवन व बलि

 

इसका पाठ करने वाला जातक निर्भय हो जाता है, तथा संपूर्ण सृष्टि में उसके तेज में वृद्धि होती है | 













शनिवार, 17 मार्च 2012

श्री काली का स्वरूप






श्री काली का स्वरूप



काली देवी का वर्णश्याम है. जिसमे सभी रंग सन्निहित है. भक्तो के विकार - शुन्य ह्रदय रुपी श्मशान में उनका निवास है. भगवती चित्त्शक्ति में समाहित प्राण शक्तिरुपी शव के आसन पर स्थित है. उनके लाल पर अमृत तत्व बोधक चन्द्रमाँ है और वे त्रगुनातीत निर्विकार केशिनी है. सूर्य चन्द्र और अग्नि ये तीनो उनके नेत्र है जिनसे वे तीनो कालो को देखती है. वे सतोगुण रुपी उज्ज्वल दांतों से रजोगुण - तमोगुण रुपी जीभ को दबाये हुए है. सारे संसार का पालन करने में सक्षम होने के कारन वे उन्नत पीनपयोधर है. वे पचास मात्रका अक्षरों की माला धारण करती है तथा मायारूपी आवरण से मुक्त है तथा सभी जीव मोक्ष न होने तक उनके आश्रित रहते है

वे निष्काम भक्तो के मायारूपी पाश को ज्ञान रुपी तलवार से काट देती है , वे काल रुपी शक्ति को वास्तविक शक्ति देने वाली विराट भगवती है.

इसके अतरिक्त रक्तबीज मर्दिनी श्री काली का स्वरूप वर्णन इस प्रकार है

सम्पूर्ण विकराल देह चमकते हुए काले रंग की है. उनकी बड़ी बड़ी डरावनी आँखे और मुख से जीभ को बहार निकले हुए है. जो गहरे लाल रंग की है . वह नरमुंडो की माला तथा कटे हुए हाथो का आसन धारण किये हुए है. उनके एक हाथ मे खड्ग , दुरसे में त्रिशूल, तीसरे मे खप्पर तथा चौथे हाथ से भक्तो को आशीर्वाद प्रदान करती है

बोलिए जय महाकाली की जय
जय मेरी माँ वैष्णो रानी की जय
जय मेरी माँ राज रानी की जय
जय जय जय
जय माता दी जी








काली की महिमा







काली की महिमा



देवी वरदान देने में बहुत चतुर है, इस लिए उन्हें दक्षिणा कहा जाता है

जिस प्रकार कार्य की समाप्ति पर दक्षिणा फल देने वाली होती है उसी प्रकार देवी भी सभी फलो की सिद्धि को देती है

दक्षिणामूर्ति भैरव ने उनकी सर्वप्रथम पूजा की इस कारण भी भगवती का नाम दक्षिणाकाली है

पुरष को दक्षिण और शक्ति को 'वामा' कहा जाता है, वही वामा दक्षिण पर विजय पाकर महामोक्ष देने वाली बनी

भगवती काली अनादिरूपा आद्या विद्या है. वे ब्रह्मसवरूपिनी एवं कैव्ल्यादात्री है

पांचो तत्वों तक शक्ति तारा की स्थिति है और सबके अंत में काली ही स्थित है. अर्थात जब महाप्रलय में आकाश का भी लय हो जाता है. तब यही भगवती काली चिक्त्शक्ति के रूप मे विद्यमान रहती है

इन्ही भगवती के वेद में भद्रकाली के रूप मे स्तुति की गई है

ये अजन्मा और निराकार स्वरूप है. भावुक आराधक अपनी भावनाओं तथा देवी के गुण कर्मो के अनुरूप उनके काल्पनिक साकार रूप की स्तुति करते है. अपने ऐसे भक्तो को भगवती काली मुक्ति प्रदान करती है

भगवती काली अपने उपासको पर स्नेह रखने वाली तथा उनका कल्याण करने वाली है

इस प्रकार भगवती की दक्षिणाकाली के नाम से अनेकानेक उपलब्धिया है. जिस भक्त को जो भी उपलब्धि हो, या जो भी सिद्धि चाहे उसे उसी रूप मे महाकाली को स्वीकार करना चाहिए

बोलिए जय माँ कालिके
जय भद्रकाली माँ
जय मेरी माँ वैष्णो रानी की जय
जय मेरी माँ राज रानी की जय
जय जय जय जय जय जय
जय माता दी जी







दुर्गा स्तुति तेरहवां अध्याय (चमन जी ) : durga stuti Thirteenth chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana







दुर्गा स्तुति तेरहवां अध्याय (चमन जी ) : durga stuti Thirteenth chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana


ऋषिराज कहने लगे मन में अति हर्षाए
तुम्हे महातम देवी का मैंने दिया सुनाए
आदि भवानी का बड़ा है जग में प्रभाओ
तुम भी मिल कर वैश्य से देवी के गुण गाओ

शरण में पड़ो तुम भी जगदम्बे की
करो श्रद्धा से भक्ति माँ अम्बे की
यह मोह ममता सारी मिटा देवेगी
सभी आस तुम्हारी पूजा देवेगी

तुझे ज्ञान भक्ति से भर देवेगी
तेरे काम पुरे यह कर देवेगी
सभी आसरे छोड़ गुण गाइयो
भवानी की ही शरण में आइओ

स्वर्ग मुक्ति भक्ति को पाओगे तुम
जो जगदम्बे को ही ध्याओगे तुम

दोहा:-
चले राजा और वैश्य यह सुनकर सब उपदेश
आराधना करने लगे बन में सहे क्लेश
मारकंडे बोले तभी सुरत कियो ताप घोर
राज तपस्या का मचा चहु और से शोर

नदी किनारे वैश्य ने डेरा लिया लगा
पूजने लगे वह मिटटी की प्रीतिमा शक्ति बना
कुछ दिन खा फल को किया तभी निराहार
पूजा करते ही दिए तीन वर्ष गुजार

हवन कुंड में लहू को डाला काट शरीर
रहे शक्ति के ध्यान में हो आर अति गंभीर
हुई चंडी प्रसन्न दर्शन दिखाया
महा दुर्गा ने वचन मुह से सुनाया

मै प्रसन्न हु मांगो वरदान कोई
जो मांगोगे पाओगे तुम मुझ से सोई
कहा राजा ने मुझ को तो राज चाहिए
मुझे अपना वही तख़्त ताज चाहिए

मुझे जीतने कोई शत्रु ना पाए
कोई वैरी माँ मेरे सन्मुख ना आये
कहा वैश्य ने मुझ को तो ज्ञान चाहिए
मुझे इस जन्म में ही कल्याण चाहिए

दोहा:-
जगदम्बे बोली तभी राजन भोगो राज
कुछ दिन ठहर के पहनोगे अपना ही तुम ताज
सूर्य से लेकर जन्म स्वर्ण होगा तव नाम
राज करोगे कल्प भर , ऐ राजन सुखधाम

वैश्य तुम्हे मै देती हु, ज्ञान का वह भंडार
जिसके पाने से ही तुम होगे भव से पार
इतना कहकर भगवती हो गई अंतरध्यान
दोनों भक्तो का किया दाती ने कल्याण

नव दुर्गा के पाठ का तेरहवां यह अध्याय
जगदम्बे की कृपा से भाषा लिखा बनाये
माता की अदभुत कथा 'चमन' जो पढ़े पढाये
सिंह वाहिनी दुर्गा से मन वांछित फल पाए



ब्रह्मा विष्णु शिव सभी धरे दाती का ध्यान
शक्ति से शक्ति का ये मांगे सब वरदान
अम्बे आध भवानी का यश गावे संसार
अष्टभुजी माँ अम्बिके भरती सदा भंडार

दुर्गा स्तुति पाठ से पूजे सब की आस
सप्तशती का टीका जो पढ़े मान विश्वास
अंग संग दाती फिरे रक्षा करे हमेश
दुर्गा स्तुति पढने से मिटते 'चमन' क्लेश









शुक्रवार, 16 मार्च 2012

दुर्गा स्तुति बारहवां अध्याय (चमन जी ) : durga stuti twelfth chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana








दुर्गा स्तुति बारहवां अध्याय (चमन जी ) : durga stuti twelfth chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana


द्वादश अध्याय में है माँ का आशीर्वाद
सुनो राजा तुम मन लगा देवी देव संवाद

महालक्ष्मी बोली तभी करे जो मेरा ध्यान
निशदिन मेरे नामो का जो करता है गान

बाधाये उसकी सभी करती हु मै दूर
उसके ग्रह सुख सम्पति भर्ती हु भरपूर

अष्टमी नवमी चतुर्दर्शी करके एकाग्रचित
मन कर्म वाणी से करे पाठ जो मेरा नित

उसके पाप व् पापो से उत्पन्न हुए क्लेश
दुःख दरिद्रता सभी मै करती दूर हमेश

प्रियजनों से होगा ना उसका कभी वियोग
उसके हर एक काम में दूँगी मै सहयोग

शत्रु, डाकू, राजा और शस्त्र से बच जाये
जल में वह डूबे नहीं न ही अग्नि जलाए

भक्ति पूर्वक पाठ जो पढ़े या सुने सुनाये
महामारी बिमारी का कष्ट ना कोई आये

जिस घर में होता रहे मेरे पाठ का जाप
उस घर की रक्षा करू मेट सभी संताप

ज्ञान चाहे अज्ञान से जपे जो मेरा नाम
हो प्रसन्न उस जीव के करू मै पुरे काम

नवरात्रों में जो पढ़े पाठ मेरा मन लाये
बिना यत्न कीने सभी मनवांछित फल पाए

पुत्र पौत्र धन धाम से करू उसे सम्पन्न
सरल भाषा का पाठ जो पढ़े लगा कर मन

बुरे स्वप्न ग्रह दशा से दूँगी उसे बचा
पढ़ेगा दुर्गा पाठ जो श्रधा प्रेम बढ़ा

भुत प्रेत पिशाचिनी उसके निकट ना आये
अपने द्रढ़ विश्वास से पाठ जो मेरा गाए

निर्जन वन सिंह व्याघ से जान बचाऊ आन
राज्य आज्ञा से भी ना होने दू नुक्सान

भवर से भी बाहर करू लम्बी भुजा पसार
'चमन' जो दुर्गा पाठ पढ़ करेगा प्रेम पुकार

संसारी विपत्तिय देती हु मै टाल
जिसको दुर्गा पाठ का रहता सदा ख्याल

मै ही रिद्धि -सीधी हु महाकाली विकराल
मै ही भगवती चंडिका शक्ति शिवा विशाल

भैरो हनुमत मुख्य गण है मेरे बलवान
दुर्गा पाठी पे सदा करते क्रपा महान

इतना कह कर देवी तो हो गई अंतरध्यान
सभी देवता प्रेम से करने लगे गुणगान

पूजन करे भवानी का मुह माँगा फल पाए
'चमन' जो दुर्गा पाठ को नित श्रधा से गाए

वरदाती का हर समय खुला रहे भंडार
इच्छित फल पाए 'चमन' जो भी करे पुकार

इक्कीस दिन इस पाठ को कर ले नियम बनाये
हो विश्वास अटल तो वाकया सिद्ध हो जाये

पन्द्रह दिन इस पाठ में लग जाये जो ध्यान
आने वाली बात को आप ही जाए जान

नौ दिन श्रधा से करे नव दुर्गा का पाठ
नवनिधि सुख सम्पति रहे वो शाही ठाठ

सात दिनों के पाठ से बलबुद्धि बढ़ जाये
तीन दिनों का पाठ ही सारे पाप मिटाए

मंगल के दिन माता के मन्दिर करे ध्यान
'चमन' जैसी मन भावना वैसा हो कल्याण

शुद्धि और सच्चाई हो मन में कपट ना आये
तज कर सभी अभिमान न किसी का मन कलपाये

सब का कल्याण जो मांगेगा दिन रैन
काल कर्म को परख कर करे कष्ट को सहन

रखे दर्शन के लिए निस दिन प्यासे नैन
भाग्यशाली इस पाठ से पाए सच्चा चैन

द्वादश यह अध्याय है मुक्ति का दातार
'चमन' जीव हो निडर उतरे भव से पार

बोलो जय माता दी
जय मेरी माँ वैष्णो रानी की
जय मेरी माँ राज रानी की
जय जय माँ , मेरी भोली माँ
जय जय माँ, मेरी प्यारी माँ.
संजय मेहता, लुधियाना







बुधवार, 14 मार्च 2012

आ जाओ भैरो बाबा, मेरे मकान में : aa jao bhairo baba, mere mkaan mai: Sanjay Mehta Ludhiana








आ जाओ भैरो बाबा, मेरे मकान में
तेरा डम- डम डमरू बाजे, सारे जहान में

डमरू की तान सुनकर गणेश जी आ गये
संग रिद्धि-सिद्धि को लाये, मेरे मकान में
आ जाओ भैरो बाबा, मेरे मकान में

डमरू की तान सुनकर श्री राम जी आ गये
संग सीता जी को लाये , मेरे मकान में
आ जाओ भैरो बाबा, मेरे मकान में


डमरू की तान सुनकर, श्री कृष्ण जी आ गये
संग राधा जी को लाये, मेरे मकान में
आ जाओ भैरो बाबा, मेरे मकान में

डमरू की तान सुनकर, श्री ब्रह्मा जी आ गये
संग ब्रह्माणी जी को लाये, मेरे मकान में
आ जाओ भैरो बाबा, मेरे मकान में

डमरू की तान सुनकर, माँ दुर्गा जी आ गई
संग शिव जी को लाये , हनुमान जी को लाये , मेरे मकान में
आ जाओ भैरो बाबा, मेरे मकान में

डमरू की तान सुनकर, नारद जी आ गये
संग संतो को लाये , मेरे मकान में
आ जाओ भैरो बाबा, मेरे मकान में

डमरू की तान सुनकर , भक्त आ गये
संग भक्त मंडली लाये , मेरे मकान में
आ जाओ भैरो बाबा, मेरे मकान में

अब बोलिए जय माता दी
जय बाबे दी
जय मेरी माँ वैष्णो रानी की
जय मेरी माँ राज रानी की जय
जय भैरव बाबा जी की








मंगलवार, 13 मार्च 2012

हनुमान से बोली यूँ माता, क्यों मुख मुझे दिखाया है : hnuman se boli u mata: Sanjay Mehta Ludhiana








हनुमान से बोली यूँ माता, क्यों मुख मुझे दिखाया है
तू वो मेरा लाल नहीं, जिसे मैंने दूध पिलाया है
मैंने ऐसा दूध पिलाया, तुझको क्या बतलाऊ मै
पर्वत के टुकड़े हो जाये, धार अगर जो मारू मै
मेरी कोख से जन्म लिया, और मेरा दूध लजाया है

भेजा था श्री राम के संग में, करना उनकी रखवाली
लक्ष्मण भी गश खा के पड़ा था, रावण ने सीता हर ली
माँ का सीस कभी न उठेगा, कैसा दाग लगाया है
छोटी सी एक लंका जलाकर, अपने मन में गरवाया
रावण को जिन्दा छोड़, और सीता संग नहीं लाया

कभी न मुखको मुख दिखलाना, माँ ने हुक्म सुनाया है
हाथ जोड़कर हनुमत बोले, इसमें दोष नहीं मेरा
श्री राम का हुक्म नहीं था, माँ विशवास करो मेरा
मैंने वो ही काम किया है, श्री राम ने जो बतलाया है

धन्य धन्य अंजनी माता, ऐसे लाल को जन्म दिया
हाथ जोड़कर श्री राम ने, उस देवी को नमन किया
हनुमत पर तुम क्रोध करो ना, यह सब मेरी माया है








दुर्गा स्तुति ग्यारहवां अध्याय (चमन जी ) : durga stuti Eleventh chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana







दुर्गा स्तुति ग्यारहवां अध्याय (चमन जी ) : durga stuti Eleventh chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana




ऋषिराज कहने लगे सुनो ऐ पृथ्वी नरेश
महा असुर संहार से मिट गए सभी कलेश
इन्दर आदि सभी देवता टली मुसीबत जान
हाथ जोड़कर अम्बे का करने लगे गुणगान

तू रखवाली माँ शरणागत की करे
तू भक्तो के संकट भवानी हरे
तू विशवेश्वरी बन के है पालती
शिवा बम के दुःख सिर से है टालती

तू काली बचाए महाकाल से
तू चंडी करे रक्षा जंजाल से
तू ब्रह्माणी बन रोग देवे मिटा
तू तेजोमयी तेज देती बढ़ा

तू माँ बनके करती हमे प्यार है
तू जगदम्बे बन भरती भंडार है
कृपा से तेरी मिलते आराम है
हे माता तुम्हे लाखो प्रणाम है

तू त्रयनेत्र वाली तू नारायणी
तू अम्बे महाकाली जगतारानी
गुने से है पूर्ण मिटाती है दुःख
तू दसो को अपने पहुचाती है सुख

चढ़ी हंस वीणा बजाती है तू
तभी तो ब्रह्माणी कहलाती है तू
वाराही का रूप तुमने बनाया
बनी वैष्णवी और सुदर्शन चलाया

तू नरसिंह बन दैत्य संहारती
तू ही वेदवाणी तू ही स्मृति
कई रूप तेरे कई नाम है
हे माता तुम्हे लाखो प्रणाम है

तू ही लक्ष्मी श्रधा लज्जा कहावे
तू काली बनी रूप चंडी बनावे
तू मेघा सरस्वती तू शक्ति निंद्रा
तू सर्वेश्वरी दुर्गा तू मात इन्द्रा

तू ही नैना देवी तू ही मात ज्वाला
तू ही चिंतपूर्णी तू ही देवी बाला
चमक दामिनी में है शक्ति तुम्हारी
तू ही पर्वतों वाली माता महतारी

तू ही अष्टभुजी माता दुर्गा भवानी
तेरी माया मैया किसी ने ना जानी
तेरे नाम नव दुर्गा सुखधाम है
हे माता तुम्हे लाखो प्रणाम है

तुम्हारा ही यश वेदों ने गाया है
तुझे भक्तो ने भक्ति से पाया है
तेरा नाम लेने से टलती बलाए
तेरे नाम दासो के संकट मिटाए

तू महामाया है पापो को हरने वाली
तू उद्धार पतितो का है करने वाली

दोहा:-
स्तुति देवो की सुनी माता हुई कृपाल
हो प्रसन्न कहने लगी दाती दीन दयाल
सदा दासो का करती कल्याण हु
मै खुश हो के देती यह वरदान हु

जभी पैदा होंगे असुर पृथ्वी पर
तभी उनको मारूंगी मै आन कर
मै दुष्टों के लहू का लगूंगी भोग
तभी रक्तदन्ता कहेंगे यह लोग

बिना गर्भ अवतार धारुंगी मै
तो शत आक्षी बन निहारूंगी मै
बिना वर्षा के अन्न उप्जाउंगी
अपार अपनी शक्ति मै दिखलाऊंगी

हिमालय गुफा में मेरा वास होगा
यह संसार सारा मेरा दास होगा
मै कलियुग में लाखो फिरू रूप धारी
मेरी योग्निया बनेगी बीमारी

जो दुष्टों के रक्तो को पिया करेगी
यह कर्मो का भुगतान किया करेगी

दोहा:-
'चमन' जो सच्चे प्रेम से शरण हमारी आये
उसके सरे कष्ट मै दूँगी आप मिटाए
प्रेम से दुर्गा पाठ को करेगा जो प्राणी
उसकी रक्षा सदा ही करेगी महारानी

बढेगा चौदह भवन में उस प्राणी का मान
'चमन' जो दुर्गा पाठ की शक्ति जाये जान
एकादश अध्याय में स्तुति देवं कीन
अष्टभुजी माँ दुर्गा ने सब विपता हर लीन

भाव सहित इसको पढो जो चाहे कल्याण
मुह माँगा देती 'चमन' है दाती वरदान

बोलिए जय माता दी जी
जैकारा शेरावाली माई दा
बोल सांचे दरबार की जय
जय माँ वैष्णो रानी की
जय माँ राज रानी की








दुर्गा स्तुति दसवां अध्याय (चमन जी ) : durga stuti tenth chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana








दुर्गा स्तुति दसवां अध्याय (चमन जी ) : durga stuti tenth chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana


ऋषिराज कहने लगे मारा गया निशुम्भ
क्रोध भरा अभिमान से बोला भाई शुम्भ

आरी चतुर दुर्गा तुझे लाज जरा ना आये
करती है अभिमान तू बल औरो का पाए

जगदाती बोली तभी दुष्ट तेरा अभिमान
मेरी शक्ति को भला सके कहाँ पहचान

मेरा ही त्रिलोक में है सारा विस्तार
मैंने ही उपजाया है यह सारा संसार

चंडी काली , ऐन्द्री, सब ही मेरा रूप
एक हु मै अम्बिका मेरे सभी स्वरूप

मै ही अपने रूपों में एक जान हु
अकेली महा शक्ति बलवान हु

चढ़ी सिंह पर दाती ललकारती
भयानक अति रूप थी धारती

बढ़ा शुम्भ आगे गरजता हुआ
गदा को घुमाता तरजता हुआ

तमाशा लगे देखने देवता
अकेला असुर राज था लड़ रहा

अकेली थी दुर्गा इधर लड़ रही
वह हर वर पर आगे थी बढ़ रही

असुर ने चलाये हजारो ही तीर
जरा भी हुई ना वह मैया अधीर

तभी शुम्भ ने हाथ मुगदर उठाया
असुर माया कर दुर्गा पर वह चलाया

तो चक्र से काटा भवानी ने वो
गिरा धरती पे हो के वह टुकड़े दो

उड़ा शुम्भ आकाश में आ गया
वह उपर से प्रहार करने लगा

तभी की भवानी ने उपर निगाह
तो मस्तक का नेत्र वाही खुल गया

हुई ज्वाला उत्पन्न बनी चंडी वो
उडी वायु मै देख पाखंडी को

फिर आकाश में युद्ध भयंकर हुआ
वहा चंडी से शुम्भ लड़ता रहा

दोहा:-
मारा रन चंडी ने तब थप्पड़ एक महान
हुआ मूर्छित धरती पे गिरा शुम्भ बलवान
जल्दी उठकर हो खड़ा किया घोर संग्राम
दैत्य के उस पराक्रम से कांपे देव तमाम

बढ़ा क्रोध में अपना मुह खोल कर
गरज कर भयानक शब्द बोल कर

लगा कहने कच्चा चबा जाऊंगा
निशां आज तेरा मिटा जाऊंगा

क्या सन्मुख मेरे तेरी औकात है
तरस करता हु नारी की जात है

मगर तुने सैना मिटाई मेरी
अग्न क्रोध तुने बढाई मेरी

मेरे हाथो से बचने न पाओगी
मेरे पावों के नीचे पिस जाओगी

यह कहता हुआ दैत्य आगे बढ़ा
भवानी को यह देख गुस्सा चढ़ा


चलाया वो त्रिशूल ललकार कर
गिरा कट के सिर दिया का धरती पर

किया दुष्ट असुरो का माँ ने संहार
सभी देवताओ ने किया जय जय कार

ख़ुशी से वे गंधर्व गाने लगे
नृत्य करके माँ को रिझाने लगे

'चमन' चरणों में सिर झुकाते रहे
वे वरदान मैया से पाते रहे

यही पाठ है दसवे अध्याय का
जो प्रीति से पढ़ श्रधा से गाएगा

वह जगदम्बे की भक्ति पा जायेगा
शरण में जो मैया की आ जायेगा

दोहा:-
आध भवानी की कृपा, मनो कामना पाए
'चमन' जो दुर्गा पाठ को पढ़े सुने और गाए
कालिकाल विकराल में जो चाहो कल्याण
श्री दुर्गा स्तुति का करो पाठ 'चमन' दिन रैन
कृपा से आद भवानी की मिलेगा सच्चा चैन

बोलिए जय माता दी
जय माँ वैष्णो रानी की
जय माँ राज रानी की
जय जय जय





सोमवार, 12 मार्च 2012

दुर्गा स्तुति नवम अध्याय (चमन जी ) : durga stuti ninth chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana







दुर्गा स्तुति नवम अध्याय (चमन जी ) : durga stuti ninth chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana



राजा बोला ऐ ऋषि महिमा सुनी अपार
रक्तबीज को युद्ध में चंडी दिया संहार
कहो ऋषिवर अब मुझे शुम्भ निशुम्भ का हाल
जगदम्बे के हाथो से आया कैसे काल

ऋषिराज कहने लगे राजन सुन मन लाये
दुर्गा पाठ का कहता हु अब मै नवम अध्याय

रक्तबीज को जब शक्ति ने रण में मारा
चला युद्ध करने निशुम्ब ले कटक अपारा
तभी चढ़ा महाकाली को भी क्रोध घनेरा
महा पराक्रमी शुम्भ लिए सैना को आया
गदा उठा कर महा चंडी को मारण धाया

देवी और दैत्यों के तीर लगे फिर चलने
बड़े बड़े बलवान लगे मिटटी में मिलने
रण में लगी चमकाने वो तीखी तलवारे
चारो तरफ लगी होने भयंकर ललकारे

दैत्य लगा रण भूमि में माया दिखलाने
क्षण भर में वह योद्धा सारे मार गिराए
शुम्भ ने अपनी गदा घुमा देवी पर डाली
काली ने तीखी त्रिशूल से काट वह डाली

सिंह चढ़ी अम्बा ने कर प्रलय दिखलाई
चंडी के खंडे ने हा हा कार मचाई
भर भर खप्पर दैत्यों का लहू पी गई काली
पृथ्वी और आकाश में छाई खून की लाली

अष्टभुजी ने शुम्भ के सिने मारा भाला
दैत्य को मूर्छित करके उसे पृथ्वी पर डाला
शुम्भ गिरा तो चला निशुम्भ भरा मन क्रोधा
अठ्ठास कर गरजा वह बलशाली योद्धा

अष्टभुजी ने दैत्य की मारा छाती तीर
हुआ प्रगट फिर दूसरा छाती से बलबीर

दोहा:-
बढ़ा वह दुर्गा की तरह हाथ लिए हथियार
खड्ग लिए चंडी बढ़ी किये दैत्य संहार
शिवदूती ने खा लिए सैना के सब वीर
कौमारी छोड़े तभी धनुष से लाखो तीर

ब्रेह्मानी ने मन्त्र पढ़ फैंका उन पर नीर
भस्म हुई सैना सभी देवं बांधा धीर
सैना सहित निशुम्भ का हुआ रण मे संहार
त्रिलोकी में मच गया माँ का जय जय कार

'चमन' नवम अध्याय की कथा कही सुखसार
पाठ मात्र से मिटे भीषम कष्ट अपार

बोलो मेरी माँ वैष्णो रानी की जय
बोलो मेरी माँ राज रानी की जय
जय माता दी जी
जय माता दी जी








रविवार, 11 मार्च 2012

दुर्गा स्तुति आठवा अध्याय (चमन जी ) : durga stuti eighth chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana







दुर्गा स्तुति आठवा अध्याय (चमन जी ) : durga stuti eighth chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana



काली ने जब कर दिया चंड मुंड का नाश
सुनकर सेना का मरण हुआ निशुम्भ उदास
तभी क्रोध करके बढ़ा आप आगे
इकट्ठे किये दैत्य जो रण से भागे

कुलो की कुले असुरो की ली बुलाई
दिया हुकम अपना उन्हें तब सुनाई
चलो युद्ध भूमि में सैना सजा के
फिरो देवियों का निशा तुम मिटा के

अधायुध और शुम्भ थे दैत्य योद्धा
भरा उनके दिल मई भयंकर क्रोध
असुर रक्तबीज को ले साथ धाये
चले कल के मुह में सैना सजाये

मुनि बोले राजा वह शुम्भ अभिमानी
चला आप भी हाथ में धनुष तानी
जो देवी ने देखा नहीं सैना आई
धनुष की तभी डोरी माँ ने चढाई

वह टंकार सुन गूंजा आकाश सारा
महाकाली ने साथ किलकार मारा
किया सिंह ने भी शब्द फिर भयंकर
आये देवता ब्रह्मा विष्णु व् शंकर

हर एक अंश से रूप देवी ने धारा
वह निज नाम से नाम उनका पुकारा
बनी ब्रह्मा के अंश देवी ब्रह्माणी
चढ़ी हंस माला कमंडल निशानी

चढ़ी बैल त्रिशूल हाथो में लाई
शिवा शक्ति शंकर की जग में कहलाई
वह अम्बा बनी स्वामी कार्तिक की अंशी
चढ़ी गरुड़ आई जो थी विष्णु वंशी

वराह अंश से रूप वाराही आई
वह नरसिंह से नर्सिंघी कहलाई
ऐरावत चढ़ी इन्दर की शक्ति आई
महादेव जी तब यह आज्ञा सुनाई

सभी मिल के दैत्यों का संहार कर दो
सभी अपने अंशो का विस्तार कर दो

दोहा:
इतना कहते ही हुआ भारी शब्द अपार
प्रगटी देवी चंडिका रूप भयानक धार
घोर शब्द से गर्ज क्र कहा शंकर से जाओ
बनो दूत, सन्देश यह दैत्यों को पौह्चाओ

जीवत रहना चाहते हो तो जा बसे पाताल
इन्दर को त्रिलोक का दे , वह राज्य सम्भाल
नहीं तो आये युद्ध मे तज जीवन की आस
इनके रक्त से बुझेगी मह्काली की प्यास

शिव को दूत बनाने से शिवदूती हुआ नाम
इसी चंडी महामाया ने किया घोर संग्राम
दैत्यों ने शिव शम्भू की मानी एक ना बात
चाले युद्ध करने सभी लेकर सैना साथ

आसुरी सैना ने तभी ली सब शक्तिया घेर
चले तीर तलवार तब हुई युद्ध की छेड़
दैत्यों पर सब देविया करने लगी प्रहार
छिन्न भर में होने लगा असुर सैना संहार

दशो दिशाओ मे मचा भयानक हा हा कार
नव दुर्गा का छा रहा था वह तेज अपार
सुन काली की गर्जना हए व्याकुल वीर
चंडी ने त्रिशूल से दिए कलेजे चीर

शिवदूती ने कर लिए भक्षण कई शरीर
अम्बा की तलवार ने कीने दैत्य अधीर
यह संग्राम देख गया दैत्य खीज
तभी युद्ध करने बढ़ा रक्तबीज

गदा जाते ही मारी बलशाली ने
चलाये कई बाण तब काली ने
लगे तीर सिने से वापस फिरे
रक्तबीज के रक्त कतरे गिरे

रुधिर दैत्य का जब जमी पर बहा
हुए प्रगट फिर दैत्य भी लाखहा
फिर उनके रक्त कतरे जितने गिरे
उन्ही से कई दैत्य पैदा हुए

यह बढती हुई सैना देखी जभी
तो घबरा गए देवता भी सभी
विकल हो गई जब सभी शक्तिया
तो चंडी ने महा कालिका से कहा

करो अपनी जीभा का विस्तार तुम
फैलाओ यह मुह अपना एक बार तुम
मेरे शास्त्रों से लहू जो गिरे
वह धरती के बदले जुबां पर पड़े

लहू दैत्यों का सब पिए जाओ तुम
ये लाशे भी भक्षण किये जाओ तुम
न इसका जो गिरने लहू पायेगा
तो मारा असुर निश्चय ही जायेगा

दोहा:-
इतना सुन महाकाली ने किया भयानक वेश
गर्ज से घबराकर हुआ व्याकुल दैत्य नरेश
रक्तबीज ने तब किया चंडी पारी प्रहार
रोक लिया त्रिशूल से जगदम्बे ने वार

तभी क्रोध से चंडिका आगे बढ़ कर आई
अपने खड्ग से दैत्य की गर्दन काट गिराई
शीश कटा तो लहू गिरा चामुंडा गई पी
रक्तबीज के रक्त से सके न निश्चर जी

महाकाली मूह खोल के धाई, दैत्य के रुधिर से प्यास बुझाई
धरती पे लहू गिरने ना पाया, खप्पर भर पे गई महामाया
भयोनाश तब रक्तबीज का , नाची तब प्रसन्न हो कालका
असुर सेना सब दीं संघारी , युद्ध मे भयो कुलाहल भारी


देवता गण तब अति हर्षाये , धरयो शीश शक्ति पद आये
कर जोड़े सब विनय सुनाये, महामाया की स्तुति गाये
चंडिका तब दीनो वारदाना, सब देवं का कियो कल्याण
ख़ुशी से न्रत्य किया शक्ति ने, वार यह 'चमन' दिया शक्ति ने

जो यह पाठ पढ़े या सुनाये, मनवांछित फल मुझ से पाए
उसके शत्रु नाश करूंगी , पूरी उसकी आस करुँगी
माँ सम पुत्र को मै पालूंगी , सभी भंडारे भर डालूंगी

दोहा:
तीन काल है सत्य यह शक्ति का वरदान
नव दुर्गा के पाठ से है सब का कल्याण
भक्ति शक्ति मुक्ति का है यही भंडार
इसी के आसरे ऐ 'चमन' हो भवसागर पार

नवरात्रों मै जो पढ़े देवी के मंदिर जाए
कहे मारकंडे ऋषि मनवांछित फल पाए
वरदाती वरदायनी सब की आस पूजाए
प्रेम सहित महामाया की जो भी स्तुति गाए

सिंह सवारी मईया मी मन मंदिर जब आये
किसी भी संकट मे पढ़ा भक्त नहीं घबराए
किसी जगह भी शुद्ध हो पढ़े या पाठ सुनाये
'चमन' भवानी की कृपा उस पर ही हो जाये
नव दुर्गा के पाठ का आठवा यह अध्याय
निस दिन पढ़े जो प्रेम से शत्रु नाश हो जाये

बोलिए जय माता दी
जय माँ मेरी वैष्णो रानी की
जय माँ मेरी राज रानी की
जय जय माँ
मेरी माँ , प्यारी माँ













प्यारा साथ है, बड़ा प्यारा साथी है : pyara sathi hai, bada pyara sathi hai: Sanjay Mehta Ludhiana









प्यारा साथ है, बड़ा प्यारा साथी है
दुखियो का दुःख हरने वाला सच्चा साथी है

मेरा इक साथी है , बड़ा ही भोला भाला है
मिले न उस जैसा , वो सब से निराला है
जब जब दिल यह उदास होता है
मेरा मुरली वाला मेरे पास होता है
मेरा इक साथी है , बड़ा ही भोला भाला है

जब तक रहा अकला बड़ा दुःख पाया मै
जब जब दुःख ने घेरा घबराया मै
के सारी दुनिया मे कनहिया का सहारा है
मिले न उस जैसा , वो सब से निराला है
जब जब दिल यह उदास होता है
मेरा मुरली वाला मेरे पास होता है

सब कुछ बदल गया है उस के आने से
हिम्मत आ गई उस के समझाने से
फसा मै जब भी उस ने संभाला है
मिले न उस जैसा , वो सब से निराला है
जब जब दिल यह उदास होता है
मेरा मुरली वाला मेरे पास होता है

नई नई पहचान बदल गई रिश्ते मे
बनवारी मेरा सौदा पट गया सस्ते मे
गिरा मै जब जब भी , उसी ने संभाला है
मिले न उस जैसा , वो सब से निराला है
जब जब दिल यह उदास होता है
मेरा मुरली वाला मेरे पास होता है

प्यारा साथ है, बड़ा प्यारा साथी है
दुखियो का दुःख हरने वाला सच्चा साथी है
प्यारा साथ है, बड़ा प्यारा साथी है
दुखियो का दुःख हरने वाला सच्चा साथी है










शुक्रवार, 9 मार्च 2012

हर हर गंगे बोल के सब हर हर गंगे बोल के








चलो सब चलते है हरिद्वार , बहती है जहाँ गंगा की धार
चलो अब हो जाओ तैयार, डुबकी लगाओ बारम्बार ,
हर हर गंगे बोल के सब हर हर गंगे बोल के
हर हर गंगे बोल के सब हर हर गंगे बोल के



गंगे माँ, गंगे माँ , सुन ले मेरी गंगे, सुन ले अर्ज मेरी, गंगे माँ



सावन मे लगते है मेले, गंगा जी धाम पे तेरे
कांवर यह आ कर के सारे , तेरे दर पे आ के लगाते है डेरे
आते है कांवर यह हरिद्वार , भीड़ लगी गंगा के द्वार
चलो अब हो जाओ तैयार, डुबकी लगाओ बारम्बार ,
हर हर गंगे बोल के सब हर हर गंगे बोल के


जय हो. जय हो. गंगे माँ, गंगे माँ, गंगे माँ, मेरी अर्ज सुनो , गंगे माँ , गंगे माँ


जो धाम पे तेरे जाते है. गंगा से मुक्ति पाते है
सब पाप यही रह जाते है. गंगा मे जो डुबकी लगते है
पावन है गंगा की धार, खोले यह मुक्ति के द्वार
चलो अब हो जाओ तैयार, डुबकी लगाओ बारम्बार ,
हर हर गंगे बोल के सब हर हर गंगे बोल के