बुधवार, 29 फ़रवरी 2012

दुर्गा स्तुति पांचवा अध्याय (चमन जी ) : durga stuti fifth chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana








दुर्गा स्तुति पांचवा अध्याय (चमन जी ) : durga stuti fifth chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana



ऋषि राज कहने लगे, सुन राजन मन लाये
दुर्गा पाठ का कहता हु पांचवा मै अध्याय
एक समय शुम्भ निशुम्भ दो हुए दैत्य बलवान
जिनके भय से कंपता था यह सारा जहान
इन्दर आदि को जीत कर लिया सिंहासन छीन
खोकर ताज और तख्त को हुए देवता दीन
देव लोक को छोड़ कर भागे जान बचाए
जंगल जंगल फिर रहे संकट से घबराए
तभी याद आया उन्हें देवी का वरदान
याद करोगे जब मुझे करुँगी मै कल्याण
तभी देवताओं ने स्तुति करी
खड़े हो गए हाथ जोड़े सभी
लगे कहने ऐ मैया उपकार कर
तू आ जल्दी दैत्यों का संहार कर
प्रकृति महा देवी भद्रा है तू
तू ही गौरी धात्री व् रुद्रा है तू
तू हैचंदर रूप तू सुखदायनी
तू लक्ष्मी सिद्धि है सिंहवाहिनी
है बेअंत रूप और कई नाम है
तेरे नाम जपते सुबह शाम है


तू भक्तो की कीर्ति तू सत्कार है
तू विष्णु की माया तू संसार है
तू ही अपने दासो की रखवार है
तुझे माँ करोड़ो नमस्कार है
नमस्कार है नमस्कार है


तू हर प्राणी मे चेतन आधार है
तू ही बुद्धि मन तू ही अहंकार है
तू ही निंद्रा बन देती दीदार है

तुझे माँ करोड़ो नमस्कार है
नमस्कार है नमस्कार है


तू ही छाया बनके है छाई हुई
क्षुधा रूप सब मे समाई हुई
तेरी शक्ति का सब मे विस्तार है

तुझे माँ करोड़ो नमस्कार है
नमस्कार है नमस्कार है




है तृष्णा तू ही क्षमा रूप है
यह ज्योति तुम्हारा ही स्वरूप है
तेरी लज्जा से जग शरमसार है

तुझे माँ करोड़ो नमस्कार है
नमस्कार है नमस्कार है


तू ही शांति बनके धीरज धरावे
तू ही श्रधा बनके यह भक्ति बढ़ावे
तू ही कान्ति तू ही चमत्कार है

तुझे माँ करोड़ो नमस्कार है
नमस्कार है नमस्कार है


तू ही लक्ष्मी बन के भंडार भरती
तू ही वृति बन के कल्याण करती
तेरा स्मृति रूप अवतार है

तुझे माँ करोड़ो नमस्कार है
नमस्कार है नमस्कार है


तू ही तुष्ठी बनी तन मे विख्यात है
तू हर प्राणी की तात और मात है
दया बन समाई तू दातार है

तुझे माँ करोड़ो नमस्कार है
नमस्कार है नमस्कार है


तू ही भ्रान्ति भ्रम उपजा रही
अधिष्टात्री तू ही कहला रही
तू चेतन निराकार साकार है

तुझे माँ करोड़ो नमस्कार है
नमस्कार है नमस्कार है


तू ही शक्ति है ज्वाला प्रचंड है
तुझे पूजता सारा ब्रेह्मंड है
तू ही रिधि -सिद्धि का भंडार है

तुझे माँ करोड़ो नमस्कार है
नमस्कार है नमस्कार है


मुझे ऐसा भक्ति का वरदान दो
'चमन' का भी उद्दार कल्याण हो
तू दुखया अनाथो की गमखार है

तुझे माँ करोड़ो नमस्कार है
नमस्कार है नमस्कार है


नमस्कार स्त्रोत को जो पढ़े
भवानी सभी कष्ट उसके हरे
'चमन' हर जगह वह मददगार है

तुझे माँ करोड़ो नमस्कार है
नमस्कार है नमस्कार है


दोहा:-
रजा से बोले ऋषि सुन देवं की पुकार
जगदम्बे आई वह रूप पार्वती का धार
गंगा - जल मे जब किया भगवती ने स्नान
देवो से कहने लगी किसका करते हो ध्यान



इतना कहते है शिव हुई प्रकट तत्काल
पार्वती के अंश से धरा रूप विशाल
शिवा ने कहा मुझ को है धया रहे
यह सब स्तुति मेरी ही गा रहे


है शुम्भ और निशुम्भ के डराए हुए
शरण मे हमारी है आये हुए


शिवा अंश से बन गई अम्बिका
जो बाकी रही वह बनी कालिका
धरे शैल पुत्री ने यह दोनों रूप
बनी एक सुंदर और बनी एक करूप




महाकाली जग मे विचरने लगी
और अम्बे हिमालय पे रहने लगी
तभी चंड और मुंड आये वहां
विचरती पहाड़ो मे अम्बे जहाँ


अति रूप सुंदर न देखा गया
निरख रूप मोह दिल मे पैदा हुआ
खा जा के फिर शुम्भ महाराज जी
की देखि है एक सुंदर आज ही
चढ़ी सिंह पर सैर करती हुई
वह हर मन मे ममता को भरती हुई

चलो आँखों से देख लो भाल लो
रत्न है त्रिलोकी का सम्भाल लो
सभी सुख चाहे घर मे मैजूद है
मगर सुन्दरी बिन वो बेसुद है
वह बलवान रजा है किस काम का
न पाया जो साथी यह आराम का


करो उससे शादी तो जानेंगे हम
महलो मे लाओ तो मानेंगे हम
यह सुन कर वचन शुम्भ का दिल बढ़ा
महा असुर सुग्रीव से यु कहा

जाओ देवी से जाके जल्दी कहो
की पत्नी बनो महलो मे आ रहो
तभी दूत प्रणाम करके चला
हिमालय पे जा भगवती से खा


मुझे भेजा है असुर महाराज ने
अति योद्धा दुनिया के सरताज ने
वह कहता है दुनिया का मालिक हु मै
इस त्रिलोकी का प्रतिपालक हु मै


रत्न है सभी मेरे अधिकार में
मै ही शक्तिशाली हु संसार में
सभी देवता सर झुकाए मुझे
सभी विपदा अपनी सुनाये मुझे

अति सुंदर तुम स्त्री रत्न हो
हो क्यों नष्ट करती सुदरताई को
बनो मेरी रानी तो सुख पाओगी
न भट्कोगी बन में न दुःख पाओगी

जवानी में जीना वो किस काम का
मिला न विषय सुख जो आराम का
जो पत्नी बनोगी तो अपनाऊंगा
मै जान अपनी कुर्बान कर जाऊंगा

दोहा:-
दूत की बातो पर दिया देवी ने ना ध्यान
कहा डांट क्र सुन अरे मुर्ख खोल के कान
सुना मैंने वह दैत्य बलवान है
वह दुनिया मै शहजोर धनवान है


सभी देवता है उस से हारे हुए
छुपे फिरते है डर के मारे हुए
यह मन की रत्नों का मालिक है वो
सुना यह भी सृष्टि का पालक है वो


मगर मैंने भी एक प्रण ठाना है
तभी न असुर का हुक्म माना है
जिसे जग में बलवान पाउंगी मै
उसे कान्त अपना बनाउंगी मै


जो है शुम्भ ताकत के अभिमान में
तो भेजो उसे आये मैदान में

दोहा:-
कहा दूत ने सुन्दरी न कर यु अभिमान
शुम्भ निशुम्भ है दोनों ही , योद्धा अति बलवान
उन से लड़कर आज तक जीत सका ना कोय
तू झूठे अभिमान में काहे जीवन खोये


अम्बा मोली दूत से बंद करो उपदेश
जाओ शुम्भ निशुम्भ को दो मेरा सन्देश
'चमन' खे दैत्य जो, वह फिर कहना आये
युद्ध की प्रीतज्ञा मेरी, देना सब समझाए

by संजय मेहता , लुध्याना
बोलो जय माता दी जी
बोलो मेरी माँ वैष्णो रानी की जय
बोलो मेरी माँ राज रानी की जय








लहू संग लिखू मै तो, दिल वाला हाल माँ : Lahu Sang Likhu mai to : Sanjay Mehta, Ludhiana








लहू संग लिखू मै तो, दिल वाला हाल माँ
कहते है पसंद तुझे , रंग लाल लाल माँ

लहू संग लिखू मै तो, दिल वाला हाल माँ
कहते है पसंद तुझे , रंग लाल लाल माँ

चांदनी का लिया रंग, चाँद से था उज्जला
चुन्न चुन्न तारे नीले , अम्बरो से गुजरा
फूलो से था फुलारानी , ले लिया गुलाल माँ
लहू संग लिखू मै तो, दिल वाला हाल माँ
कहते है पसंद तुझे , रंग लाल लाल माँ

लाखो खत भेजे, तुने दिया ना जवाब माँ
मेरा क्या कसूर बोलो , देख के किताब माँ
विरह की आग सिने , खा रही उबाल माँ
लहू संग लिखू मै तो, दिल वाला हाल माँ
कहते है पसंद तुझे , रंग लाल लाल माँ

चुड़े वाले रंग मे माँ , आज मुझे रंग दे
सूरज की लाली मैया, मेरे अंग - संग दे
लाटों वाली लाटों मे तू , आज मुझे ढाल माँ
लहू संग लिखू मै तो, दिल वाला हाल माँ
कहते है पसंद तुझे , रंग लाल लाल माँ







मंगलवार, 28 फ़रवरी 2012

चलो दर शेरावाली मैया के सवाली बन के : Chalo dar Sherawali Maiya ke swaali Ban ke: Sanjay Mehta Ludhiana








चलो दर शेरावाली मैया के सवाली बन के
चलो दर शेरावाली मैया के सवाली बन के
माँ ने खोले है खजाने , ख़ुशी के धन के
चलो दर शेरावाली मैया के सवाली बन के

उचे पर्वत पर मैया दरबार सजा कर बैठी है
भक्तो के दुःख हरने का वो बीड़ा उठा कर बैठी है

दाती माँ तैयार है कब से मनवांछित फल देने को
आशा की झोली फैला कर आये सवाली लेने को
तुम भी खोलो तो सवाली कभी द्वार मन के
चलो दर शेरावाली मैया के सवाली बन के


वो तो आठो हाथो मे ले कर बैठी मोती रे
अपनी लग्न ही कच्ची है तभी तो किस्मत सोती रे
उसके ध्यान मे खो कर हमने कभी भी सजदा किया नहीं
घर बैठे ही कह देते है माँ ने कुछ भी दिया नहीं
भाग्य जगदम्बे जगाती , भक्तो जन जन के
चलो दर शेरावाली मैया के सवाली बन के

उस के दर से हम सब को ही रोज बुलावे आते है
लेकिन कुछ ही किस्मत वाले श्री चरणों मे जाते है
पर्वत चड़ना अपनी हिमत को ही गर मंजूर नहीं
इस मे दोष हमारा है रे माँ का कोई कसूर नहीं
चढ़ते जाओ रे चडाई, सब दीवाने बन के
चलो दर शेरावाली मैया के सवाली बन के
माँ ने खोले है खजाने , ख़ुशी के धन के
चलो दर शेरावाली मैया के सवाली बन के







सोमवार, 27 फ़रवरी 2012

लेने परीक्षा मोरध्वज की अर्जुन और भगवान चले: lene Priksha By Sanjay Mehta Ludhiana








माया का एक सिंह बनाया डाल के उसमे प्राण चले
लेने परीक्षा मोरध्वज की अर्जुन और भगवान चले

तीनो पहुँच गए राजधानी, द्वारे अलख जगाते है
तीन रोज के भूखे, पहरेदारो को बतलाते है
सुनकर के ये बात साधू की, कहने को दरबान चले.
लेने परीक्षा....

जय होवे महाराज जी, दो साधू द्वारे आये है
तीन रोज से भूखे है , और साथ मे सिंह भी लाये है
इतनी सुनकर के राजा जी, थाली सजवा पकवान चले
लेने परीक्षा....

भोजन खिलवाना हो तो पहले, सिंह को भोजन दो राजा
नर भक्षी है सिंह हमारा , नर का मांस ही दो राजा
गैर का सुत न कटने पाए, अपने पर कृपाण चले
लेने परीक्षा....

अपने सुत को मारने से पहले, एक बात सुन महादानी
एक तरफ पकड़ो तुम आरा, एक तरफ पकड़ो रानी
आँखों से ना आंसू निकले, आरा शीश दरम्यान चले
लेने परीक्षा....

जो आज्ञा कहकर राजा ने, सुत पर आरा फेर दिया
अपने लाल के टुकड़े करके, सिंह के आगे गेर दिया
जाहिर कुछ्ना होने दिया, चाहे दिले मे अनेक तूफ़ान चले
लेने परीक्षा....

अब हम खायेंगे भोजन राजा, पांच थाल तुम सजवा लो
देकर के आवाज तीन तुम, अपने सुत को बुलवा लो
सुन कर के ये बात साधू की, राजा हो हैरान चले
लेने परीक्षा....

नाम रहेगा जग मे रोशन, जब तक चाँद सितारे है
हम सेवक है श्री बाबा के, वो गुरुदेव हमारे है
देकर के वरदान   राजा को, तीनो अपने धाम चले.
लेने परीक्षा....







दुर्गा स्तुति तीसरा अध्याय (चमन जी ) : durga stuti third chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana





दुर्गा स्तुति तीसरा अध्याय (चमन जी ) : durga stuti third chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana


दोहा:- चक्षुर ने निज सेना का सुना जभी संहार
क्रोधित होकर लड़ने को आप हुआ तैयार
ऋषि मेधा ने राजा से फिर कहा
सुनो तरित्य अध्याय की अब कथा
महा योद्धा चक्षुर था अभिमान मे
गरजता हुआ आया मैदान मे
वह सेनापति असुरो का वीर था
चलाता महा शक्ति पर तीर था
मगर दुर्गा ने तीर काटे सभी
कई तीर देवी चलाये तभी
जभी तीर तीरों से टकराते थे
तो दिल  शूरवीरो के घबराते थे
तभी शक्ति ने अपनी शक्ति चला
वह रथ असुर का टुकड़े - टुकड़े किया
असुर देख बल माँ का घबरा गया
खड्ग हाथ ले लड़ने को आ गया
किया वार गर्दन पे तब शेर की
बड़े वेग से खड्ग मारी तभी
भुजा शक्ति पर मारा तलवार को
वह तलवार टुकड़े गई लाख हो
असुर ने चलाई जो त्रिशूल भी
लगी माता के तन को वह फूल सी
लगा कांपने देख देवी का बल
मगर क्रोध से चैन पाया न पल
असुर हाथी पर माता थी शेर पर
लाइ मौत थी दैत्य को घेर कर
उछल सिंह हाथी पे ही जा चढ़ा
वह माता का सिंह दैत्य से जा लड़ा
जबी लड़ते लड़ते गिरे पृथ्वी पर
बढ़ी भद्रकाली तभी क्रोध कर
असुर दल का सेना पति मार कर
चली काली के रूप को धार कर
गर्जती खड्ग को चलाती हुई
वह दुष्टों के दल को मिटाती हुई
पवन रूप हलचल मचाती हुई
असुर दल जमी पर सुलाती हुई
लहू की वह नदिया बहाती हुई
नए रूप अपने दिखाती हुई

दोहा:- महाकाली ने असुरो की जब सेना दी मार
महिषासुर आया तभी रूप भैंसे का धार

सवैया: गर्ज उसकी सुनकर लगे भागने गण
कई भागतो  को असुर ने संहारा
खुरो से दबाकर कई पीस डाले
लपेट अपनी पूंछ से कईयो को मारा
जमी आसमा को गर्ज से हिलाया
पहाड़ो को सींगो से उसने उखाड़ा
श्वांसो से बेहोश लाखो ही कीने
लगे करने देवी के गण हा हा कारा
विकल अपनी सेना को दुर्गा ने देखा
चढ़ी सिंह पर मार किलकार आई
लिए शंख चक्र गदा पद्म हाथो
वह त्रिशूल परसा ले तलवार आई
किया रूप शक्ति ने चंडी का धारण
वह दैत्यों का करने थी संहार आई
लिया बाँध भैंसे को निज पाश मे झट
असुर ने वो भैंसे की देह पलटाई
बना शेर सन्मुख लगा गरजने वो
तो चंडी ने हाथो मे परसा उठाया
लगी काटने दत्य  के सिर को दुर्गा
तो तज सिंह का रूप न्र बन के आया

जो नर रूप की माँ ने गर्दन उड़ाई
तो गज रूप धारण बिल बिलाया
लगा खैंचने शेर को सूंड से जब
तो दुर्गा ने सूंड को काट गिराया
कपट माया कर दिया ने रूप बदला
लगा भैंसा बन के उपद्रव मचाने
तभी क्रोधित होकर जगत मात चंडी
लगी नेत्रों से अग्नि बरसाने
उछल भैंसे की पीठ पर जा चढ़ी वह
लगी पांवो से उसकी देह को दबाने
दिया काट सर भैंसे का खड्ग से जब
तो आधा ही तन असुर का बाहर आया
तो त्रिशूल जगदम्बे ने हाथ लेकर
महा दुष्ट का सीस धड से उड़ाया
चली क्रोध से मैया ललकारती तब
किया पल मे दैत्यों का सारा सफाया
'चमन' पुष्प देवो ने मिल कर गिराए
संजय, अप्सराओं व् गन्धर्वो ने राग गाया
त्रितय अध्याय मे है महिषासुर संहार
'चमन' पढ़े जो प्रेम से मिटते कष्ट अपार

by संजय मेहता
लुधियाना

बोलो मेरी माँ वैष्णो रानी की जय
बोलो मेरी माँ राज रानी की जय
जय माता दी जी








शनिवार, 25 फ़रवरी 2012

दुर्गा स्तुति दूसरा अध्याय (चमन जी ) : durga stuti second chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana








दुर्गा स्तुति दूसरा अध्याय (चमन जी ) : durga stuti second chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana

दुर्गा पाठ का दूसरा शुरू करू अध्याय
जिसके सुनाने पढने से सब संकट मिट जाये
मेधा ऋषि बोले तभी, सुन राजन धर ध्यान
भगवती देवी की कथा करे सब का कल्याण
देव असुर भयो युद्ध अपर, महिषासुर दैतन सरदारा
योद्धा बली इन्दर से भिरयो , लड़यो वर्ष शतरनते न फिरयो
देव सेना तब भागी भाई, महिषासुर इन्द्रासन पाई
देव ब्रह्मा सब करे पुकारा, असुर राज लियो छीन हमारा
ब्रह्मा देवन संग पधारे, आये विष्णु शंकर द्वारे
कही कथा भर नैनन नीरा, प्रभु देत असुर बहु पीरा
सुन शंकर विष्णु अकुलाये, भवे तनी मन क्रोध बढ़ाये
नैन भये त्रयदेव के लाला, मुख ते निकल्यो तेज विशाला

दोहा: तब त्रयदेव के अंगो से निकला तेज अपार
जिनकी ज्वाला से हुआ उज्ज्वल सब संसार

सभी तेज इक जा मिल जाई , अतुल तेज बल परयो लखाई
ताहि तेज सो प्रगटी नारी , देख देव सब भयो सुखारी
शिव के तेज ने मुख उपजायो, धर्म तेज ने केश बनायो.
विष्णु तेज से बनी भुजाये, कुच मे चंदा तेज समाये
नासिका तेज कुबेर बनाई, अग्नि तेज त्रयनेत्र समाई
ब्रह्मा तेज प्रकाश फैलाये , रवि तेज ने हाथ बनाये
तेज प्रजापति दांत उपजाए, श्रवण तेज वायु से पाए
सब देवन जब तेज मिलाया, शिवा ने दुर्गा नाम धराया

दोहा : अट्टहास कर गर्जी जब दुर्गा आध भवानी
सब देवन ने शक्ति यह माता करके मानी

शुम्भु ने त्रिशूल, चक्र विष्णु ने दीना
अग्नि से शक्ति और शंख वर्ण से लीना
धनुष बाण , तर्कश, वायु ने भेंट चढाया
सागर ने रत्नों का माँ को हार पहनाया
सूर्य ने सब रोम किये रोशन माता के
बज्र दिया इन्दर ने हाथ मे जगदाता के
एरावत की घंटी इन्दर ने दे डारी
सिंह हिमालय ने दीना करने को सवारी
काल ने अपना खड्ग दिया फिर सीस निवाई
ब्रह्मा जी ने दिया कमण्डल भेंट चढाई
विश्वकर्मा ने अदभूत एक परसा दे दीना
शेषनाग ने छत्र माता को भेंटा कीना
वस्त्र आभुष्ण नाना भांति देवन पहराये
रत्न जटित मैया के सिर पर मुकुट सुहाए


दोहा : आदि भवानी ने सुनी देवन विनय पुकार
असुरो के संघार को हुई सिंह असवार
रण चंडी ज्वाला बनी हाथ लिए हथियार
सब देवो ने मिल तभी कीनी जय जय कार
चली सिंह चढ़ दुर्गा भवानी, देव सैन को साथ लियो
सब हथियार सजाये रण के अति भयानक रूप किये
महिषासुर राक्षस ने जब यह समाचार उनका पाया
लेकर असुरो की सेना जल्दी रण-भूमि मे आया
दोनों दल जब हुए सामने रण-भूमि मे लड़ने लगे
क्रोधित हो रण चंडी चली लाशो पर लाशे पड़ने लगे


भगवती का यह रूप देख असुरो के दिल थे कांप रहे
लड़ने से घबराते थे, कुछ भाग गए कुछ हांप रहे
असुर के साथ करोड़ो हाथी घोड़े सेना मे आये
देख के दल महिषासुर का व्याकुल हो देवता घबराए
रण चंडी ने दशो दिशायो मे वोह हाथ फैलाये थे
युद्ध भूमि मे लाखो दैत्यों के सिर काट गिराए थे
देवी सेना भाग उठी रह गई अकेली दुर्गा ही
महिषासुर सेना के सहित ललकारता आगे बड़ा तभी
उस दुर्गा अष्टभुजी माँ ने रण भूमि मे लम्बे सांस लिए
श्वास श्वास मे अम्बा जी ने लाखो ही गण प्रगट किये
बलशाली गण बढ़े वो आगे सजे सभी हथियारों से
गूंज उठा आकाश तभी माता के जै जै कारो से
प्रथ्वी पर असुरो के लहू की लाल नदी वह बहती थी
बच नहीं सकता दैत्य कोई ललकार के देवी कहती थी
लकड़ी के ढेरो को अग्नि जैसे भस्म बनाती है
वैसे ही शक्ति की शक्ति दैत्यों को मिटती जाती है
सिंह चढ़ी दुर्गा ने पल मे दैत्यों का संहार किया
पुष्प देवो ने बरसाए माता का जै जै कार किया
'चमन' जो श्रद्धा प्रेम से दुर्गा पाठ को पढता जायेगा
दुखो से वह रहेगा बचा मन वांछित फल पायेगा

दोहा : हुआ समाप्त दूसरा दुर्गा पाठ अध्याय
'चमन' भवानी की दया, सुख सम्पति घर आये

जय माता दी जी
जय माँ वैष्णो रानी की जय
जय माँ राज रानी की जय
संजय मेहता लुधियाना








बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

चलो चलो रे आज देवी दर्शन को: Chalo chalo re aaj devi darshan ko : Sanjay Mehta Ludhiana







चलो चलो रे आज देवी दर्शन को
देवी दर्शन को , देवी पूजन को
देवी दर्शन को


सब से पहले तुलसी पूजो
हर आंगन में जिन की छाव मे है
और माई शीतला को , जिन का मंदिर हर गाँव में है

चलो चलो रे आज देवी दर्शन को



जय माता दी
प्रेम से बोलो
अरे सब मिल बोलो
बोलो वैष्णव माता की जय
मैया सच्चिया ज्योत वाली
के पापी दे बेड़े तारदी
मेरी मैया पहाडा वाली

के पापिया दे बेड़े तारदी
कर के जय माता दी तुरीय जावी
देखी पेंडे तो ना घबरावी
वैष्णो मैया है शेरावाली
के पापिया दे बेड़े तारदी


भैरव बली ने अत्याचार, किये जग मे बार बार
माता वैष्णो ने कर दिया उस का संहार
जाने सारा संसार
जेह्डा वी मैया दे द्वारे आन्दा-2
जेह्डा वी मैया दी भेंटा गान्दा-2
मुह मांगिय मुरदा पान्दा
उचे उचे मंदरा वाली
के पापिया दे बेड़े तारदी
मेरी मैया पहाडा वाली
के पापिया दे बेड़े तारदी


बोलो चिन्तपुरनी माता की जय
यह चिन्तपुरनी माता है
जो सब की चिंता हरती है
दर्शन को जो आये उसकी
हर इच्छा पूर्ण करती है


जय जय माता ज्वाला जी की
सज्जन के लिए शीतल है जो
दुर्जन के लिए है चिंगारी
जय हो मैया ज्वाला जी की
महिमा इन की सब से न्यारी
नंगे नंगे पैरी तेरे अकबर आया -२
सोने का छत्र चडाया
ज्योति तेरी जगदी रहे
जगदी रहे जगदम्बे ज्योति तेरी जगदी रहे



यह माता हमारी है कांगडे वाली
इन का दर्शा जैसे अमृत की प्याली
यह माता हमारी है कांगडे वाली
यह सारी दुनिया इन के गुण गाये
माई की पावन चरणों मे आये ,झुक जाये
धन्य है वोह जिस ने माँ से लगन लगाई
यह माता हमारी है कांगडे वाली
जय नगरकोट वाली की जय


हरी भरी ब्रज भूमि सींचती
सदा जिसे यमुना मैया
यही कृष्ण भगवान ने पूजी
मैया कामधेनु गईया
गईया देश की है मैया
भैया पूज लो इसे
गईया देश की है मैया
भैया पूज लो इसे
यह है वैतरणी की नैया
भैया पूज लो इसे
गईया देश की है मैया
भैया पूज लो इसे
जय जय कामधेनु गईया
जय जय कामधेनु मैया


विंध्यवासिनी की जय
अरे रामा काशी प्रयाग के बीच
बसी है विन्द्यावासिनी माई
अरे रामा इन के दर्श को गगन से
गंगा धरती पर आई
जो कोई इन के द्वार पर आवे
दर्शन तीन रूप मे पाए
भोर बालिका रूप दिखावे
दोपहर को युवती बन आवे
सांज को माता बन कर
ममता का भंडार लुटावे
अरे रामा महिमा इन्ही देवी की
जगत मे सब ने है गाई
अरे रामा काशी प्रयाग के बीच
बसी है विन्द्यावासिनी माई



देवी अष्टभुजा की जय
महारानी वरदायिनी के जय जय विन्ध्याचल रानी
महारानी वरदायिनी के जय जय विन्ध्याचल रानी
विन्ध्याचल पर्वत के उप्पर भवन बना है खासा -2
वही हमारी प्यारी मैया जग तारिणी का वासा
महारानी वरदायिनी के जय जय विन्ध्याचल रानी
महारानी वरदायिनी के जय जय विन्ध्याचल रानी


बोलो संतोषी माता की जय
मैया संतोषी का नाम
लेते ही बन जाते काम
पूजा इन की जहाँ होवे
वही इन का धाम
जग मे वही इन का धाम
चलो चलो रे आज देवी दर्शन को


यह हरिद्वार की चंडी माई
जग मे इन की बहुत बड़ाई
जय बोलो चंडी मैया की


जय जय मनसा मैया की
शिव पुत्री है मनसा माता
यह है रिधि सिद्दी की दाता
जय जय मनसा मैया की




हर हर गंगे हर हर गंगे
यह है पाप हारिणी गंगे
मैया सर्व कारिणी गंगे
कर के गंगा जल मे स्नान
पावन कर लो अपने तन-मन को
चलो चलो रे आज देवी दर्शन को


ॐ सरस्वती नमो: नमह
जो ज्ञान को निखारती
बुद्धि को संवारती
यही है देवी भारती
नमो महा सरस्वती
ब्रेह्मानी लक्ष्मी पार्वती
उतारो इन की आरती
यही है देवी भारती
नमो महा सरस्वती


ॐ अन्नपुर्णा नमो: नमह
पवित्र काशी वासिनी
दरिद्रता विनाशनी
जगत को यही पालती
सभी को है सम्भालती
इन के द्वार आये जो
भूखा रह ना पाए वो
महेश प्राणवल्भा
यही है अन्नपूर्णा



ॐ महा दुर्गा नमो: नमह
अपार शक्तिधारिणी
असुर विनाशकारिणी
के ताप ताप हारिणी
अमर सुहाग दायनी
ज्योत ज्योत प्रकाशिनी
अन्धकार नाशिनी
यह पाप की विनाशिनी
यह दुर्गा आध भगवती



बोलो देवी विशालाक्षी की जय
जय जय जय मैया कामाक्षा
आज की नहीं है यह तो बात है पुरानी
बड़ी पावन है , बड़ी पावन है यह कहानी
आज की नहीं है यह तो बात है पुरानी
बड़ी पावन है , बड़ी पावन है यह कहानी
भस्म हो गई यज्ञ कुंड मे एक दिन सती कुमारी
उन का शव कंधे पर रख , भटके शिव त्रिपुरारी
हरने को हर की माया , हरी ने तब चक्र चलाया
कट कट कर गिरनी लगी सती की काया सुहानी
बड़ी पावन है , बड़ी पावन है यह कहानी
जहाँ जहाँ पे गिरा जगत में , सुंदर अंग सती का
वहा वहां बन गया पवित्र तीर्थ देवी का
तीर्थ एक उन मे भाई , यह यह कामाक्षा माई
आये यहाँ पे जो उस पे प्रसन हो भवानी
बड़ी पावन है , बड़ी पावन है यह कहानी


माँ, माँ जय जय जय जय महाकाली
जय जय माँ कलकत्ते वाली
हो मुंडो की जो माला पहने
यही तो है उन के गहने
खड्ग त्रिशूल हाथ मे विराजे
इन की छवि है निराली
जय जय जय जय महाकाली
जय जय माँ कलकत्ते वाली
बोलो काली माता की जय


दुखियन के दुःख हरे , मैया छिन्मस्तिका
जीवन मे सुख भरे , मैया छिन्मस्तिका

यह है वैधनाथ का धाम
यहाँ का पावन है इतिहास
यही के एक मंदिर मे गोरा
पार्वती का वास
यह है वैधनाथ का धाम
यहाँ का पावन है इतिहास


यह है पटने की पटन मैया सब से निराली
यही पे विराजे लक्ष्मी जी और यही पे सरर्वती
यही पे विराज रही विकराली खप्परवाली काली
यह है पटने की पटन मैया सब से निराली


जय बोलो मंगला गौरी की
जय बोलो मंगला गौरी की
जय बोलो मंगला गौरी की
जगन्नाथ की रथ यात्रा
होती है यहाँ
पूरी विश्वकर्मा की नगरिया
बसी है यहाँ
यही मंगला गौरी सदा
निवास करे
मैया अपने भक्तो का संताप हरे
जय बोलो मंगला गौरी की

अष्ट सिद्दी नव निधि की दात्री
यह गिरिजा देवी माता
यह गिरिजा देवी माता
बोलो माता गिरिजा देवी की जय


जय कनक दुर्गा भवानी
जय कनक दुर्गा भवानी
रात - दिन कंचन लुटाती
निर्धनों मे धन लुटाती
आवे जो इन की शरण
उस की हरे विपदा
जय कनक दुर्गा भवानी


आओ रे मीनाक्षी देवी मैया
मधुर मधुर घुन गाओ रे
देवी कन्याकुमारी , यह हमारी माता
देवी कन्याकुमारी , यह हमारी माता
यह है तीन लोक से न्यारी ,पालनहारी
प्यारी माता
देवी कन्याकुमारी , यह हमारी माता
पाए वर इन से कुमारिय
रहे सुहागन सभी नारिया
यह है गौरी का अवतार
जिन का शिव शंकर से नाता
देवी कन्याकुमारी , यह हमारी माता


सकल खल -दल गंजिनी है
यह देवी चामुंडा
जगत के दुःख भंजिनी है
वो हमारा सोचे जो
रात दिन इन को भजो
यह देवी चामुंडा
तीर्थ तीर्थ मंदिर मंदिर जो घुमे दिन रात
उन पे कभी ना चल सके , अन्यायी की भात


बोलो अम्बा मात की जय
पूजे पूजे जो अम्बा माई -2
देवी माता है अम्बे माई
यह है महाराष्ट्र की माई
जो भी मैया के चरणों मे जाता
उसकी रक्षा करे अम्बा माता
उन की भक्ति मे शक्ति समाई
यह है कुलदेवी सब की कहलाई
पूजे पूजे जो अम्बा माई -2


यह है शांता दुर्गा मैया
सारे संसार की शांता दुर्गा मैया
यह है शांता दुर्गा मैया
सारे संसार की शांता दुर्गा मैया
मझदार से पार करे अपने भक्तो की वो नैया
यह है शांता दुर्गा मैया
सारे संसार की शांता दुर्गा मैया



मैया तुलजा भवानी की जय जय बोलो
मैया तुलजा भवानी की जय जय बोलो
आओ सब मिल के बोलो जय जय बोलो
उन के चरणों मे आके पावन होलो
मैया तुलजा भवानी की जय जय बोलो
माता की सेवा कर के वीर शिवा जी
वो तो हमेशा जीते युद्ध की बाजी
जीवन के इस संग्राम में
इन को पूज के विजयी होलो
मैया तुलजा भवानी की जय जय बोलो
तुलजा भवानी के दर्शन को
राम चंदर जी आये
फुल के बदले नैन कमल
माँ के चरणों पे चड़ाए




जय जय माँ मुम्बा देवी
यह मुम्बा देवी सूर्यमुखी
मैया करती है सब को सुखी
यह मुम्बा देवी सूर्यमुखी
माँ सुख का देती वरदान उसे
जो आये द्वार दीन दुखी


जय बोलो महालक्ष्मी की
हम सब की पालनहार है यह
महालक्ष्मी माता
धन का अपार भण्डार है यह
महालक्ष्मी माता
जय बोलो महालक्ष्मी की


देवी सप्तसिंघी की जय
माँ के रूप है अनेक
सप्तसिंघी उन मे एक
ऐसी मैया दयालु
रखे भक्तो की टेक
रखे भक्तो की टेक
चलो चलो रे आज देवी दर्शन को


जय जय मैया हरसिध्ही की
यह अवंतिका की हर सिध्ही
है रिधि सीधी देने वाले
येही राजा विक्रमादत्य को
है प्रसिद्दी देने वाली

देवी भवानी है यह शाकुम्बरी
देवी भवानी है यह शाकुम्बरी
इन से ही जीवन की यह
बगिया हरी
इन से ही जीवन की यह
बगिया हरी
मैया शाकुम्बरी

जय बोलो कालका मैया की
देवी कालका मैहर वाली
इन की महिमा कही ना जाये
इन का सुमिरन पूजन कर के
अमरपध पाए
कृपा करे कालका माये
बोलो देवी कालका माई की जय

जय शारदा माई की जय


जय जय नर्मदा मैया
जय जय नर्मदा मैया
इन को शीश जो झुकाए
उस की पार हो नैया
जय जय नर्मदा मैया
यही कहलाती है देवा
करलो इन माता की सेवा
हो इन की आरती उतारो
इन को पूज लो भैया
देवी नर्मदा की जय

यह मारवाड़ की भूमि यहा
यहाँ हर घर मे गौरी की पूजा है
आया चैत का मॉस सुहावन
आया चैत का मॉस सुहावन
सखी करो गौर पूजो रे




पुष्कर तीर्थ है महान
गायत्री का जन्म स्थान
यह तो पत्नी ब्रह्मा जी की
सावित्री के समान
शीश दोनों को झुकाओ
जन्म सफल बनाओ
माँ के चरणों मे चडाओ
तन - मन - धन को
चलो चलो रे आज देवी दर्शन को








मंगलवार, 21 फ़रवरी 2012

सुनो सुनो बिनती माँ मेरी : Suno suno binti maa meri : Sanjay Mehta Ludhiana







तीर्थ राम गरीब था. उस का मन अमीरों के वैभव को देख कर तरसता रहता था. उसे अपनी झोपडी की जगह, हीरे जवाहरात से जड़ा सोने का महल चाहिए था. ऐसा महल जिस के लिए बड़े बड़े राजा महाराजा और सम्राट भी तरसते हो , अपनी इस इच्छा पूर्ति के लिए तीर्थ राम ने हर देवी देवता का दरवाजा खट-खटाया. पर अधूरी आस अधूरी ही रही. एक दिन उसे एक साधू महाराज मिले. उन्हों ने कहा. बेटा इस तरह तुम्हारी आस कभी पूरी नहीं होगी . माँ भगवती की भक्ति की ज्योत अपने हृदय में जगा. फिर देख माँ की भक्ति का चमत्कार. तीर्थ राम ने माँ भगवती को अपने हृदय मंदिर में बिठाया और आगे बड़ा . चलते चलते उसे एक सुनसान वन में एक बुढिय मिली और कहा, बेटा , क्यों वन वन भटक रहा है. तुझे जिस बेशकीमती खजाने की खोज है वो सहमने वाले पहाड़ के नीचे वाली गुफा में है. तू वहा पहुच जा. और जितने रतन उठा सकते हो उठा के ले जा. तीर्थ राम उस गुफा में पंहुचा , और चटान हटा कर गुफा मे गया .गुफा हीरे , रत्नों से भरी पड़ी थी. उसे अफ़सोस हुआ के वो अपने साथ बहुत सी झोलिय क्यों नहीं लाया. खैर अपने कपड़ो मे वो जितने हीरे -रत्न उठा सकता था उठाये. के एक जोरदार आवाज सुने दी. अचानक एक बड़ी सी चटान उप्पर से आई, और उस ने गुफा का द्वार बंध कर दिया. हवा रुक गई. और तीर्थ बिना हवा के गुफा में छटपटाने लगा. वो सोचने लगा अगर मेरा यहाँ दम घुट गया तो यह हीरे रत्न मेरे किस काम आयेंगे. इस से तो मे गरीब अच्छा था. कम से कम खुली हवा मे सांस तो लेता था. उसे साधू की देवी माँ की भक्ति की बात याद आई. और वो पुकार उठा.माँ शेरोवाली मेरे प्राण बचाओ माँ मेरे प्राण बचाओ , तीर्थ राम की आवाज दयालु माँ तक पहची, अचानक एक जोर की आवाज के साथ गुफा की चट्टान हटती है. हवा का एक झोंका आता है. और तीर्थ को वही बुढिय माँ शेरावाली के रूप मे मुस्कुराती हुई दिखाई देती है. तीर्थ राम दोड कर माँ के चरणों मे गिर जाता है और बेनती करता है



सुनो सुनो बिनती माँ मेरी -2
मुझ को तू ठुकराना ना. भटके को भटकाना ना
सुनो सुनो बिनती माँ मेरी -२

झर झर आँख से आंसू , रोता है मन मेरा
सारी दुनिया छोड़ के मैंने द्वार है ढूँढा तेरा
लाखो तुम ने तार दिए. बच्चो पे सुख वार दिए
मुझ को भी विसराना ना. भटके को भटकाना ना
सुनो सुनो बिनती माँ मेरी -२

सत्य कर्म और धीरज मन का , तुझ से है सब लेना
खाली झोली तरस रही है, टाल ना मुझ को देना
दुःख सुख तेरे हाथो मे, कर दे उजाला रातो मे
करना कोई बहाना ना. भटके को भटकाना ना
सुनो सुनो बिनती माँ मेरी -२

तेरे खजानों मे जग - जननी , तीन लोक की माया -२
सृष्टि के हर जीव ने तुझ से , जो माँगा सो पाया
मै भी खड़ा हु दर तेरे, दुःख संताप तू हर मेरे
और मुझे तरसना ना, भटके को भटकाना ना
सुनो सुनो , सुनो सुनो बिनती माँ मेरी -२

जय माता दी बोलो भगतो
जय माता दी
जय माता दी
जय माँ वैष्णो रानी की
जय माँ राज रानी की
जय जय माँ