मंगलवार, 29 नवंबर 2011

दर्शन देवो आज : Darshan devo aaj Hanuman: Sanjay Mehta Ludhiana








दर्शन देवो आज

हनुमत हनुमत कब से पुकारू, दर्शन देवो आज
तेरे बिन नैया , कौन लगावे पार
हनुमत हनुमत कब से पुकारू, दर्शन देवो आज

लंका फूंकी, सेना फूंकी, कर दियो सारो नाश
रावण को भीषण समझावे, जप लो हरि का नाम
नहीं तो मिटा देंगे , जग से तेरा वो नाम
हनुमत हनुमत कब से पुकारू, दर्शन देवो आज

बाबा मेरा सबकी सुनता, करता सबसे प्यार
सच्चे मन से जो भी बुलावे, आता है हर बार
हरि की दया बिन, जीना बड़ा है बेकार
हनुमत हनुमत कब से पुकारू, दर्शन देवो आज

बूटी लेकर पल मे आये, किया था जग मे कमाल
मूर्छा टूटी जब लक्ष्मण की, राम हए हैरान
हनुमत ने देखो, कैसा किया कमाल
हनुमत हनुमत कब से पुकारू, दर्शन देवो आज

सच्ची भक्ति के ही कारण, सिने मे है राम
नहीं डरते वो दुश्मन से भी, कर गए सारे काम
अंजनी माँ के , लाडले हम हनुमान
हनुमत हनुमत कब से पुकारू, दर्शन देवो आज

बोलिए जय जय श्री राम
बोलिए जय जय हनुमान
बोलिए जय जय माँ
बोलिए जय माता दी जी
जय माँ राज रानी की
जय माँ वैष्णो रानी की जय









सोमवार, 28 नवंबर 2011

कथा ध्यानु भगत की by संजय मेहता लुधियाना : Katha Dhyanu Bhagt Ki By Sanjay Mehta Ludhiana







कथा ध्यानु भगत की by संजय मेहता लुधियाना

जिन दिनों भारत में मुगल सम्राट अकबर का शासन था, उन्ही दिनों की यह घटना है नादौन ग्राम निवासी माता का एक सेवक (ध्यानु भगत) एक हजार यात्रिओ सहित माता के दर्शन के लिए जा रहा था. इतना बड़ा दल देखकर बादशाह के सिपाहियोने चांदनी चौक दिल्ली मे उन्हें रोक लिया और अकबर के दरबार मे ले जाकर ध्यानु भगत को पेश किया

बादशाह ने पूछा :- तुम इतने आदमियो को साथ लेकर कहाँ जा रहे हो?

ध्यानु ने हाथ जोड़ कर उत्तर दिया:- मै ज्वालामाई के दर्शन के लिए जा रहा हु, मेरे साथ जो लोग है, वह भी माता जी के भगत है, और यात्रा पर जा रहे है.

अकबर ने सुनकर कहा:- यह ज्वालामाई कौन है ? और वहां जाने से क्या होगा?

ध्यानु भगत ने उत्तर दिया:- महाराज! ज्वालामाई संसार की रचना एवं पालन करने वाली माता है! वे भगतो के सच्चे ह्रदय से की गई प्राथनाए स्वीकार करती है तथा उनकी सब मनोकामनाए पूर्ण करती है. उनका प्रताप ऐसा है की उनके स्थान पर बिना तेल-बत्ती के ज्योति जलती रहती है. हम लोग प्रतिवर्ष उनके दर्शन जाते है

अकबर बादशाह बोले:- तुम्हारी ज्वालामाई इनती ताकतवर है, इसका यकीन हमें किस तरह आये? आखिर तुम माता के भगत हो, अगर कोई करिश्मा हमें दिखाओ तो हम भी मान लेंगे

ध्यानु ने नम्रता से उत्तर दिया:- श्री मान! मै तो माता का एक तुच्छ सेवक हु, मै भला कोई चमत्कार कैसे दिखा सकता हु?

अकबर ने कहा :- अगर तुम्हारी बंदगी पाक व् सच्ची है तो देवी माता जरुर तुम्हारी इज्जत रखेगी! अगर वह तुम जैसे भगतो का ख्याल ना रखे तो फिर तुम्हारी इबादत का क्या फायदा? या तो वह देवी ही यकीन के काबिल नहीं, या फिर तुम्हारी इबादत(भगती) झूठी है. इम्तहान के लिए हम तुम्हारे घोड़े की गर्दन अलग कर देते है, तुम अपनी देवी से कहकर उसे दुबारा जिन्दा करवा लेना!

इस प्रकार घोड़े की गर्दन काट दी गई

ध्यानु भगत ने कोई उपाए ना देखकर बादशाह से एक माह की अवधि तक घोड़े के सिर व् धड को सुरक्षित रखने की प्राथना की! अकबर ने ध्यानु भगत की बात मान ली! यात्रा करने की अनुमति भी मिल गई.

बादशाह से विदा होकर ध्यानु भगत अपने साथियो सहित माता के दरबार मे जा उपस्थित हुआ! स्नान-पूजन आदि करने के उपरान्त रात भर जागरण किया. प्रात:काल आरती के समय हाथ जोड़ कर ध्यानु ने प्राथना की - "हे मातेश्वरी! आप अन्तर्यामी है , बादशाह मेरी भगती की परीक्षा ले रहा है, मेरी लाज रखना, मेरे घोड़े को अपनी कृपया व् शक्ति से जीवित कर देना , चमत्कार पैदा करना, अपने सेवक को क्रतार्थ करना. यदि आप मेरी प्राथना स्वीकार ना करोगी तो मै भी अपना सिर काटकर आपके चरणों मे अर्पित कर दूंगा, क्योकि लज्जित होकर जीने से मर जाना अधिक अच्छा है! यह मेरी प्रतिज्ञा है आप उत्तर दे ..

कुछ समय तक मौन रहा

कोई उत्तर ना मिला

इसके पछ्चात भगत ने तलवार से अपना शीश काट कर देवी को भेंट कर दिया

उसी समय साक्षात् ज्वाला माँ, मेरी माँ मेरी राज रानी, माँ मेरी शक्ति, माँ मेरी भगवती माँ, मेरी माँ दुर्गे प्रगट हुई और ध्यानु भगत का सिर धड से जुड़ गया, भगत जीवित हो गया, माता ने भगत से कहा की मेरे ध्यानु मेरे बच्चे प्यारे ,दिल्ली मे घोड़े का सिर भी धड से जुड़ गया है, चिंता छोड़ कर दिल्ली पह्चो, लज्जित होने के कारन का निवारण हो गया, और जो कुछ इच्छा है वर मांगो बेटा

ध्यानु भगत ने माता के चरणों मे शीश झुका कर प्रणाम कर निवदेन किया - हे जगदम्बे! आप सर्व शक्तिशाली है, हम मनुष्य अज्ञानी है, भगति की विधि भी नहीं जानते, फिर भी विनती करता हु की जगदमाता! आप अपने भगतो की इनती कठिन परीक्षा ना लिया करे! प्रत्येक संसारी भगत आपको शीश भेंट नहीं दे सकता, कृपा करके , हे मातेश्वरी! किसी साधारण भेंट से ही अपने भगतो की मनोकामनाए पूर्ण किया करे

"तथास्तु! अब से मै शीश के स्थान पर केवल नारियल की भेंट व् सच्चे ह्रदय से की गई प्राथना द्वारा ही मनोकामना पूर्ण करुँगी" यह कह कर माता अंतरध्यान हो गई

इधर तो यह घटना घटी , उधर दिल्ली मे जब मृत घोड़े के सिर व् धड , माता के कृपा से अपने आप जुड़ गए तो सब दरबारियो सहित बादशाह अकबर आश्चर्य मे डूब गए. बादशाह ने कुछ सिपाहियो को ज्वाला जी भेजा, सिपाहियो ने वापिस आकर बादशाह को सुचना दी - वह जमीन मे से रौशनी की लपटे निकल रही है, शायद उन्ही की ताकत से यह करिश्मा हुआ है, अगर आप हुक्म दे तो उन्हें बंद करवा दे, इस तरह हिन्दुओ की इबादत की जगह ही खत्म हो जाएगी..

अकबर ने स्वीक्रति दे दी, शाही सिपाहियो ने सर्व-प्रथम माता की पवित्र ज्योति के उपर लोहे के मोटे-मोटे तवे रखवा दिए! परन्तु दिव्या ज्योति तवे फोड़कर उपर निकल आई. इसके पछ्चात एक नहर का बहाव पवित्र ज्योत की और मोड़ दिया गया. जिससे नहर का पानी निरंतर ज्योति की उपर गिरता रहे. फिर भी ज्योति का जलना बंद ना हुआ. शाही सिपाहियो ने अकबर को सुचना दे दी - जोतों का जलना बंद नही हो सकता, हमारी सारी कोशिशे नाकाम हो गई. आप जो मुनासिब हो करे , यह समाचार पाकर बादशाह अकबर दरबार ने दरबार के विद्धवान ब्राह्मणों से परामर्श किया. तथा ब्राह्मणों ने विचार करके कहा की आप स्वय जाकर देवी के चमत्कार देखे, नियमानुसार भेंट आदि चढ़ाकर देवी माता को प्रसन्न करे. बादशाह ले लिए दरबार जाने का नियम यह है की वह स्वय अपने कंधे पर स्वामन शुद्ध सोने का छत्र लादकर नंगे पैर माता के दरबार मे जाए. तत्पछ्चात स्तुति आदि करके माता से क्षमा मांग ले

अकबर ने ब्राह्मणों की बात मान ली! सवामन पक्का सोने का भव्य छत्र तैयार हुआ! फिर वह छत्र अपने कंधे पर रख कर नंगे पैर बादशाह ज्वाला जी पहचे . वहां दिव्या ज्योति के दर्शन किये, मस्तक श्रधा से झुक गया, अपने पर पछ्चाताप होने लगा, सोने का छत्र कंधे से उतर कर रखने का उपक्रम किया... परन्तु... छत्र... गिर कर दूट गया! कहा जाता है वह सोने का रहा, किसी विचित्र धातु का बन गया- जो ना लोहे का था, ना पीतल, ना ताम्बा और ना ही सीसा

अर्थात देवी ने भेंट अस्वीकार कर दी

इस चमत्कार को देखकर अकबर ने अनेक प्रकार से स्तुति करते हुए माता से क्षमा की भीख मांगी और अनेक प्रकार से माता की पूजा आदि करके दिल्ली वापिस लौटा. आते ही अपने सिपाहियो को सभी भगतो से प्रेम - पूर्वक व्यवहार करने का आदेश निकाल दिया

अकबर बादशाह द्वारा चढाया गया खंडित छत्र माता जी के दरबार के बाई और आज भी पड़ा हुआ देखा जा सकता है

!! बोलो सांचे दरबार की जय!!
हे माता रानी लिखने मे कोई कमी रह गई हो तो अपने इस बेटे को अनजान समझ कर माफ़ करना आप का बेटा संजय मेहता

बोलिए जय माता दी
बोलिए ज्वाला माई की जय
बोलिए मेरी माँ राज रानी की जय
बोलिए मेरी माँ दुर्गा रानी की जय
बोलिए मेरी माँ वैष्णो रानी की जय

जैकारा सचिया ज्योता वाली का बोल साचे दरबार की जय









कांगडा मंदिर की कथा: Kangra Mandir Ki Katha: Sanjay Mehta Ludhiana








कांगडा मंदिर की कथा

राजा सुशर्मा के नाम पर रखा गया 'सुशर्मापुर' नगर कांगडा का अति प्राचीन नाम है, जिसका उल्लेख महाभारत मे भी मिलता है . महमूद गजनवी के आक्रमण के समय इसका नाम 'नगरकोट' था ' कोट' का अर्थ है किला - अर्थान वः नगर जहा किला है . नगरकोट हुआ. .. त्रिगर्त-प्रदेश कांगडा का महाभारत - कालीन नाम है ! कांगड़ा के शाब्दिक अर्थ है कान + गढ़ अर्थान कान पर बना हुआ किला. पौराणिक कथानुसार ये कान जलंधर दैत्य का है. कथा इस प्रकार है. जलंधर नमक दैत्य का कई वर्षो तक देवताओ से घोर युद्ध हुआ . जलंधर महाम्त्य मे लिखे अनुसार ही जब विष्णु भगवन और शंकर जी कपटी माया से परस्त जलंधर दैत्य युद्ध मे जर्जरित होकर मरनासन्न हो गया तो दोनों देवताओ ने, उनकी साध्वी-पत्नी सती-वृंदा के शाप के भय से जलंधर को प्रतक्ष दर्शन देकर मन चाह वर मांगने को कहा. सती वृंदा(तुलसी) के आराध्य पति-परमेश्वर जलंधर ने दोनों देवताओ की स्तुति करके कहा - हे सर्वशक्तिमान प्रभु! यधपि आपने मुझे कपटी -माया रचकर मारा है, इस पर भी मै अति-प्रसन्न हु. आपके प्रत्यक्ष दर्शन से मुझ जैसे तामसी और अहंकारी दैत्य का उद्धार हो गया. मुझे कृपया यह वरदान दे की मेरा यह पार्थिव शरीर जहाँ जहाँ तक फैला है उने परिमाण योजन में सभी देवी - देवताओ और तीर्थो का निवास रहे, आपके श्रद्धालु एवं भगत मेरे शरीर पर स्थित इन तीर्थो मे स्नान-ध्यान-दर्शन-पूजन-दान-श्राधादी करके पुण्यलाभ प्राप्त करे. इसके पछ्चात जलंधर ने वीरासन मे स्थित होकर प्राण त्याग दिए. इसी कथा के अनुसार शिवालिक पहाडियो के बीच १२ योजन के क्षेत्र मे जलंधर पीठ फैला हुआ है. जिसकी परिक्रमा मे ६४ तीर्थ व् मंदिर पाए जाते है. इनकी प्र्दक्षिना का फल चल-धाम की यात्रा से कम नहीं है



कोट कांगड़ा मैया की भेंट

किला कांगड़ा तेरा माँ
आन मुगल ने घेरा माँ

किला कांगड़ा तेरा माँ

नगर कोट की आदि भवानी
मुगल तुर्क ने नहीं मानी
तवे जडाये नेहर मंगाई
लाया भवन पे डेरा माँ
किला कांगड़ा तेरा माँ

तवे फोड़ भईया परचंडी
मुगल भाग गए पगडण्डी
फूंक दिया सब डेरा माँ
किला कांगड़ा तेरा माँ

भागे मुगल आये शरनाई
भ्रम भुलाना बक्शो माई
फेर ना पावा फेरा माँ
किला कांगड़ा तेरा माँ

झूले झुंडे लाल निशाने
माता पहने कुसुमड़े बाने
ध्यानु चाकर(संजय मेहता) तेरा माँ
किला कांगड़ा तेरा माँ
किला कांगड़ा तेरा माँ

बोलिए ब्रजेश्वरी मैया की जय
बोलिए कांगडे वाली मैया की जय
बोलिए मेरी माँ राज रानी की जय
बोलिए मेरी माँ वैष्णो रानी की जय
जय माता दी जी








शनिवार, 26 नवंबर 2011

श्री शनि देवी स्त्रोत








श्री शनि देवी स्त्रोत


जिनके शरीर वर्ण कृष्ण , नील तथा भगवन शंकर के समान है, उन शनिदेव को नमस्कार है. जो जगत के लिए कालाग्नि एवं क्र्तांतरूप है , उन शनैश्चर को बारम्बार नमस्कार है. जिनकी दाढ़ी - मूछ और जटा बड़ी हुई है, उन शनिदेव को प्रणाम है. जिनके बड़े - बड़े नेत्र , पीठ मे सटा हुआ पेट और भयानक आकर है , उन शनैश्चर देव को नमस्कार है. जिनके शरीर का ढांचा फैला हुआ है, जिनके रोंए बहुत मोटे है , जो लम्बे-चौड़े किन्तु सूखे शरीर वाले है तथा जिनकी दाढे काल रूप है, उन शनिदेव को बारम्बार प्रणाम है .. शने! आपके नेत्र खोखले के समान गहरे है, आपकी और देखना कठिन है, आप घोर , रौद्र , भीषण और विकराल है. आपको नमस्कार है. बलीमुख! आप सब कुछ भक्षण करने वाले है; आपको नमस्कार है, सुर्यनंदन! भास्करपुत्र! अभय देनेवाले देवता ! आपको प्रणाम है! नीचे की और दृष्टि रखने वाले शनिदेव! आपको नमस्कार है, संवर्तक ! आपको संजय मेहता का प्रणाम है, मंदगति से चलने वाले शनैश्चर! आपका प्रतीक तलवार समान है . आपको पुन:-पुन: प्रणाम है. आपने तपस्या से अपने देह को दग्ध कर दिया है; आप सदा योगाभ्यास तत्पर , भूख से आतुर और अत्रप्त रहते है! आपको सदा - सर्वदा नमस्कार है! ज्ञाननेत्र ! आपको प्रणाम है! कश्यप्नंदन सूर्य के पुत्र शनिदेव ! आपको नमस्कार है! आप संतुष्ट होने पर राज्य दे देते है और रुष्ट होने पर उसे तत्क्षण हर लेते है! देवता, असुर, मनुष्य, सिद्ध , विद्याधर और नाग - ये सब आपकी दृष्टि पड़ने पर समूल नष्ट हो जाते है. देव! मुझपर प्रसन्न होइए ! मै संजय मेहता वर पाने के योग्य हु और आपकी शरण आया हु...

शनिदेव ने कहा : देवता, असुर, मनुष्य, सिद्ध , विद्याधर तथा राक्षस - इनमे से किसी के भी मृत्यु , स्थान, जन्मस्थान अथवा चतुर्थ स्थान मे रहू तो उसे मृत्यु का कष्ट दे सकता हु. किन्तु जो श्रधा से युक्त , पवित्र और एकाग्रचित हो मेरी लोहमयी सुंदर प्रतिमा का शमीपत्रों से पूजन करके तिलमिश्रित उड़द - भात , लोहा, काली गौ या काला वर्षभ ब्राह्मण को दान करता है तथा विशेषत: मेरे दिन को इस स्त्रोत्र से मेरी पूजा करता है, पूजन के पश्चात भी हाथ जोड़कर मेरे स्त्रोत्र का जप करता है , उसे मै कभी भी पीड़ा नहीं दूंगा गोचर में जन्मलग्न में , दशाओं तथा अन्तेर्द्शाओ में ग्रह - पीड़ा का निवारण करके मै सदा उसकी रक्षा करूँगा ! इसी विधान से सारा संसार पीड़ा से मुक्त हो सकता है.
जय माता दी जी
जय मेरी माँ राज रानी की जय
जय मेरी माँ वैष्णोदेवी की जय
जय जय शनिदेव
हर हर महादेव







गुरुवार, 24 नवंबर 2011

नैना देवी कलियुग मे प्रकट होने की कथा : Naina Devi : Sanjay Mehta Ludhiana









नैना देवी
कलियुग मे प्रकट होने की कथा



इस पहाड़ी के समीप के इलाके मे कुछ गुजरो की आबादी रहती थी. उसमे नैना नाम का गुजर देवी का परम भगत था . वह अपनी गाये भैंस आदि पशुओ को चराने के लिए इस पहाड़ी पर आया करता था. इस पर जो पीपल का वृक्ष अब भी विराजमान है उसके नीचे आकर गुजर की एक गाये खड़ी हो जाती थी . और अपने आप दूध देने लगती . नैना गुजर ने यह दृश्य कई बार देखा. वह यह देखकर सोच - विचार मे डूब जाया करता था के आखिर एक अनसुई गाये के थनों मे इस पीपल के पेड़ के नीचे आकर दूध क्यों आ जाता है . अंतत: एक बार उसने उस पीपक के पेड़ के नीचे जाकर जहाँ गाये का दूध गिरता था वहां पड़े हुए सूखे पत्तो के ढेर को हटाना आरंभ कर दिया. पत्ते हटाने के बाद उसमे दबी हुई पिण्डी के रूप मे माँ भगवती की प्रीतिमा दिखाई दी. नैना गुजर ने जिस दिन पिण्डी के दर्शन किये, उसी रात को माता ने स्वप्न मे उसे दर्शन दिए और कहा की मे आदिशक्ति दुर्गा हु तू इसी पीपल के नीचे मेरा स्थान बनवा दे. मै तेरे ही नाम से प्रिसद्ध हो जाउंगी. नैना माँ भगवती का परम भगत था. उसने प्रात:कल उठते ही देवी माँ की आज्ञानुसार उसी दिन से मंदिर की नीवं रख दी. शीघ्र ही इस स्थान की महिमा चारो तरफ फ़ैल गई. श्रद्धालु भगत दूर दूर से आने लगे. उनकी मनोकामनाए पूरी होती रही. देवी के भगतो ने भगवती का सुंदर, भव्य तथा विशाल मंदिर बनवा दिया और तीर्थ नैनादेवी नाम से प्रिसद्ध हो गया, मंदिर के समीप ही एक गुफा है , जिसे नैना देवी की गुफा कहते है, इसके दर्शनार्थ भी कई भगत जाते है

बोलिए नैना देवी माँ की जय
बोलिए मेरी माँ राज रानी की जय
बोलिए मेरी माँ वैष्णो रानी की जय
बोलिए मेरी माँ दुर्गा की जय







राधे रमण कहो : Radhe Radhe Kaho: Sanjay Mehta Ludhiana








जय माता दी जी , जय माता दी जी , जय माता दी



जिस हाल मे, जिस देश मे, जिस भेष मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

जिस रंग मे, जिस ढंग मे , जिस संग मे रहो

राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

जिस काम मे, जिस धाम मे, जिस गावं मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

चाहे ध्यान मे, चाहे ज्ञान मे , चाहे अभिमान मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

चाहे रोग मे, चाहे भोग मे, चाहे जोग मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

चाहे हँसते हो, चाहे रोते हो, चाहे मौन ही रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

चाहे सोते हो, चाहे जागते हो, चाहे सपने मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

चाहे खाते हो, चाहे पीते हो , चाहे भूखे ही रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

चाहे राग मे, चाहे अनुराग मे , चाहे बेराग मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

जिस संसार मे, जिस परिवार मे, जिस घर बार मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

जिस मान मे, जिस सम्मान मे , अपमान मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

जिस धर्म मे , जिस कर्म मे , जिस मर्म मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

चाहे मथुरा मे, चाहे वृन्दावन मे, चाहे गौकुल मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

चाहे हरिद्वार मे , चाहे ऋषिकेश मे , चाहे प्रयाग मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

चाहे इह लोग मे, चाहे परलोक मे , चाहे गौलोक मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

बोलिए सचिया ज्योत वाले मेरे मांजी की जय
बोलिए मेरी माँ राज रानी की जय
बोलिए मेरी माँ दुर्गा की जय
बोलिए मेरी माँ वैष्णवी की जय
जय माता दी जी







जय माता दी कहो: Jai Mata Di Kaho By Sanjay Mehta Ludhiana







जय माता दी जी , जय माता दी जी , जय माता दी


जिस हाल मे, जिस देश मे, जिस भेष मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

जिस रंग मे, जिस ढंग मे , जिस संग मे रहो

जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

जिस काम मे, जिस धाम मे, जिस गावं मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

चाहे ध्यान मे, चाहे ज्ञान मे , चाहे अभिमान मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

चाहे रोग मे, चाहे भोग मे, चाहे जोग मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

चाहे हँसते हो, चाहे रोते हो, चाहे मौन ही रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

चाहे सोते हो, चाहे जागते हो, चाहे सपने मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

चाहे खाते हो, चाहे पीते हो , चाहे भूखे ही रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

चाहे राग मे, चाहे अनुराग मे , चाहे बेराग मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

जिस संसार मे, जिस परिवार मे, जिस घर बार मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

जिस मान मे, जिस सम्मान मे , अपमान मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

जिस धर्म मे , जिस कर्म मे , जिस मर्म मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

चाहे चिंतपूर्णी, चाहे वैष्णोदेवी , चाहे लुधियाना मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

चाहे नैना देवी, चाहे कांगडे मे , चाहे मनसा देवी मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

चाहे इह लोग मे, चाहे परलोक मे , चाहे गौलोक मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

बोलिए सचिया ज्योत वाले मेरे मांजी की जय
बोलिए मेरी माँ राज रानी की जय
बोलिए मेरी माँ दुर्गा की जय
बोलिए मेरी माँ वैष्णवी की जय
जय माता दी जी








बुधवार, 23 नवंबर 2011

क्यों हर मोड़ पर गम ही मिला है: Sanjay Mehta Ludhiana









शेरां वाली माता तेरी जय हो सदा
माँ मुझको तू बता दे क्या मेरी खता है

क्यों हर मोड़ पर गम ही मिला है
माँ मुझको तू बता दे क्या मेरी खता है
क्यों हर मोड़ पर गम ही मिला है
हँसता हु पल भर को फिर दर्द सताता है
हर रोज नया गम क्यों मुझको मिल जाता है

शेरां वाली माता तेरी जय हो सदा
माँ मुझको तू बता दे क्या मेरी खता है

ज्योता वाली माता तेरी जय हो सदा जय
उसने ही मुझको है दिखा दिया
मैंने विश्वास जिस पे किया
मुझको रुलाके हंसाता जमाना है
अश्को कर मैंने पिया
टुटा है हर एक सपना जो मैंने सजाया था
लूटा है दुनिया ने जो मैंने पाया था
शेरां वाली माता तेरी जय हो सदा
माँ मुझको तू बता दे क्या मेरी खता है
क्यों हर मोड़ पर गम ही मिला है

बन जा सहारा तू
इस बेसहारे की अर्जी
मंजूर कर अर्जी मंजूर कर
चरणों मे अपनी जगह देके
मेरे सभी दुःख दूर कर
खाली मे आया था खाली नहीं जाना है
जो तुमसे माँगा है वो तुमसे ही पाना है
क्यों हर मोड़ पर गम ही मिला है
शेरां वाली माता तेरी जय हो सदा
माँ मुझको तू बता दे क्या मेरी खता है
क्यों हर मोड़ पर गम ही मिला है








मंगलवार, 22 नवंबर 2011

जागरण : Jagran By Sanjay Mehta Ludhiana








जागरण

हम आज सभी मिल कर , तेरी रात जगायेंगे
ओ महावीर सुन लो, तेरी महिमा गाएंगे

तुझसे मिलने को भला, कोई रोकेगा कैसे
कदमो से लिपट जाये, वृक्षों से लता जैसे
सपनो मे मिले थे तुम, अब सामने पाएंगे
हम आज सभी मिल कर , तेरी रात जगायेंगे
ओ महावीर सुन लो, तेरी महिमा गाएंगे

पूरी होगी तृष्णा, प्यासे इन नयनन की
माथे से लगा लेंगे, धूलि तेरे चरनन की
चरणामृत लेकर के, हम भव तर जायेंगे
हम आज सभी मिल कर , तेरी रात जगायेंगे
ओ महावीर सुन लो, तेरी महिमा गाएंगे


सदीओ से सदा हमने , तेरी आस लगाई है
पागल मनवा कहता , इसमें ही भलाई है
पाकर तेरे दर्शन को, हम धन्य हो जायेंगे
हम आज सभी मिल कर , तेरी रात जगायेंगे
ओ महावीर सुन लो, तेरी महिमा गाएंगे

चुनकर वन उपवन से , पुष्पों की मधुर लड़िया
एक हार बनाया है , बीती है कई घड़िया
ये पुष्प भजन माला, तेरे चरण चढ़ाएंगे
हम आज सभी मिल कर , तेरी रात जगायेंगे
ओ महावीर सुन लो, तेरी महिमा गाएंगे







शनिवार, 19 नवंबर 2011

मेरे हनुमान आये है : Mere Hanumaan Aaye Hai By Sanjay Mehta Ludhiana










लताओं पुष्प बरसाओ मेरे भगवान आये है
मेरे हनुमान आये है -२
ऐ कोयल मीठे स्वर गाओ मेरे भगवान आये है
मेरे हनुमान आये है

लगी थी आशा सदियो से हुए है आज वो दर्शन
निभाने आज वायदे को पधारे खुद पतित पावन
मेरे कष्ट हरने को वो नंगे पाँव आये है

मेरे हनुमान आये है


करू कैसे तेरी पूजा ना मन फुला समाता है
कहा जाऊ मै क्या करू समझ कुछ भी ना आता है
मुझे अपने ही रंग मै रंगकर बढ़ाने मान आये है
मेरे हनुमान आये है


न चाहिए धन दौलत मुझको तेरी भगति मै चाहता हु
मेरे सिर पर हो तेरा यही वरदान चाहता हु
अधम मुझ नीच पापी को करन उद्धार आये है
मेरे भगवान आये है
मेरे हनुमान आये है








शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

ਜਦੋ ਦੀ ਮੈਯਾ ਨੇ ਸਾਡੀ ਬਾਹ ਫੜ ਲਈ ਹੈ: Jado Di Maiya Ne Saadi Baah Fad Lai Hai: by tarsem kapoori









By ਤਰਸੇਮ ਕਪੂਰੀ

ਜਦੋ ਦੀ ਮੈਯਾ ਨੇ ਸਾਡੀ ਬਾਹ ਫੜ ਲਈ ਹੈ
ਫਿਕਰ ਰਿਹਾ ਨਾ ਕੋਈ ਹੈ
ਹੁਣ ਮੋਜਾ ਹੀ ਮੋਜਾ
ਮੇਹਰ ਦਾਤੀ ਦੀ ਹੋਈ ਹੈ
ਹੁਣ ਮੋਜਾ ਹੀ ਮੋਜਾ
ਕਿਰਪਾ ਦਾਤੀ ਦੀ ਹੋਈ ਹੈ
ਹੁਣ ਮੋਜਾ ਹੀ ਮੋਜਾ

ਚਰਨਾ ਦੇ ਨਾਲ ਜੋ ਮੈਯਾ ਦੇ ਆਕੇ ਜੁਡਿਯਾ
ਖਾਲੀ ਨਾ ਆਕੇ ਓਹ ਦਰਬਾਰ ਤੋ ਮੁਡਿਯਾ
ਮੰਗਿਯਾ ਜੋ ਮਿਲਿਯ ਸੋਈ ਹੈ
ਹੁਣ ਮੋਜਾ ਹੀ ਮੋਜਾ
ਮੇਹਰ ਦਾਤੀ ਦੀ ਹੋਈ ਹੈ
ਕਿਰਪਾ ਦਾਤੀ ਦੀ ਹੋਈ ਹੈ

ਗਮਾ ਦੇ ਪਹਾੜ ਸਾਡੇ ਸਰ ਉਤੋ ਲਥ ਗਏ
ਦੁਖ ਤੇ ਕਲੇਸ਼ ਪਲਾ ਵਿਚ ਕਟ ਗਏ
ਹੁਣ ਦੁਖੜਾ ਨਾ ਕੋਈ ਹੈ
ਹੁਣ ਮੋਜਾ ਹੀ ਮੋਜਾ
ਕਿਰਪਾ ਦਾਤੀ ਦੀ ਹੋਈ ਹੈ
ਹੁਣ ਮੋਜਾ ਹੀ ਮੋਜਾ
ਮੇਹਰ ਮੈਯਾ ਦੀ ਹੋਈ ਹੈ

ਬਾਕੀ ਲਈ video ਦੇਖੇ
ਜੈ ਮਾਤਾ ਦੀ ਜੀ






आदत बुरी सुधर लो, बस हो गया भजन: Aadt Buri Sudhar Lo bas Ho Gya Bhjana: Sanjay Mehta , Ludhiana









आदत बुरी सुधर लो, बस हो गया भजन
दृष्टि मे तेरी खोट है, दुनिया निहार ले
गुरु ज्ञान अंजन सार लो, बस हो गया भजन
आदत बुरी सुधर लो, बस हो गया भजन

दुनिया तुम्हे बुरा कहे, पर तुम करो क्षमा
वाणी को भी सम्भार लो, बस हो गया भजन
आदत बुरी सुधर लो, बस हो गया भजन


विषयों की तीव्र आग मे जलता ही जा रहा
मन की तरंग मार लो , बस हो गया भजन
आदत बुरी सुधर लो, बस हो गया भजन


रिश्तो से मोह त्याग कर राम से प्रेम कर
इतना ही मन मे विचार लो, बस हो गया भजन
आदत बुरी सुधर लो, बस हो गया भजन


जाना है सबको एक दिन दुनिया को त्याग के
इस जीवन को तुम स्म्बार लो बस हो गया भजन
आदत बुरी सुधर लो, बस हो गया भजन
जय माता दी जी
प्रेम से बोले जय माता दी
हरी बोल, हरी बोल
श्याम बोल प्यारा प्यारा नाम बोल
राधे राधे








बुधवार, 16 नवंबर 2011

तेरी उची शान है भोला : Teri Uchi shaan Hai Bhola: Sanjay Mehta Ludhiana









तेरी उची शान है भोला
रखता सब का है मान भोला
कहता तुझको डमरू वाला
झोले सबकी भरने वाला -2
मुझ को मालामाल बना दे
मेरी किस्मत को जगा दे
जग मे तेरा नाम है भोला
उचा तेरा धाम है भोला
भगतो का तू ही रखवाला
सब की तू ही सुनने वाला
मुझ को भी धनवान बना दे
मेरी जग मे शान बड़ा दे
बंगला आलिशान दिला दे
अमरीक्का जपान घुमा दे
तुने सब को खूब दिया है
मुझ से क्यों मुह फेर लिया है
सर पे मेरे हाथ फिरा दे
मेरी किस्मत को जगा दे


कर्ज दे या दान दे दे
या कोई वरदान दे दे
चांदी ,सोना, हीरे, मोती
सब मुझे भगवान दे दे -2
करुना का मोहे दान दे दे
मान दे सन्मान दे दे
हो उजाला ऐसी ज्योति
मुझ को भी प्रभु ज्ञान दे दे
अब तो अर्जी मान ले भोला
कर दे यह अहसान भोला
तू बड़ा भंडारी बाबा
तेरी लीला न्यारी बाबा
तुने सब को खूब दिया है
मुझ से क्यों मुह फेर लिया है
बेडा मेरा पार लगा दे
मेरी किस्मत को जगा दे

अपनी झोली झाड दे दे
मुझ को छपर फाड़ दे दे
मेरे भोले, भोले बाबा
मुझ को मोटर कार दे दे -2
मेरे भी कर ध्यान भोला
एसा दे वरदान भोला
दे दे भोला नाथ दे दे
दौलत की बरसात दे दे
मुझ को मालामाल बना दे
मेरी किस्मत को जगा दे
तू बड़ा भंडारी बाबा
तेरी लीला न्यारी बाबा
तुने सब को खूब दिया है
मुझ से मुह क्यों फेर लिया है
बेडा मेरा पार लगा दे
मेरी किस्मत को जगा दे

तू बड़ा भोला है दानी
सब ने है यह बात मानी
मै भी मानु तेरी महिमा
मुझ को दे कोई निशानी -2
मेरी सुन फ़रियाद भोला
तुझ को करता याद भोला
मेरा भी कल्याण कर दे
मुझ पे भी एहसान कर दे
मुझ को मालामाल बना दे
मेरी किस्मत को जगा दे
तू बड़ा भंडारी बाबा
तेरी लीला न्यारी बाबा
तुने सब को खूब दिया है
मुझ से क्यों मुह फेर लिया है
बेडा मेरा पार लगा दे
मेरी किस्मत को जगा दे
तेरी उची शान है भोला
रखता सब का है मान भोला
कहता तुझको डमरू वाला
झोले सबकी भरने वाला
मुझ को मालामाल बना दे
मेरी किस्मत को जगा दे

संजय मेहता , लुधिअना
जय माता दी जी
प्रेम से बोले जय माता दी
हर हर महादेव







सोमवार, 14 नवंबर 2011

नाम खुमारी माँ चढ़ी रहे दिन रात: Naam Khumari Maa Chadi Rahe Din Rat: Sanjay Mehta Ludhiana










नाम खुमारी माँ चढ़ी रहे दिन रात
सांझ सवेरे शिखर दोपहरी या होवे प्रभात
नाम खुमारी माँ चढ़ी रहे दिन रात

तू ही सब कुछ करने वाली सब है तेरी माया
मे अज्ञानी एसा हु जो इस जग मे भरमाया
मेरे फंद छुड़ा के दाती - दे दो नाम की दात
नाम खुमारी माँ चढ़ी रहे दिन रात


ऐसी कर दे मेरी वृति नाम ना भूलू तेरा
हर पल हर जाँ हर एक हाल मे नाम ध्याऊ तेरा
सोते भी हो जागते भी हो - नाम तेरे की बात
नाम खुमारी माँ चढ़ी रहे दिन रात

मेरा कर्म ना एसा कोई - गुण तेरे गा पाऊ
मैहर करो मुझ पर ऐ दाती - तेरा जी नाम ध्याऊ
भूल के मेरी भूलो को - रहमत की कर बरसात
नाम खुमारी माँ चढ़ी रहे दिन रात

सब कुछ दिया है तुने मुझको रखी कमी कोई ना
काम करू मै जग के सारे भूलू तुझे कभी ना
संजय मेहता की झोली डाल दे - नाम की माँ सौगात
नाम खुमारी माँ चढ़ी रहे दिन रात











रविवार, 13 नवंबर 2011

स्वर्गो से आलिशानी है माँ दरबार आपका: Swrg Se Aalishan Hai Maa: Sanjay Mehta Ludhiana









स्वर्गो से आलिशानी है माँ दरबार आपका
करता है खुशनसीब ही दीदार आपका
स्वर्गो से आलिशानी है माँ दरबार आपका


माँ दुष्टों ने जब किये थे धरती पे अत्याचार
सब देवता ऋषि मुनि करने लगे पुकार
भक्ति से शक्ति हो गया अवतार आपका
स्वर्गो से आलिशानी है माँ दरबार आपका

माँ तेरी रजा बगैर तो एक फुल ना खिले
हो ना इशारा जब तलक पत्ता भी ना हिले
हर शै पे चलता राज है सरकार आपका
स्वर्गो से आलिशानी है माँ दरबार आपका


माँ कोई राजा है ना रंक तेरी निगाह मे
चलके जो दाती आ गया तेरी पनाह मे
मिलता है उस बशर को बस प्यार आपका
स्वर्गो से आलिशानी है माँ दरबार आपका

भूले जो हो गई भूल से माँ उनको मुआफ कर
खाता मेरे गुनाह का माँ तू दिल से साफ़ कर
संजय पे होगा मेहरबां उपकार आपका
स्वर्गो से आलिशानी है माँ दरबार आपका

जय माता दी जी
जय जय माँ
बोलो जय जय माँ





शनिवार, 12 नवंबर 2011

दोहे : dohe by sanjay mehta Ludhiana









दुर्गा दुर्गीती दूर कर सिंह वाहिनी माँ -२
दया दास पर कीजिए लाज है तेरे हाथ हे माता


तुम से बड़ा ना और कोई तू है शक्ति महान
ब्रह्मा विष्णु शिव शंकर तेरा लगाये ध्यान

शक्ति माँ तू एक है तेरे रूप हजार
सारे रूपों मे तुझे माँ माने यह संसार


भवन बुहारे पवन तेरा इन्दर करे छिडकाव
चाँद सूरज ज्योति करे योगिनी सेज लगाये


सारे मुनि और देवता तेरे चरणों के दास
भैरव लंगूर लाडले हर दम रहते पास


महामाया जगदम्बिके सब की पालनहार
दुर्गा परम सनातनी जग की स्र्झार

महागौरी वरदायनी मैया दया निधान
भव तारक परमेश्वर करती जग कल्याण

महसिधि महायोगिनी भगतो दुर्गा मात
असुरो की संहारिणी तेरी निराली बात

महिमा जिस की गाती है. सारे वेद पुराण
दुनिया सारी कर रही माता का गुणगान

महिषासुर एक दत्य था.. एक पापी शैतान
अपने बल पर था उसे बहुत बड़ा अभिमान

समझ सका ना माँ शक्ति वो पापी नादान
दुर्गा माँ ने मिटा दिया उसका नामो निशान

दमयंती जयवंती सावित्री सुखेश्वरी तेरा नाम
जगदम्बा जगदीश्वरी तेरे अनेको धाम

सैलसुता माँ शक्तिशाली माता लीला अपरम्पार
सब रूपों मे मानता तुमको माँ संसार

कुष्मांडा भी तुझको कहते काली नाम है काल
चन्द्रघंटा कत्यानी शिवानी दीन ध्याल

ज्योति रूप ज्वाला माँ तेरी निराली शान
अकबर से अभिमानी का तोड़ दिया अभिमान

ध्यानु भगत ने भेट दी अपना शीश उतार
दुर्गा रूप दर्शन दिया उस को किया उद्धार

अपने प्यारे भगत का तुने बढाया मान
पार उसे भव से किया तेरा लगाया ध्यान


शक्ति तेरी अज माने माँ लाया नहर खुदाए
देख तेरी लीला को मस्तक दिया झुकाया

छत्र चडाया सोने का तुम को शक्ति मान
नंगे पैर चल के आया छोड़ के सब अभिमान


शुम्ब निशुम्ब के आतंक से देवता गए घबराये
याद किया माँ दुर्गा को हम को लियो बचाए

काल रूप माँ कलिका माँ ने बनाया वेश
हाथ खडग गले मुंडमाला नेत्र लाल खुले केश

अग्नि सा तन दहकता अम्बे हुई थी लाल
शुम्ब निशुम्ब पर टूट पड़ी बन के उन का काल

देख के शक्ति माता की मच रही हाहाकार
दानव सब घबरा गए कुछ ना बसावे पार

शुम्ब निशुम्ब के शीश पर माँ की पड़ी तलवार
शीश पड़ा कट धरा पर माँ की हुई जय जय कार


देवता सारे कर रहे माता का गुणगान
आगे की महिमा सुनो कहते संजय कर naa

अन्न धनं की धाती रे भगतो अन्नपूर्ण मात
सृष्टि की पालक है यह सब पे इन की छाव

त्रिभुवन की यह स्वामिनी रक्तदन्ता तेरा नाम
योग माया गज्धामिनी इन के अनेको नाम


वन्द्यावासिनी नाम से निशदिन करे जो याद
सुख दायिनी शाकुम्बरी सब को करे आबाद

चंड मुंड को मारिनी चामुंडा कहलाये
चिंता हरे चिन्तपुरनी सब के काज बनाया

आदि कुमारी वैष्णो किया भैरव संहार
झोलिय भारती है सब की पूजे इसे संसार

त्रिकुट पर्वत पर लगा सचा माँ का दरबार
दर्शन को आते सभी माँ का पाने प्यार


काँगड़ा वाली भी तुही ब्रिजेश्वरी तेरा नाम
भगतो के दुःख हरिणी पावन तेरा धाम

नैनो से जिस के बरसे ममता अमृत धार
नैना देवी है वही उनका सचा दरबार

मनन करे जो मनसा का मन के मिटे विकार
दे उजाला प्रेम का मेटे सब अन्धकार

मनवांछित फल मिलता है बगुलामुखी के द्वारा
माँ दुर्गा तेरे रूप को माने सब संसार

शीतला शीतल करे नाम रटे जो कोई
नासे सारे क्रोध को हृदय शीतल होए

सिधेश्वरी राजेश्वरी कामख्या पार्वती
श्यामा गौरी और रुकमनी तू ही है महा सती

चंदा देवी अर्भ्दा त्रिपुर मालिनी नाम
खुलती जहा तकदीर है पावन तेरा धाम

जिस घर मे वासा करे लक्ष्मी रानी मात
उस घर मे आनंद हो सदा दिवाली रात

कैला देवी कैराली लीला अपरम्पार
जिन क पावन धाम पर हो रही जय जय कार

मंगल मई है दुर्गा माँ सब की सुने पुकार
करुना का तेरे द्वार पे सदा खुला भण्डार

हिंगलाज भेय्हारिणी रमा उमा शक्ति
मन मंदिर मे बसा के कर ले इन की भागती


तारा माँ जग तारिणी भव सागर से पार
विन्देश्वरी भुवनेश्वरी सब को बांटे प्यार

करे सवारी वृश्ब की रुद्रानी मेरी माँ
अपने आँचल की अम्बे सब को देती छा

पद्मावती मुक्तेश्वरी माता बड़ी महान
सब की करती सहाए है सब का करे कल्याण

मिले शक्ति निर्बल को जहाँ वो है माँ का धाम
काम धेनु से तुल्य है शिव शक्ति का नाम

त्रिपुर रूप्नी भगवती जिन का खजाना ज्ञान
मैया मेरी वरदानी है देती है वरदान

कामनापुरी करे कामाक्षी देती है सदा मान
याचक जिस के देवता करते है सदा ध्यान

रोहिणी और सुभद्रा दूर करे अज्ञान
छल कपट ना छोडती तोड़े है अभिमान

अष्ट भुजी मंगल करनी पावन जिस का द्वार
महारिशी संत जपते जिन को बारम्बार

मधु केट्ब और रक्तबीज का तुने किया संहार
धूम्रलोचन का वध कर के हरा भूमि का भार

दुर्गा माँ की शरण मे जो जाते रखती उन की लाज
सकल पदार्थ वो पाए बन जाए बिगरे काज

पांचो चौर उन्हें छले साफ़ रखे ना मन
माँ के चरणों मे करदे तन मन सब अर्पण

कोशिकी देवी मझधार से पार लगाये नाव
अम्बिका माँ पूजिए चल के नंगे पाँव

भैरवी देवी का करो मन से तुम वंदन
खुशिओ से महके भगतो घर आँगन


नंदनी नारायणी महादेवी कहलाये
हर संकट से मुक्त हो इन का जो ध्यान लगाये

मनमोहिनी माँ मूर्ति करती प्रेम बरसात
करुना सब पे करती है दुर्गा भोली मात

मीठी लोरी ममता की गूंजे आठो याम
अमृत बरसे वाणी मे माँ का जो आये नाम

कण कण मे माँ बसे जगह ना खाली कोई
सारे ब्रह्मांड मे जिन का उजाला होए


करुना करे करुनामई माता करुना निधान
सृष्टि की पालन हारा उन की ऊची शान

जीवन मृतु यश अपयश सब है माँ के हाथ
वो कैसे घबराएगा माँ है जिन के साथ

तेरी शरण मे आ गया यह संजय मेहता नादान
ऐसा वर मोहे दीजिये करता रहू गुणगान







तेरी याद माँ शेरावाली जिस पल वी दिल चो भुलावा : Teri Yaad Maa Sherawali By Sanjay Mehta







तेरी याद माँ शेरावाली जिस पल वी दिल चो भुलावा
मे उसे वेले मर जावा

तेनु याद करा हर वेले, जे तेनु याद ना आवा

मे उसे वेले मर जावा

दिन राती दिल विच एको ही ख्याल है
जिदे नाल दाती सारा जग उहदे नाल है
मे छड के तेरा द्वारा
जे होर किसे दर जावा
मे उसे वेले मर जावा

रानिय ने तेरे उते बचिया दी आस है
आएगी जरुर सानु विश्वास है
तेरे हुंदिया झंडिया वाली जद अपना होंसला ढावा
मे उसे वेले मर जावा

तेरे बिन दातिये मेरा ता गुजरा नहीं
आना फिर धरती ते मुड मै दुबारा नहीं
मै मन मंदिर विच दाती जे ना तेरी ज्योत जगावा
मे उसे वेले मर जावा

एको अरदास सदा भरा तेरी हाजरी
चरना च कटे सारी जिंदगी
मै संजय दाती जद तेनु भुलावा
मे उसे वेले मर जावा







शक्ति ने लिया अवतार तो कुछ कारण होगा : Shakti Ne Liya Avtar By Sanjay Mehta, Ludhiana








शक्ति ने लिया अवतार तो कुछ कारण होगा
माँ हो गई सिंह सवार तो कुछ कारण होगा
वो पकडे खड़ी तलवार तो कुछ कारण होगा
माँ हो गई सिंह सवार तो कुछ कारण होगा
नरमुंड का पहने हार तो कुछ कारण होगा
माँ हो गई सिंह सवार तो कुछ कारण होगा
नैनो मे भरे अंगार तो कुछ कारण होगा
माँ हो गई सिंह सवार तो कुछ कारण होगा
बोलो सिंह सवार माँ तेरी जय जय कार







शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

लाल चुनरिया ओड़ के बैठी मैया भद्रकाली है : Lal Chunriya Od ke Bethi Maa : Sanjay Mehta Ludhiana










लाल चुनरिया ओड़ के बैठी मैया भद्रकाली है
मेहरा ये बरसाए सब पर मैया मेहरां वाली है
लाल चुनरिया ओड़ के बैठी मैया भद्रकाली है


दर पे इसके जो भी आता कभी न खाली लौटा है
भर जाता खुशियों से जो भी मन मे होता है
बिन मांगे दे देती सब कुछ मैया ज्योता वाली है
मेहरा ये बरसाए सब पर मैया मेहरां वाली है
लाल चुनरिया ओड़ के बैठी मैया भद्रकाली है

दर पे जो आये उस पर लुटाती अपनी ममता है
शहंशाह हो या हो फकीर रखती माँ सब मे समता है
सब को एक बराबर समझे मैया कांगडे वाली है
मेहरा ये बरसाए सब पर मैया मेहरां वाली है
लाल चुनरिया ओड़ के बैठी मैया भद्रकाली है



दर पे जो भी आ जाये उसकी बिगड़ी है बन जाती
करती माँ रखवाली सबकी हर विपिता है कट जाती
कष्ट भी सरे हर लेती ये माँ कलकते वाली है
मेहरा ये बरसाए सब पर मैया मेहरां वाली है
लाल चुनरिया ओड़ के बैठी मैया भद्रकाली है


दर पे जो भी आ जाये उसका माँ रखती ख्याल है
संजय मेहता जैसे पर भी हो जाती मैया दयाल है
अपनी शरण मे रख लेती मैया ये भोली भाली है
मेहरा ये बरसाए सब पर मैया मेहरां वाली है
लाल चुनरिया ओड़ के बैठी मैया भद्रकाली है