श्री शनि देवी स्त्रोत
जिनके शरीर वर्ण कृष्ण , नील तथा भगवन शंकर के समान है, उन शनिदेव को नमस्कार है. जो जगत के लिए कालाग्नि एवं क्र्तांतरूप है , उन शनैश्चर को बारम्बार नमस्कार है. जिनकी दाढ़ी - मूछ और जटा बड़ी हुई है, उन शनिदेव को प्रणाम है. जिनके बड़े - बड़े नेत्र , पीठ मे सटा हुआ पेट और भयानक आकर है , उन शनैश्चर देव को नमस्कार है. जिनके शरीर का ढांचा फैला हुआ है, जिनके रोंए बहुत मोटे है , जो लम्बे-चौड़े किन्तु सूखे शरीर वाले है तथा जिनकी दाढे काल रूप है, उन शनिदेव को बारम्बार प्रणाम है .. शने! आपके नेत्र खोखले के समान गहरे है, आपकी और देखना कठिन है, आप घोर , रौद्र , भीषण और विकराल है. आपको नमस्कार है. बलीमुख! आप सब कुछ भक्षण करने वाले है; आपको नमस्कार है, सुर्यनंदन! भास्करपुत्र! अभय देनेवाले देवता ! आपको प्रणाम है! नीचे की और दृष्टि रखने वाले शनिदेव! आपको नमस्कार है, संवर्तक ! आपको संजय मेहता का प्रणाम है, मंदगति से चलने वाले शनैश्चर! आपका प्रतीक तलवार समान है . आपको पुन:-पुन: प्रणाम है. आपने तपस्या से अपने देह को दग्ध कर दिया है; आप सदा योगाभ्यास तत्पर , भूख से आतुर और अत्रप्त रहते है! आपको सदा - सर्वदा नमस्कार है! ज्ञाननेत्र ! आपको प्रणाम है! कश्यप्नंदन सूर्य के पुत्र शनिदेव ! आपको नमस्कार है! आप संतुष्ट होने पर राज्य दे देते है और रुष्ट होने पर उसे तत्क्षण हर लेते है! देवता, असुर, मनुष्य, सिद्ध , विद्याधर और नाग - ये सब आपकी दृष्टि पड़ने पर समूल नष्ट हो जाते है. देव! मुझपर प्रसन्न होइए ! मै संजय मेहता वर पाने के योग्य हु और आपकी शरण आया हु...
शनिदेव ने कहा : देवता, असुर, मनुष्य, सिद्ध , विद्याधर तथा राक्षस - इनमे से किसी के भी मृत्यु , स्थान, जन्मस्थान अथवा चतुर्थ स्थान मे रहू तो उसे मृत्यु का कष्ट दे सकता हु. किन्तु जो श्रधा से युक्त , पवित्र और एकाग्रचित हो मेरी लोहमयी सुंदर प्रतिमा का शमीपत्रों से पूजन करके तिलमिश्रित उड़द - भात , लोहा, काली गौ या काला वर्षभ ब्राह्मण को दान करता है तथा विशेषत: मेरे दिन को इस स्त्रोत्र से मेरी पूजा करता है, पूजन के पश्चात भी हाथ जोड़कर मेरे स्त्रोत्र का जप करता है , उसे मै कभी भी पीड़ा नहीं दूंगा गोचर में जन्मलग्न में , दशाओं तथा अन्तेर्द्शाओ में ग्रह - पीड़ा का निवारण करके मै सदा उसकी रक्षा करूँगा ! इसी विधान से सारा संसार पीड़ा से मुक्त हो सकता है.
जय माता दी जी
जय मेरी माँ राज रानी की जय
जय मेरी माँ वैष्णोदेवी की जय
जय जय शनिदेव
हर हर महादेव
नैना देवी
कलियुग मे प्रकट होने की कथा
इस पहाड़ी के समीप के इलाके मे कुछ गुजरो की आबादी रहती थी. उसमे नैना नाम का गुजर देवी का परम भगत था . वह अपनी गाये भैंस आदि पशुओ को चराने के लिए इस पहाड़ी पर आया करता था. इस पर जो पीपल का वृक्ष अब भी विराजमान है उसके नीचे आकर गुजर की एक गाये खड़ी हो जाती थी . और अपने आप दूध देने लगती . नैना गुजर ने यह दृश्य कई बार देखा. वह यह देखकर सोच - विचार मे डूब जाया करता था के आखिर एक अनसुई गाये के थनों मे इस पीपल के पेड़ के नीचे आकर दूध क्यों आ जाता है . अंतत: एक बार उसने उस पीपक के पेड़ के नीचे जाकर जहाँ गाये का दूध गिरता था वहां पड़े हुए सूखे पत्तो के ढेर को हटाना आरंभ कर दिया. पत्ते हटाने के बाद उसमे दबी हुई पिण्डी के रूप मे माँ भगवती की प्रीतिमा दिखाई दी. नैना गुजर ने जिस दिन पिण्डी के दर्शन किये, उसी रात को माता ने स्वप्न मे उसे दर्शन दिए और कहा की मे आदिशक्ति दुर्गा हु तू इसी पीपल के नीचे मेरा स्थान बनवा दे. मै तेरे ही नाम से प्रिसद्ध हो जाउंगी. नैना माँ भगवती का परम भगत था. उसने प्रात:कल उठते ही देवी माँ की आज्ञानुसार उसी दिन से मंदिर की नीवं रख दी. शीघ्र ही इस स्थान की महिमा चारो तरफ फ़ैल गई. श्रद्धालु भगत दूर दूर से आने लगे. उनकी मनोकामनाए पूरी होती रही. देवी के भगतो ने भगवती का सुंदर, भव्य तथा विशाल मंदिर बनवा दिया और तीर्थ नैनादेवी नाम से प्रिसद्ध हो गया, मंदिर के समीप ही एक गुफा है , जिसे नैना देवी की गुफा कहते है, इसके दर्शनार्थ भी कई भगत जाते है
बोलिए नैना देवी माँ की जय
बोलिए मेरी माँ राज रानी की जय
बोलिए मेरी माँ वैष्णो रानी की जय
बोलिए मेरी माँ दुर्गा की जय
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जय माता दी जी , जय माता दी जी , जय माता दी
जिस हाल मे, जिस देश मे, जिस भेष मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो
जिस रंग मे, जिस ढंग मे , जिस संग मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो
जिस काम मे, जिस धाम मे, जिस गावं मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो
चाहे ध्यान मे, चाहे ज्ञान मे , चाहे अभिमान मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो
चाहे रोग मे, चाहे भोग मे, चाहे जोग मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो
चाहे हँसते हो, चाहे रोते हो, चाहे मौन ही रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो
चाहे सोते हो, चाहे जागते हो, चाहे सपने मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो
चाहे खाते हो, चाहे पीते हो , चाहे भूखे ही रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो
चाहे राग मे, चाहे अनुराग मे , चाहे बेराग मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो
जिस संसार मे, जिस परिवार मे, जिस घर बार मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो
जिस मान मे, जिस सम्मान मे , अपमान मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो
जिस धर्म मे , जिस कर्म मे , जिस मर्म मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो
चाहे मथुरा मे, चाहे वृन्दावन मे, चाहे गौकुल मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो
चाहे हरिद्वार मे , चाहे ऋषिकेश मे , चाहे प्रयाग मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो
चाहे इह लोग मे, चाहे परलोक मे , चाहे गौलोक मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो
बोलिए सचिया ज्योत वाले मेरे मांजी की जय
बोलिए मेरी माँ राज रानी की जय
बोलिए मेरी माँ दुर्गा की जय
बोलिए मेरी माँ वैष्णवी की जय
जय माता दी जी
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जय माता दी जी , जय माता दी जी , जय माता दी
जिस हाल मे, जिस देश मे, जिस भेष मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो
जिस रंग मे, जिस ढंग मे , जिस संग मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो
जिस काम मे, जिस धाम मे, जिस गावं मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो
चाहे ध्यान मे, चाहे ज्ञान मे , चाहे अभिमान मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो
चाहे रोग मे, चाहे भोग मे, चाहे जोग मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो
चाहे हँसते हो, चाहे रोते हो, चाहे मौन ही रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो
चाहे सोते हो, चाहे जागते हो, चाहे सपने मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो
चाहे खाते हो, चाहे पीते हो , चाहे भूखे ही रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो
चाहे राग मे, चाहे अनुराग मे , चाहे बेराग मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो
जिस संसार मे, जिस परिवार मे, जिस घर बार मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो
जिस मान मे, जिस सम्मान मे , अपमान मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो
जिस धर्म मे , जिस कर्म मे , जिस मर्म मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो
चाहे चिंतपूर्णी, चाहे वैष्णोदेवी , चाहे लुधियाना मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो
चाहे नैना देवी, चाहे कांगडे मे , चाहे मनसा देवी मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो
चाहे इह लोग मे, चाहे परलोक मे , चाहे गौलोक मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो
बोलिए सचिया ज्योत वाले मेरे मांजी की जय
बोलिए मेरी माँ राज रानी की जय
बोलिए मेरी माँ दुर्गा की जय
बोलिए मेरी माँ वैष्णवी की जय
जय माता दी जी
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शेरां वाली माता तेरी जय हो सदा
माँ मुझको तू बता दे क्या मेरी खता है
क्यों हर मोड़ पर गम ही मिला है
माँ मुझको तू बता दे क्या मेरी खता है
क्यों हर मोड़ पर गम ही मिला है
हँसता हु पल भर को फिर दर्द सताता है
हर रोज नया गम क्यों मुझको मिल जाता है
शेरां वाली माता तेरी जय हो सदा
माँ मुझको तू बता दे क्या मेरी खता है
ज्योता वाली माता तेरी जय हो सदा जय
उसने ही मुझको है दिखा दिया
मैंने विश्वास जिस पे किया
मुझको रुलाके हंसाता जमाना है
अश्को कर मैंने पिया
टुटा है हर एक सपना जो मैंने सजाया था
लूटा है दुनिया ने जो मैंने पाया था
शेरां वाली माता तेरी जय हो सदा
माँ मुझको तू बता दे क्या मेरी खता है
क्यों हर मोड़ पर गम ही मिला है
बन जा सहारा तू
इस बेसहारे की अर्जी
मंजूर कर अर्जी मंजूर कर
चरणों मे अपनी जगह देके
मेरे सभी दुःख दूर कर
खाली मे आया था खाली नहीं जाना है
जो तुमसे माँगा है वो तुमसे ही पाना है
क्यों हर मोड़ पर गम ही मिला है
शेरां वाली माता तेरी जय हो सदा
माँ मुझको तू बता दे क्या मेरी खता है
क्यों हर मोड़ पर गम ही मिला है
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जागरण
हम आज सभी मिल कर , तेरी रात जगायेंगे
ओ महावीर सुन लो, तेरी महिमा गाएंगे
तुझसे मिलने को भला, कोई रोकेगा कैसे
कदमो से लिपट जाये, वृक्षों से लता जैसे
सपनो मे मिले थे तुम, अब सामने पाएंगे
हम आज सभी मिल कर , तेरी रात जगायेंगे
ओ महावीर सुन लो, तेरी महिमा गाएंगे
पूरी होगी तृष्णा, प्यासे इन नयनन की
माथे से लगा लेंगे, धूलि तेरे चरनन की
चरणामृत लेकर के, हम भव तर जायेंगे
हम आज सभी मिल कर , तेरी रात जगायेंगे
ओ महावीर सुन लो, तेरी महिमा गाएंगे
सदीओ से सदा हमने , तेरी आस लगाई है
पागल मनवा कहता , इसमें ही भलाई है
पाकर तेरे दर्शन को, हम धन्य हो जायेंगे
हम आज सभी मिल कर , तेरी रात जगायेंगे
ओ महावीर सुन लो, तेरी महिमा गाएंगे
चुनकर वन उपवन से , पुष्पों की मधुर लड़िया
एक हार बनाया है , बीती है कई घड़िया
ये पुष्प भजन माला, तेरे चरण चढ़ाएंगे
हम आज सभी मिल कर , तेरी रात जगायेंगे
ओ महावीर सुन लो, तेरी महिमा गाएंगे
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