गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

इक बालक ने घर रत्नों दे, वेखो अलख जगाई ए : Jai Baba Balak Naath Ji: Sanjay Mehta Ludhiana








ਇਕ ਬਾਲਕ ਨੇ ਘਰ ਰਤ੍ਨੋ ਦੇ , ਵੇਖੋ ਅਲਖ ਜਗਾਈ ਏ
ਸਾਰੇ ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਰੋਲਾ ਪੈ ਗਯਾ, ਰਤ੍ਨੋ ਮਾਂ ਹਰ੍ਸ਼ਾਈ ਏ

ਕਲ ਤਕ ਵੇਖੋ , ਰਤ੍ਨੋ ਕੱਲੀ ਸੀ , ਅਜ ਰਬ ਨੇ ਕੀ ਰੀਤ ਬਣਾਈ
ਰੂਪ ਧਾਰ ਕੇ ਇਕ ਯੋਗੀ ਦਾ, ਬਾਲਕ ਆ ਗਯਾ ਸ਼ਾਹ ਤਲਾਈ
ਰਲ ਮਿਲ ਸਾਰੇ ਲੋਕ ਆ ਗਏ, ਰਤ੍ਨੋ ਨੂੰ ਮਿਲੇ ਵਧਾਈ ਏ
ਸਾਰੇ ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਰੋਲਾ ਪੈ ਗਯਾ, ਰਤ੍ਨੋ ਮਾਂ ਹਰ੍ਸ਼ਾਈ ਏ

ਸੀਸ ਤੇ ਓਹਦੇ ਸੁਨਹੇਰੀ ਵਾਲ ਨੇ, ਗਲ ਚਾਂਦੀ ਦੀ ਸਿੰਘੀ ਪਾਈ
ਬਗਲ ਚ ਝੋਲੀ, ਹਥ ਚ ਮਾਲਾ, ਲਗਦਾ ਹੈ ਕੋਈ ਓਹ ਰੂਪ ਇਲਾਹੀ
ਜੈ ਅਵਿਨਾਸ਼ੀ , ਗੁਫਾ ਨਿਵਾਸੀ, ਰਚਨਾ ਖੂਬ ਰਚਾਈ ਏ
ਸਾਰੇ ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਰੋਲਾ ਪੈ ਗਯਾ, ਰਤ੍ਨੋ ਮਾਂ ਹਰ੍ਸ਼ਾਈ ਏ

ਬੋਲੋ ਭਗਤੋ , ਸਾਰੇ ਪ੍ਰੇਮ ਨਾਲ , ਪੋਣਾਹਾਰੀ ਦੀ ਜੈ ਬੋਲੋ
ਭਵ ਸਾਗਰ ਤੋ ਪਾਰ ਜੇ ਹੋਣਾ , ਜਟਾਧਾਰੀ ਦੀ ਜੈ ਬੋਲੋ
ਆਪਣੇ ਭਗਤਾ ਦੀ ਝੋਲੀ ਵਿਚ, ਖੈਰ ਬਾਬੇ ਨੇ ਪਾਈ ਹੈ
ਸਾਰੇ ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਰੋਲਾ ਪੈ ਗਯਾ, ਰਤ੍ਨੋ ਮਾਂ ਹਰ੍ਸ਼ਾਈ ਏ

ਸਾਰੇ ਬੋਲੋ ਜੈ ਬਾਬੇ ਦੀ
ਜੈ ਮਾਤਾ ਦੀ ਜੀ
ਮੇਰੀ ਮਾਤ ਵੈਸ਼੍ਨੋਰਾਨੀ ਦੀ ਜੈ
ਮੇਰੀ ਮਾਤ ਰਾਜ ਰਾਨੀ ਦੀ ਜੈ



इक बालक ने घर रत्नों दे, वेखो अलख जगाई ए
सारे पिंड विच रौला पै गया, रत्नों माँ हर्षाई ए

कल तक वेखो, रत्नों कल्ली सी, अज रब ने की रीत बनाई
रूप धार के इक योगी दा, बालक आ गया शाह तलाई
रल मिल सारे लोक आ गए, रत्नों नु मिले वधाई ए
सारे पिंड विच रौला पै गया, रत्नों माँ हर्षाई ए

सीस ते ओहदे सुनहरी वाल ने, गल चांदी दी सिंघी पाई
बगल च झोली, हथ च माला, लगदा है कोई ओह रूप इलाही
जय अविनाशी, गुफा निवासी, रचना खूब रचाई ए
सारे पिंड विच रौला पै गया, रत्नों माँ हर्षाई ए

बोलो भगतो , सारे प्रेम नाल, पोनाहारी दी जय बोलो
भव सागर तो पार जे होना, जटाधारी दी जय बोलो
अपने भागता दी झोली विच, खैर बाबे ने पाई है
सारे पिंड विच रौला पै गया, रत्नों माँ हर्षाई ए

सारे बोलो जय बाबे दी
जय माता दी जी
मेरी मात वैष्णो रानी की जय
मेरी मात राज रानी की जय






बुधवार, 28 दिसंबर 2011

चरणों का तेरे बन के पुजारी: Charno ka tere ban ke pujari: Sanjay Mehta Ludhiana









चरणों का तेरे बन के पुजारी, मन मे बसाऊ तेरी छवि प्यारी प्यारी,
खूब सजती है तुझे शेर की सवारी, जय जय हो अम्बे , जय जय हो जगदम्बे

लाल लाल मैया जी को सोहे रंग लाल है. चुडा लाल , चुन्नी लाल, रोली मोली लाल है
तू ही मसीहा , तू ही मलंग, दुनिया भिखारी , तू शहंशाह , मुझे तो है तेरा आसरा,
जय जय हो अम्बे , जय जय हो जगदम्बे
चरणों का तेरे बन के पुजारी, मन मे बसाऊ तेरी छवि प्यारी प्यारी,
खूब सजती है तुझे शेर की सवारी, जय जय हो अम्बे , जय जय हो जगदम्बे

नेत्र लाल माता तेरे, वस्त्र तेरे लाल है, छवि देख सुध खोया , तेरा नन्हा बाल है
तुझ को पुकारे जाऊँगा, झोली यही फेलाऊंगा , मन की मुरदे पाऊंगा.
जय जय हो अम्बे , जय जय हो जगदम्बे
चरणों का तेरे बन के पुजारी, मन मे बसाऊ तेरी छवि प्यारी प्यारी,
खूब सजती है तुझे शेर की सवारी, जय जय हो अम्बे , जय जय हो जगदम्बे

कुंडल पहने कानो मे, और गले पुष्पमाल है , मेहँदी से है हाथ लाल, हृदय भी विशाल है
मैया तू है महारानी, निशदिन पडू तेरी मै वाणी, तेरे हाथ मेरी जिंदगानी
जय जय हो अम्बे , जय जय हो जगदम्बे
चरणों का तेरे बन के पुजारी, मन मे बसाऊ तेरी छवि प्यारी प्यारी,
खूब सजती है तुझे शेर की सवारी, जय जय हो अम्बे , जय जय हो जगदम्बे

जय माता दी जी
बोलिए मेरी माँ शेरोवाली की जय
बोलिए मेरी माँ राज रानी की जय
बोलिए मेरी माँ वैष्णो रानी की जय






मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

सभा विच द्रोपदी दी लाज बचान दे : Sba vich dropdi di laaj bachan de: Sanjay Mehta Ludhiana










छड दे पीताम्बर राधे , अज मेनू जान दे
सभा विच द्रोपदी दी लाज बचान दे

तीन तंदा बनिया ने ऊँगली दे नील ते
जग सारा वार दिया इको इक लीर ते
सर मेरे कर्जा , अज मेनू लाहन दे
छड दे पीताम्बर राधे , अज मेनू जान दे
सभा विच द्रोपदी दी लाज बचान दे


जे मै अज ना जावांगा , लाज ओहदी जाएगी
मार मार ताने मेनू द्रोपदी सताएगी
मार मार ताने मेनू द्रोपदी ले जाएगी
साड़ीया दे ढेर सभा विच मेनू लगान दे

जे मै अज सुनागा ना भगता दी पुकार नु
जे मै अज सुनागा ना द्रोपदी दी पुकार नु
किवे मुह दिखाऊ जाके विच संसार दे
बंसरी दी तान मेनू सभा विच लान दे
छड दे पीताम्बर राधे , अज मेनू जान दे
सभा विच द्रोपदी दी लाज बचान दे


*बंसरी दी तान सिर्फ द्रोपदी जी को सुनाई दी थी जिस पर वो मगन हो गई, उसे अपना कुछ ख्याल ना रहा. सब कुछ इश्वर पर छोड़ दिया.

बोलिए राधे राधे
जय माता दी जी
बोलिए मेरी मात राज रानी की जय
बोलिए मेरी मात वैष्णो रानी की जय






सोमवार, 26 दिसंबर 2011

जैकारा जैकारा बोलो जैकारा : Jaikara Jaikara Bolo Jaikara.. Sanjay Mehta, Ludhiana








जैकारा शेरोवाली का
बोल साचे दरबार की जय

जैकारा जैकारा बोलो जैकारा -2
जैकारा जैकारा बोलो जैकारा -2
जिस ने प्रेम से बोला , माँ ने उस को पार उतारा-2
जैकारा जैकारा बोलो जैकारा -२

ऊचा है दरबार, के जिस की महिमा अपरम्पार, के सारे जग की पालनहार वो शेरोवाली है, करती है उद्धार , के जिस के हाथो मे है तलवार, करे जो दुष्टों का संहार, के वो शक्तिशाली है-२
उस को कौन गिराए, जिस को माँ ने दिया सहारा-2
जैकारा जैकारा बोलो जैकारा

मन मे धर के ध्यान जो, करे जो मैया का गुणगान, के उस की हर मुश्किल आसान बनाने आती है.. निर्धन को धनवान , बना दे निर्बल को बलवान , तभी तो सब सुखो की खान वो माँ कहलाती है .. -2
जगदम्बे के नूर से ही रोशन है यह जग सारा -2
जैकारा जैकारा बोलो जैकारा

पर्वत पर है वास, लगे है मेले बारहों मॉस, सदा भगतो के दिल के पास, रहे अम्बे मैया, कर के जो विश्वास, बने उस के चरणों का दास, करे पूरी मन की हर आस, वो जगदम्बे मैया -2
लाखो ही भगतो को माँ ने पल मे पार उतारा -२
जैकारा जैकारा बोलो जैकारा
जिस ने प्रेम से बोला , माँ ने उस को पार उतारा-2
जैकारा जैकारा बोलो जैकारा -२







बुधवार, 21 दिसंबर 2011

Punjabi Dohe By Sanjay Mehta Ludhiana









ਆਏ ਦੂਰੋ ਚਲਕੇ, ਬੇਠੇ ਬੂਹੇ ਮਲਕੇ
ਸਾਨੂ ਆਪ ਤੂੰ ਬੁਲਾਯਾ, ਮਾਏ ਚਿਠੀ ਘਲਕੇ

आये दूरो चलके, बैठे बुहे मल्के -२
सानु आप तू बुलाया, माये चिठ्ठी घल्के



ਮੈਯਾ ਤੇਰੇ ਦਰ ਖੜ ਕੇ, ਸਾਡਾ ਦਿਲ ਧੜਕੇ
ਛਡ ਦੇਵੀ ਨਾ ਸਾਡੀ ਕੀਤੇ ਬਾਹ ਫੜ ਕੇ

मैया तेरे दर खड के , साडा दिल धडके -२
छड देवी ना साड्डी किते बाह फड के



ਹੋਰ ਕੋਈ ਥੋੜ ਨਾ, ਦੇਵੀ ਖਾਲੀ ਮੋੜ ਨਾ
ਤੇਰੇ ਦਰਸ਼ਨ ਤੋ ਬਿਨਾ, ਸਾਨੂ ਕੋਈ ਹੋਰ ਲੋੜ ਨਾ

होर कोई थोड ना, देवी खाली मोड़ ना
तेरे दर्शन तो बिना, सानु कोई होर लोड ना


ਕਰ ਪ੍ਯਾਰ ਦਾਤੀਏ , ਝਾਤੀ ਮਾਰ ਦਾਤੀਏ
ਸਾਡੇ ਉਤੇ ਕਰ ਏਨਾ ਉਪਕਾਰ ਦਾਤੀਏ

कर प्यार दातिये, झाती मार दातिये
साड्डे उते कर ऐना उपकार दातिये


ਨਾ ਕੋਈ ਸੰਗ ਦਾਤੀਏ, ਇਕੋ ਇਕ ਮੰਗ ਦਾਤੀਏ
ਸਾਨੂ ਆਪਣੇ ਹੀ ਰੰਗਾ ਵਿਚ ਰੰਗ ਦਾਤੀਏ

ना कोई संग दातिये, इको मंग दातिये -२
सानु अपने ही रंगा विच रंग दातिये


ਨਾ ਵਿਚਾਰ ਦਾਤੀਏ, ਸਾਨੂ ਤਾਰ ਦਾਤੀਏ -੨
ਬੇੜੇ ਡੁਬਦੇ ਨੂ ਲਾਦੇ ਆ ਕੇ ਪਾਰ ਦਾਤੀਏ

ना विचार दातिये, सानु तार दातिये -२
बेड़े डुबदे नु लादे आ के पार दातिये







मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

बेटिया क्यों पराई है : Betiya Kyu Praai Hai : Sanjay Mehta Ludhiana










मुझे माँ से गिला , मिला यही सिला , बेटिया क्यों पराई है
खेली कूदी मै जिस आँगन मे
वो भी अपना पराया सा लागे

बेटी कहती है माँ, जिस घर मै मे पैदा हुई , जहाँ मे खेली कूदी जवान हुई, शादी से पहले तो वो घर मेरा, यह समान मेरा, यह गाडी मेरी , सब कुछ मेरा माँ , मगर शादी के बाद अपना तो है मगर क्यों पराया लगने लगता है माँ , जो हक मेरा शादी से पहले था. शादी के बाद क्यों नहीं क्यों नहीं माँ


खेली कूदी मै जिस आँगन मे
वो भी अपना पराया सा लागे
एसा दस्तूर क्यों है माँ
जोर किस का चला इस के आगे
एक को घर दिया, एक तो वर दिया
तेरी कैसी खुदाई है

मुझे माँ से गिला , मिला यही सिला , बेटिया क्यों पराई है


जो भी माँगा मैंने बाबुल से , दिया हस के मुझे बाबुल ने

बेटी कहती है माँ जिस चीज पर मैंने हाथ रखा, मेरे बाबुल राजा ने आज तक मुझे मना नहीं किया जिस चीज पर बेटी हाथ रखती है बाबुल राजा कहते है ले जा बेटी, और जिस ने अपने दिल का टुकड़ा अपने जिगर का टुकड़ा दान दे दिया हो , यह छोटा मोटा दहेज़ क्या मायना रखते है, बेटी क्या कहती है आगे

जो भी माँगा मैंने बाबुल से , दिया हस के मुझे बाबुल ने
प्यार इतना दिया है मुझ को, क्या बयाँ करू अपने मुख से
जिस घर मे पली , उस घर से ही माँ , यह कैसी विदाई है

मुझे माँ से गिला , मिला यही सिला , बेटिया क्यों पराई है

अच्छा घर सुंदर वर देखा माँ ने, क्षण मे कर दिया उन के हवाले

हर माँ बाप अपनी बेटियों के लिए अच्छा घर और सुंदर वर ढूंढते है , ऐसे कोई माँ बाप नहीं , जो अपनी बेटी को सुखी ना देखना चाहे, बेटिया कहती है माँ , एक क्षण मे एक पल मे तुम ने सारी ममता , कैसे पराई कर दी, भूल गई वो ममता और तुम ने मुझे कैसा पराया बना दिया माँ, बेटे अगर तेरे 7 हो तो उन्हें तो जुदा नहीं करती, बेटी तेरी अगर 1 हो , तो उसे क्यों जुदा करती है माँ , क्यों

अच्छा घर सुंदर वर देखा माँ ने, क्षण मे कर दिया उन के हवाले
जिन्दगी भर का यह है बंधन , कह के समझाते है घर वाले
देते दिल से दुआ, खुश रहना सदा , कैसी प्रीत निभाई है

मुझे माँ से गिला , मिला यही सिला , बेटिया क्यों पराई है

अब तो जाना पड़ेगा मुझ को, विछोडा सहना पड़ेगा सब से

संजय यह बेटियो को पता है के हम पराये है , एक ना एक दिन हमें अपने बाबुल राजा का घर छोड़ कर जाना ही पड़ेगा, हमें अपनों से जुदा होना ही पड़ेगा, सब के लिए हम पराये बन जायेंगे, ख़ुशी की बात है के बेटी अपने घर जा रही है, मगर कितना दुख होता है जब एक बेटी अपने बाबुल राजा के आंगन को लांघ कर विदा होती है , हर आँख आंसू बहाती है , कठोर दिल भी रोने लगता है , बेटी जाने लगी और कहती है माँ

अब तो जाना पड़ेगा मुझ को, विछोडा सहना पड़ेगा सब से
गलतिय माफ़ करना मेरी, दूर रहना पड़ेगा अब से
अच्छा चलती हु माँ , अब गले से लगा ला
बेटिया तो पराई है माँ , बेटिया तो पराई है माँ

बोलिए जय माता दी जी
मेरी माँ वैष्णो देवी की जय
मेरी माँ राज रानी की जय








सोमवार, 19 दिसंबर 2011

अम्बे तेरे चरणों की मै तो हु धुल: Ambey Tere Charno Ki mai to Hu Dhool: Sanjay Mehta Ludhiana









अम्बे तेरे चरणों की मै तो हु धुल ,
मुझ को ना भूल, द्वार तेरे आया हु
अरे मै तुझ को मानु, तुझे जगजननी जानू
कर ले काबुल , श्रधा के फूल, भेंट तेरी लाया हु

मै पुजारी, तेरा मैया निशदिन ज्योत जगाऊ
मै भिखारी , भाग स्वार्ण तेरे दर पे आऊ
मुझ से ना नाता तोडना , मेरी हाथ कभी ना छोड़ना
करो दुःख दूर , मै हु मझबूर , आस ले कर आया हु

अम्बे तेरे चरणों की मै तो हु धुल, मुझ को ना भूल, द्वार तेरे आया हु



अम्बे रानी , हे महारानी, सब की भाग्यविधाता
राजा हो या रंक ,सभी से मैया तेरा नाता
रहा तुझ को मै पुकारता माँ, तू दे दे प्यार माँ
करो बेडा पार , आया तेरे द्वार , मै ना पराया हु

अम्बे तेरे चरणों की मै तो हु धुल, मुझ को ना भूल, द्वार तेरे आया हु
अरे मै तुझ को मानु, तुझे जगजननी जानू
कर ले काबुल , श्रधा के फूल, भेंट तेरी लाया हु










शनिवार, 17 दिसंबर 2011

मेरी कखां वाली कुल्ली विच आ माता : Sanjay Mehta Ludhiana








मेरी कखां वाली कुल्ली विच आ माता
मेरी ज्योता तू आ के जगा माता
हुन्न आओ माता - फेरा पाओ माता
हुन्न आजा वैष्णो - फेरा पाओ माता
हुन्न आजा अमिए - फेरा पाजा अम्मिये
हुन्न आजा रानिय - फेरा पाजा रानिय

तेनु अकबर ने अजमाया सी -२
तेरिया ज्योता ते पानी पाया सी -२
अपनीय ज्योता दा जलवा दिखा माता
मेरी ज्योता तू आ के जगा माता
हुन्न आओ माता - फेरा पाओ माता
हुन्न आजा वैष्णो - फेरा पाओ माता
हुन्न आजा अमिए - फेरा पाजा अम्मिये
हुन्न आजा रानिय - फेरा पाजा रानिय

तेनु ध्यानु भगत ने ध्यया सी -२
कट्टे घोड़े दा शीश चढ़ाया सी -२
कट्टे घोड़े दा शीश मिला माता
हुन्न आओ माता - फेरा पाओ माता
हुन्न आजा वैष्णो - फेरा पाओ माता
हुन्न आजा अमिए - फेरा पाजा अम्मिये
हुन्न आजा रानिय - फेरा पाजा रानिय

जय जय अम्बे - जय जगदम्बे
जय जय अम्बे - जय जगदम्बे
जय जय माँ - जय जय माँ
बोलिए जय माता दी जी






मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

तुने माला भी घुमाई , तुने ज्योत भी जगाई: Tune Mala Bhi Gumaai By Sanjay Mehta Ludhiana










तुने माला भी घुमाई , तुने ज्योत भी जगाई
पर मन का ना मनका घुमाया तुमने,
सच्चे मन से कभी माँ को ना बुलाया तुमने

तू फसा रहा दुनिया के मायाजाल मे
कभी याद ना किया माँ को किसी हाल मे
तुने करी मनमानी , तेरी बीती जिंदगानी ,
माँ के चरणों मे सर ना झुकाया तुमने
सच्चे मन से कभी माँ को ना बुलाया तुमने

नाम मैया जी का संकटों को दूर करेगा
आजा रख विश्वास भव पार करेगा..
पहले दिल कर साफ़, मैया कर देगी माफ़
सदा मुश्किलों मे फसाया तुमने
सच्चे मन से कभी माँ को ना बुलाया तुमने

दीपक आस का जला के तू बुला ले एक बार
दोडी आएगी भवानी हो के शेर पे सवार
तुझ को होगा दीदार , कर ले माँ की जय जैकार
पर्दा दूरी वाला कभी ना हटाया तुने
सच्चे मन से कभी माँ को ना बुलाया तुमने






शनिवार, 10 दिसंबर 2011

भक्ति के नौ द्वार : Bhgti ke no dwar : By Sanjay Mehta Ludhiana









पहली भक्ति जान ले, संत जनों का संग
सत संगत से जीव पर चढ़े हरि का रंग

दूजी भक्ति कथा मे, श्रद्धा और विश्वास
हरि कथा मे रहे मग्न , सदा हरि का दास

गुरु चरणन की सेवा को , तीजी भक्ति जान
गुरु कृपा बिन जाए नहीं , मोह माया अज्ञान

चौथी भक्ति हरि के, गुण गाना दिन रात
हरि महिमा गुण गान से, सभी अमंगल जात

पंचम भक्ति नाम का, सवासो स्वास जप
सिमरन सम साधन नहीं , क्या तीर्थ क्या तप

छठी भक्ति विषयों से, सदा रहे वैराग
बहु कर्मो से रहे विरक्त, राम चरण अनुराग

राम रूप जन जान कर, सबसे करना प्रेम
सप्तम भक्ति है यही, भक्ति का ये नेम

आठवी भक्ति किसी के , जान पड़े ना दोष
सहज स्वभाव जो मिल जाये, ता मे हो संतोष

राम भरोसे रहने को, नवी भक्ति मान
नौ मे से इक भी मिल जाये,दया साईं की जान

अब बोलिए जय माता दी जी
बोलिए मेरी मैया वैष्णो रानी की जय
बोलिए मेरी मैया राज रानी की जय







मंगलवार, 29 नवंबर 2011

दर्शन देवो आज : Darshan devo aaj Hanuman: Sanjay Mehta Ludhiana








दर्शन देवो आज

हनुमत हनुमत कब से पुकारू, दर्शन देवो आज
तेरे बिन नैया , कौन लगावे पार
हनुमत हनुमत कब से पुकारू, दर्शन देवो आज

लंका फूंकी, सेना फूंकी, कर दियो सारो नाश
रावण को भीषण समझावे, जप लो हरि का नाम
नहीं तो मिटा देंगे , जग से तेरा वो नाम
हनुमत हनुमत कब से पुकारू, दर्शन देवो आज

बाबा मेरा सबकी सुनता, करता सबसे प्यार
सच्चे मन से जो भी बुलावे, आता है हर बार
हरि की दया बिन, जीना बड़ा है बेकार
हनुमत हनुमत कब से पुकारू, दर्शन देवो आज

बूटी लेकर पल मे आये, किया था जग मे कमाल
मूर्छा टूटी जब लक्ष्मण की, राम हए हैरान
हनुमत ने देखो, कैसा किया कमाल
हनुमत हनुमत कब से पुकारू, दर्शन देवो आज

सच्ची भक्ति के ही कारण, सिने मे है राम
नहीं डरते वो दुश्मन से भी, कर गए सारे काम
अंजनी माँ के , लाडले हम हनुमान
हनुमत हनुमत कब से पुकारू, दर्शन देवो आज

बोलिए जय जय श्री राम
बोलिए जय जय हनुमान
बोलिए जय जय माँ
बोलिए जय माता दी जी
जय माँ राज रानी की
जय माँ वैष्णो रानी की जय









सोमवार, 28 नवंबर 2011

कथा ध्यानु भगत की by संजय मेहता लुधियाना : Katha Dhyanu Bhagt Ki By Sanjay Mehta Ludhiana







कथा ध्यानु भगत की by संजय मेहता लुधियाना

जिन दिनों भारत में मुगल सम्राट अकबर का शासन था, उन्ही दिनों की यह घटना है नादौन ग्राम निवासी माता का एक सेवक (ध्यानु भगत) एक हजार यात्रिओ सहित माता के दर्शन के लिए जा रहा था. इतना बड़ा दल देखकर बादशाह के सिपाहियोने चांदनी चौक दिल्ली मे उन्हें रोक लिया और अकबर के दरबार मे ले जाकर ध्यानु भगत को पेश किया

बादशाह ने पूछा :- तुम इतने आदमियो को साथ लेकर कहाँ जा रहे हो?

ध्यानु ने हाथ जोड़ कर उत्तर दिया:- मै ज्वालामाई के दर्शन के लिए जा रहा हु, मेरे साथ जो लोग है, वह भी माता जी के भगत है, और यात्रा पर जा रहे है.

अकबर ने सुनकर कहा:- यह ज्वालामाई कौन है ? और वहां जाने से क्या होगा?

ध्यानु भगत ने उत्तर दिया:- महाराज! ज्वालामाई संसार की रचना एवं पालन करने वाली माता है! वे भगतो के सच्चे ह्रदय से की गई प्राथनाए स्वीकार करती है तथा उनकी सब मनोकामनाए पूर्ण करती है. उनका प्रताप ऐसा है की उनके स्थान पर बिना तेल-बत्ती के ज्योति जलती रहती है. हम लोग प्रतिवर्ष उनके दर्शन जाते है

अकबर बादशाह बोले:- तुम्हारी ज्वालामाई इनती ताकतवर है, इसका यकीन हमें किस तरह आये? आखिर तुम माता के भगत हो, अगर कोई करिश्मा हमें दिखाओ तो हम भी मान लेंगे

ध्यानु ने नम्रता से उत्तर दिया:- श्री मान! मै तो माता का एक तुच्छ सेवक हु, मै भला कोई चमत्कार कैसे दिखा सकता हु?

अकबर ने कहा :- अगर तुम्हारी बंदगी पाक व् सच्ची है तो देवी माता जरुर तुम्हारी इज्जत रखेगी! अगर वह तुम जैसे भगतो का ख्याल ना रखे तो फिर तुम्हारी इबादत का क्या फायदा? या तो वह देवी ही यकीन के काबिल नहीं, या फिर तुम्हारी इबादत(भगती) झूठी है. इम्तहान के लिए हम तुम्हारे घोड़े की गर्दन अलग कर देते है, तुम अपनी देवी से कहकर उसे दुबारा जिन्दा करवा लेना!

इस प्रकार घोड़े की गर्दन काट दी गई

ध्यानु भगत ने कोई उपाए ना देखकर बादशाह से एक माह की अवधि तक घोड़े के सिर व् धड को सुरक्षित रखने की प्राथना की! अकबर ने ध्यानु भगत की बात मान ली! यात्रा करने की अनुमति भी मिल गई.

बादशाह से विदा होकर ध्यानु भगत अपने साथियो सहित माता के दरबार मे जा उपस्थित हुआ! स्नान-पूजन आदि करने के उपरान्त रात भर जागरण किया. प्रात:काल आरती के समय हाथ जोड़ कर ध्यानु ने प्राथना की - "हे मातेश्वरी! आप अन्तर्यामी है , बादशाह मेरी भगती की परीक्षा ले रहा है, मेरी लाज रखना, मेरे घोड़े को अपनी कृपया व् शक्ति से जीवित कर देना , चमत्कार पैदा करना, अपने सेवक को क्रतार्थ करना. यदि आप मेरी प्राथना स्वीकार ना करोगी तो मै भी अपना सिर काटकर आपके चरणों मे अर्पित कर दूंगा, क्योकि लज्जित होकर जीने से मर जाना अधिक अच्छा है! यह मेरी प्रतिज्ञा है आप उत्तर दे ..

कुछ समय तक मौन रहा

कोई उत्तर ना मिला

इसके पछ्चात भगत ने तलवार से अपना शीश काट कर देवी को भेंट कर दिया

उसी समय साक्षात् ज्वाला माँ, मेरी माँ मेरी राज रानी, माँ मेरी शक्ति, माँ मेरी भगवती माँ, मेरी माँ दुर्गे प्रगट हुई और ध्यानु भगत का सिर धड से जुड़ गया, भगत जीवित हो गया, माता ने भगत से कहा की मेरे ध्यानु मेरे बच्चे प्यारे ,दिल्ली मे घोड़े का सिर भी धड से जुड़ गया है, चिंता छोड़ कर दिल्ली पह्चो, लज्जित होने के कारन का निवारण हो गया, और जो कुछ इच्छा है वर मांगो बेटा

ध्यानु भगत ने माता के चरणों मे शीश झुका कर प्रणाम कर निवदेन किया - हे जगदम्बे! आप सर्व शक्तिशाली है, हम मनुष्य अज्ञानी है, भगति की विधि भी नहीं जानते, फिर भी विनती करता हु की जगदमाता! आप अपने भगतो की इनती कठिन परीक्षा ना लिया करे! प्रत्येक संसारी भगत आपको शीश भेंट नहीं दे सकता, कृपा करके , हे मातेश्वरी! किसी साधारण भेंट से ही अपने भगतो की मनोकामनाए पूर्ण किया करे

"तथास्तु! अब से मै शीश के स्थान पर केवल नारियल की भेंट व् सच्चे ह्रदय से की गई प्राथना द्वारा ही मनोकामना पूर्ण करुँगी" यह कह कर माता अंतरध्यान हो गई

इधर तो यह घटना घटी , उधर दिल्ली मे जब मृत घोड़े के सिर व् धड , माता के कृपा से अपने आप जुड़ गए तो सब दरबारियो सहित बादशाह अकबर आश्चर्य मे डूब गए. बादशाह ने कुछ सिपाहियो को ज्वाला जी भेजा, सिपाहियो ने वापिस आकर बादशाह को सुचना दी - वह जमीन मे से रौशनी की लपटे निकल रही है, शायद उन्ही की ताकत से यह करिश्मा हुआ है, अगर आप हुक्म दे तो उन्हें बंद करवा दे, इस तरह हिन्दुओ की इबादत की जगह ही खत्म हो जाएगी..

अकबर ने स्वीक्रति दे दी, शाही सिपाहियो ने सर्व-प्रथम माता की पवित्र ज्योति के उपर लोहे के मोटे-मोटे तवे रखवा दिए! परन्तु दिव्या ज्योति तवे फोड़कर उपर निकल आई. इसके पछ्चात एक नहर का बहाव पवित्र ज्योत की और मोड़ दिया गया. जिससे नहर का पानी निरंतर ज्योति की उपर गिरता रहे. फिर भी ज्योति का जलना बंद ना हुआ. शाही सिपाहियो ने अकबर को सुचना दे दी - जोतों का जलना बंद नही हो सकता, हमारी सारी कोशिशे नाकाम हो गई. आप जो मुनासिब हो करे , यह समाचार पाकर बादशाह अकबर दरबार ने दरबार के विद्धवान ब्राह्मणों से परामर्श किया. तथा ब्राह्मणों ने विचार करके कहा की आप स्वय जाकर देवी के चमत्कार देखे, नियमानुसार भेंट आदि चढ़ाकर देवी माता को प्रसन्न करे. बादशाह ले लिए दरबार जाने का नियम यह है की वह स्वय अपने कंधे पर स्वामन शुद्ध सोने का छत्र लादकर नंगे पैर माता के दरबार मे जाए. तत्पछ्चात स्तुति आदि करके माता से क्षमा मांग ले

अकबर ने ब्राह्मणों की बात मान ली! सवामन पक्का सोने का भव्य छत्र तैयार हुआ! फिर वह छत्र अपने कंधे पर रख कर नंगे पैर बादशाह ज्वाला जी पहचे . वहां दिव्या ज्योति के दर्शन किये, मस्तक श्रधा से झुक गया, अपने पर पछ्चाताप होने लगा, सोने का छत्र कंधे से उतर कर रखने का उपक्रम किया... परन्तु... छत्र... गिर कर दूट गया! कहा जाता है वह सोने का रहा, किसी विचित्र धातु का बन गया- जो ना लोहे का था, ना पीतल, ना ताम्बा और ना ही सीसा

अर्थात देवी ने भेंट अस्वीकार कर दी

इस चमत्कार को देखकर अकबर ने अनेक प्रकार से स्तुति करते हुए माता से क्षमा की भीख मांगी और अनेक प्रकार से माता की पूजा आदि करके दिल्ली वापिस लौटा. आते ही अपने सिपाहियो को सभी भगतो से प्रेम - पूर्वक व्यवहार करने का आदेश निकाल दिया

अकबर बादशाह द्वारा चढाया गया खंडित छत्र माता जी के दरबार के बाई और आज भी पड़ा हुआ देखा जा सकता है

!! बोलो सांचे दरबार की जय!!
हे माता रानी लिखने मे कोई कमी रह गई हो तो अपने इस बेटे को अनजान समझ कर माफ़ करना आप का बेटा संजय मेहता

बोलिए जय माता दी
बोलिए ज्वाला माई की जय
बोलिए मेरी माँ राज रानी की जय
बोलिए मेरी माँ दुर्गा रानी की जय
बोलिए मेरी माँ वैष्णो रानी की जय

जैकारा सचिया ज्योता वाली का बोल साचे दरबार की जय









कांगडा मंदिर की कथा: Kangra Mandir Ki Katha: Sanjay Mehta Ludhiana








कांगडा मंदिर की कथा

राजा सुशर्मा के नाम पर रखा गया 'सुशर्मापुर' नगर कांगडा का अति प्राचीन नाम है, जिसका उल्लेख महाभारत मे भी मिलता है . महमूद गजनवी के आक्रमण के समय इसका नाम 'नगरकोट' था ' कोट' का अर्थ है किला - अर्थान वः नगर जहा किला है . नगरकोट हुआ. .. त्रिगर्त-प्रदेश कांगडा का महाभारत - कालीन नाम है ! कांगड़ा के शाब्दिक अर्थ है कान + गढ़ अर्थान कान पर बना हुआ किला. पौराणिक कथानुसार ये कान जलंधर दैत्य का है. कथा इस प्रकार है. जलंधर नमक दैत्य का कई वर्षो तक देवताओ से घोर युद्ध हुआ . जलंधर महाम्त्य मे लिखे अनुसार ही जब विष्णु भगवन और शंकर जी कपटी माया से परस्त जलंधर दैत्य युद्ध मे जर्जरित होकर मरनासन्न हो गया तो दोनों देवताओ ने, उनकी साध्वी-पत्नी सती-वृंदा के शाप के भय से जलंधर को प्रतक्ष दर्शन देकर मन चाह वर मांगने को कहा. सती वृंदा(तुलसी) के आराध्य पति-परमेश्वर जलंधर ने दोनों देवताओ की स्तुति करके कहा - हे सर्वशक्तिमान प्रभु! यधपि आपने मुझे कपटी -माया रचकर मारा है, इस पर भी मै अति-प्रसन्न हु. आपके प्रत्यक्ष दर्शन से मुझ जैसे तामसी और अहंकारी दैत्य का उद्धार हो गया. मुझे कृपया यह वरदान दे की मेरा यह पार्थिव शरीर जहाँ जहाँ तक फैला है उने परिमाण योजन में सभी देवी - देवताओ और तीर्थो का निवास रहे, आपके श्रद्धालु एवं भगत मेरे शरीर पर स्थित इन तीर्थो मे स्नान-ध्यान-दर्शन-पूजन-दान-श्राधादी करके पुण्यलाभ प्राप्त करे. इसके पछ्चात जलंधर ने वीरासन मे स्थित होकर प्राण त्याग दिए. इसी कथा के अनुसार शिवालिक पहाडियो के बीच १२ योजन के क्षेत्र मे जलंधर पीठ फैला हुआ है. जिसकी परिक्रमा मे ६४ तीर्थ व् मंदिर पाए जाते है. इनकी प्र्दक्षिना का फल चल-धाम की यात्रा से कम नहीं है



कोट कांगड़ा मैया की भेंट

किला कांगड़ा तेरा माँ
आन मुगल ने घेरा माँ

किला कांगड़ा तेरा माँ

नगर कोट की आदि भवानी
मुगल तुर्क ने नहीं मानी
तवे जडाये नेहर मंगाई
लाया भवन पे डेरा माँ
किला कांगड़ा तेरा माँ

तवे फोड़ भईया परचंडी
मुगल भाग गए पगडण्डी
फूंक दिया सब डेरा माँ
किला कांगड़ा तेरा माँ

भागे मुगल आये शरनाई
भ्रम भुलाना बक्शो माई
फेर ना पावा फेरा माँ
किला कांगड़ा तेरा माँ

झूले झुंडे लाल निशाने
माता पहने कुसुमड़े बाने
ध्यानु चाकर(संजय मेहता) तेरा माँ
किला कांगड़ा तेरा माँ
किला कांगड़ा तेरा माँ

बोलिए ब्रजेश्वरी मैया की जय
बोलिए कांगडे वाली मैया की जय
बोलिए मेरी माँ राज रानी की जय
बोलिए मेरी माँ वैष्णो रानी की जय
जय माता दी जी








शनिवार, 26 नवंबर 2011

श्री शनि देवी स्त्रोत








श्री शनि देवी स्त्रोत


जिनके शरीर वर्ण कृष्ण , नील तथा भगवन शंकर के समान है, उन शनिदेव को नमस्कार है. जो जगत के लिए कालाग्नि एवं क्र्तांतरूप है , उन शनैश्चर को बारम्बार नमस्कार है. जिनकी दाढ़ी - मूछ और जटा बड़ी हुई है, उन शनिदेव को प्रणाम है. जिनके बड़े - बड़े नेत्र , पीठ मे सटा हुआ पेट और भयानक आकर है , उन शनैश्चर देव को नमस्कार है. जिनके शरीर का ढांचा फैला हुआ है, जिनके रोंए बहुत मोटे है , जो लम्बे-चौड़े किन्तु सूखे शरीर वाले है तथा जिनकी दाढे काल रूप है, उन शनिदेव को बारम्बार प्रणाम है .. शने! आपके नेत्र खोखले के समान गहरे है, आपकी और देखना कठिन है, आप घोर , रौद्र , भीषण और विकराल है. आपको नमस्कार है. बलीमुख! आप सब कुछ भक्षण करने वाले है; आपको नमस्कार है, सुर्यनंदन! भास्करपुत्र! अभय देनेवाले देवता ! आपको प्रणाम है! नीचे की और दृष्टि रखने वाले शनिदेव! आपको नमस्कार है, संवर्तक ! आपको संजय मेहता का प्रणाम है, मंदगति से चलने वाले शनैश्चर! आपका प्रतीक तलवार समान है . आपको पुन:-पुन: प्रणाम है. आपने तपस्या से अपने देह को दग्ध कर दिया है; आप सदा योगाभ्यास तत्पर , भूख से आतुर और अत्रप्त रहते है! आपको सदा - सर्वदा नमस्कार है! ज्ञाननेत्र ! आपको प्रणाम है! कश्यप्नंदन सूर्य के पुत्र शनिदेव ! आपको नमस्कार है! आप संतुष्ट होने पर राज्य दे देते है और रुष्ट होने पर उसे तत्क्षण हर लेते है! देवता, असुर, मनुष्य, सिद्ध , विद्याधर और नाग - ये सब आपकी दृष्टि पड़ने पर समूल नष्ट हो जाते है. देव! मुझपर प्रसन्न होइए ! मै संजय मेहता वर पाने के योग्य हु और आपकी शरण आया हु...

शनिदेव ने कहा : देवता, असुर, मनुष्य, सिद्ध , विद्याधर तथा राक्षस - इनमे से किसी के भी मृत्यु , स्थान, जन्मस्थान अथवा चतुर्थ स्थान मे रहू तो उसे मृत्यु का कष्ट दे सकता हु. किन्तु जो श्रधा से युक्त , पवित्र और एकाग्रचित हो मेरी लोहमयी सुंदर प्रतिमा का शमीपत्रों से पूजन करके तिलमिश्रित उड़द - भात , लोहा, काली गौ या काला वर्षभ ब्राह्मण को दान करता है तथा विशेषत: मेरे दिन को इस स्त्रोत्र से मेरी पूजा करता है, पूजन के पश्चात भी हाथ जोड़कर मेरे स्त्रोत्र का जप करता है , उसे मै कभी भी पीड़ा नहीं दूंगा गोचर में जन्मलग्न में , दशाओं तथा अन्तेर्द्शाओ में ग्रह - पीड़ा का निवारण करके मै सदा उसकी रक्षा करूँगा ! इसी विधान से सारा संसार पीड़ा से मुक्त हो सकता है.
जय माता दी जी
जय मेरी माँ राज रानी की जय
जय मेरी माँ वैष्णोदेवी की जय
जय जय शनिदेव
हर हर महादेव







गुरुवार, 24 नवंबर 2011

नैना देवी कलियुग मे प्रकट होने की कथा : Naina Devi : Sanjay Mehta Ludhiana









नैना देवी
कलियुग मे प्रकट होने की कथा



इस पहाड़ी के समीप के इलाके मे कुछ गुजरो की आबादी रहती थी. उसमे नैना नाम का गुजर देवी का परम भगत था . वह अपनी गाये भैंस आदि पशुओ को चराने के लिए इस पहाड़ी पर आया करता था. इस पर जो पीपल का वृक्ष अब भी विराजमान है उसके नीचे आकर गुजर की एक गाये खड़ी हो जाती थी . और अपने आप दूध देने लगती . नैना गुजर ने यह दृश्य कई बार देखा. वह यह देखकर सोच - विचार मे डूब जाया करता था के आखिर एक अनसुई गाये के थनों मे इस पीपल के पेड़ के नीचे आकर दूध क्यों आ जाता है . अंतत: एक बार उसने उस पीपक के पेड़ के नीचे जाकर जहाँ गाये का दूध गिरता था वहां पड़े हुए सूखे पत्तो के ढेर को हटाना आरंभ कर दिया. पत्ते हटाने के बाद उसमे दबी हुई पिण्डी के रूप मे माँ भगवती की प्रीतिमा दिखाई दी. नैना गुजर ने जिस दिन पिण्डी के दर्शन किये, उसी रात को माता ने स्वप्न मे उसे दर्शन दिए और कहा की मे आदिशक्ति दुर्गा हु तू इसी पीपल के नीचे मेरा स्थान बनवा दे. मै तेरे ही नाम से प्रिसद्ध हो जाउंगी. नैना माँ भगवती का परम भगत था. उसने प्रात:कल उठते ही देवी माँ की आज्ञानुसार उसी दिन से मंदिर की नीवं रख दी. शीघ्र ही इस स्थान की महिमा चारो तरफ फ़ैल गई. श्रद्धालु भगत दूर दूर से आने लगे. उनकी मनोकामनाए पूरी होती रही. देवी के भगतो ने भगवती का सुंदर, भव्य तथा विशाल मंदिर बनवा दिया और तीर्थ नैनादेवी नाम से प्रिसद्ध हो गया, मंदिर के समीप ही एक गुफा है , जिसे नैना देवी की गुफा कहते है, इसके दर्शनार्थ भी कई भगत जाते है

बोलिए नैना देवी माँ की जय
बोलिए मेरी माँ राज रानी की जय
बोलिए मेरी माँ वैष्णो रानी की जय
बोलिए मेरी माँ दुर्गा की जय







राधे रमण कहो : Radhe Radhe Kaho: Sanjay Mehta Ludhiana








जय माता दी जी , जय माता दी जी , जय माता दी



जिस हाल मे, जिस देश मे, जिस भेष मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

जिस रंग मे, जिस ढंग मे , जिस संग मे रहो

राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

जिस काम मे, जिस धाम मे, जिस गावं मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

चाहे ध्यान मे, चाहे ज्ञान मे , चाहे अभिमान मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

चाहे रोग मे, चाहे भोग मे, चाहे जोग मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

चाहे हँसते हो, चाहे रोते हो, चाहे मौन ही रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

चाहे सोते हो, चाहे जागते हो, चाहे सपने मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

चाहे खाते हो, चाहे पीते हो , चाहे भूखे ही रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

चाहे राग मे, चाहे अनुराग मे , चाहे बेराग मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

जिस संसार मे, जिस परिवार मे, जिस घर बार मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

जिस मान मे, जिस सम्मान मे , अपमान मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

जिस धर्म मे , जिस कर्म मे , जिस मर्म मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

चाहे मथुरा मे, चाहे वृन्दावन मे, चाहे गौकुल मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

चाहे हरिद्वार मे , चाहे ऋषिकेश मे , चाहे प्रयाग मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

चाहे इह लोग मे, चाहे परलोक मे , चाहे गौलोक मे रहो
राधे , रमण, राधे रमण राधे रमण कहो

बोलिए सचिया ज्योत वाले मेरे मांजी की जय
बोलिए मेरी माँ राज रानी की जय
बोलिए मेरी माँ दुर्गा की जय
बोलिए मेरी माँ वैष्णवी की जय
जय माता दी जी







जय माता दी कहो: Jai Mata Di Kaho By Sanjay Mehta Ludhiana







जय माता दी जी , जय माता दी जी , जय माता दी


जिस हाल मे, जिस देश मे, जिस भेष मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

जिस रंग मे, जिस ढंग मे , जिस संग मे रहो

जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

जिस काम मे, जिस धाम मे, जिस गावं मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

चाहे ध्यान मे, चाहे ज्ञान मे , चाहे अभिमान मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

चाहे रोग मे, चाहे भोग मे, चाहे जोग मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

चाहे हँसते हो, चाहे रोते हो, चाहे मौन ही रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

चाहे सोते हो, चाहे जागते हो, चाहे सपने मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

चाहे खाते हो, चाहे पीते हो , चाहे भूखे ही रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

चाहे राग मे, चाहे अनुराग मे , चाहे बेराग मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

जिस संसार मे, जिस परिवार मे, जिस घर बार मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

जिस मान मे, जिस सम्मान मे , अपमान मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

जिस धर्म मे , जिस कर्म मे , जिस मर्म मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

चाहे चिंतपूर्णी, चाहे वैष्णोदेवी , चाहे लुधियाना मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

चाहे नैना देवी, चाहे कांगडे मे , चाहे मनसा देवी मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

चाहे इह लोग मे, चाहे परलोक मे , चाहे गौलोक मे रहो
जय माता दी जय माता दी जय माता दी कहो

बोलिए सचिया ज्योत वाले मेरे मांजी की जय
बोलिए मेरी माँ राज रानी की जय
बोलिए मेरी माँ दुर्गा की जय
बोलिए मेरी माँ वैष्णवी की जय
जय माता दी जी








बुधवार, 23 नवंबर 2011

क्यों हर मोड़ पर गम ही मिला है: Sanjay Mehta Ludhiana









शेरां वाली माता तेरी जय हो सदा
माँ मुझको तू बता दे क्या मेरी खता है

क्यों हर मोड़ पर गम ही मिला है
माँ मुझको तू बता दे क्या मेरी खता है
क्यों हर मोड़ पर गम ही मिला है
हँसता हु पल भर को फिर दर्द सताता है
हर रोज नया गम क्यों मुझको मिल जाता है

शेरां वाली माता तेरी जय हो सदा
माँ मुझको तू बता दे क्या मेरी खता है

ज्योता वाली माता तेरी जय हो सदा जय
उसने ही मुझको है दिखा दिया
मैंने विश्वास जिस पे किया
मुझको रुलाके हंसाता जमाना है
अश्को कर मैंने पिया
टुटा है हर एक सपना जो मैंने सजाया था
लूटा है दुनिया ने जो मैंने पाया था
शेरां वाली माता तेरी जय हो सदा
माँ मुझको तू बता दे क्या मेरी खता है
क्यों हर मोड़ पर गम ही मिला है

बन जा सहारा तू
इस बेसहारे की अर्जी
मंजूर कर अर्जी मंजूर कर
चरणों मे अपनी जगह देके
मेरे सभी दुःख दूर कर
खाली मे आया था खाली नहीं जाना है
जो तुमसे माँगा है वो तुमसे ही पाना है
क्यों हर मोड़ पर गम ही मिला है
शेरां वाली माता तेरी जय हो सदा
माँ मुझको तू बता दे क्या मेरी खता है
क्यों हर मोड़ पर गम ही मिला है








मंगलवार, 22 नवंबर 2011

जागरण : Jagran By Sanjay Mehta Ludhiana








जागरण

हम आज सभी मिल कर , तेरी रात जगायेंगे
ओ महावीर सुन लो, तेरी महिमा गाएंगे

तुझसे मिलने को भला, कोई रोकेगा कैसे
कदमो से लिपट जाये, वृक्षों से लता जैसे
सपनो मे मिले थे तुम, अब सामने पाएंगे
हम आज सभी मिल कर , तेरी रात जगायेंगे
ओ महावीर सुन लो, तेरी महिमा गाएंगे

पूरी होगी तृष्णा, प्यासे इन नयनन की
माथे से लगा लेंगे, धूलि तेरे चरनन की
चरणामृत लेकर के, हम भव तर जायेंगे
हम आज सभी मिल कर , तेरी रात जगायेंगे
ओ महावीर सुन लो, तेरी महिमा गाएंगे


सदीओ से सदा हमने , तेरी आस लगाई है
पागल मनवा कहता , इसमें ही भलाई है
पाकर तेरे दर्शन को, हम धन्य हो जायेंगे
हम आज सभी मिल कर , तेरी रात जगायेंगे
ओ महावीर सुन लो, तेरी महिमा गाएंगे

चुनकर वन उपवन से , पुष्पों की मधुर लड़िया
एक हार बनाया है , बीती है कई घड़िया
ये पुष्प भजन माला, तेरे चरण चढ़ाएंगे
हम आज सभी मिल कर , तेरी रात जगायेंगे
ओ महावीर सुन लो, तेरी महिमा गाएंगे